Tehri News: जोशीमठ के बाद अब टिहरी में पैदा हो रहे भू-धंसाव के हालात, जानकारों ने बताई बड़ी वजह
Uttarakhand News: जानकार बताते हैं कि पहाड़ों पर हो रहे भारी भूस्खलन का सबसे बड़ा कारण पहाड़ों से की जा रही छेड़छाड़ हैं. कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए पहाड़ों में विधुत परियोजनाओं का निर्माण करते हैं.
Tehri News: जहां एक ओर जोशीमठ में हो रहे भारी भू-धंसाव ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है, तो वहीं टिहरी (Tehri) जिले के घनसाली विधानसभा से गुजरने वाली भिलंगना नदी में बन रहे पावर प्रोजेक्ट जोशीमठ जैसे हालातों को दावत दे रहे हैं. खतलिंग ग्लेशियर से निकलने वाली भिलंगना नदी में साल 2004 में 23 मेगावाट के विधुत प्रोजेक्ट का निर्माण किया गया है, जिसकी टनल की लंबाई लगभग 2 किमी है, तो वहीं शांत पहाड़ों के सीना चीर कर भिलंगना नदी पर ही 2006 में 24 मेगावाट के भिलंगना पॉवर प्रोजेक्ट का निर्माण किया गया.
भिलंगना नदी पर पहले से ही दो जलविद्युत परियोजनाए बनाई गई है और अभी हाल में ही जल विधुत निगम द्वारा 27 मेगावाट का रानीगढ़ देवठ विधुत प्रोजेक्ट का कार्य प्रगति पर है, वहीं एक ओर परियोजना भिलंगना नदी पर प्रस्तावित है, जिसका निर्माण कार्य भी कुछ ही समय के बाद प्रांरभ किया जाएगा.
जानकारों ने बताई ये वजह
जानकार बताते हैं कि पहाड़ों पर हो रहे भारी भूस्खलन का सबसे बड़ा कारण पहाड़ों से की जा रही छेड़छाड़ हैं. कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ ओर ज्यादा फायदे के लिए पहाड़ों में विधुत परियोजनाओं का निर्माण करते हैं, जिनसे स्थानीय लोगों को तो फायदा नहीं हो पाता है पर विधुत परियोजना संचालक अपनी मोटी कमाई करता है. परियोजना से मोटी कमाई मिलने के बाद वो पहाड़ों को परियोजना से हो रहे भारी नुकसान की और जीवन यापन करने वाले लोगों की कोई चिंता नही होती, क्योंकि वह या तो उत्तराखंड का निवासी ही नहीं होता है या फिर वह उत्तराखंड में निवास ही नहीं करता है.
जानकारों की माने तो उत्तराखंड की दशा और दिशा आमतौर पर पहाड़ों की छाती में बनाये जाने वाले डेम और उत्तराखंड की पहाड़ियों में खोदे जाने वाली सुरंग हैं, जिसकी वजह से उत्तराखंड त्रासदी की ओर आगे बढ़ रहा है. वहीं भिलंगना नदी की अगर बात की जाए तो 30 किमी के अंतराल में अब तक दो विधुत परियोजनाएं बनाई गई है और इन दोनों परियोजनाओं के बीच मे अभी एक परियोजना का कार्य प्रगति पर है.
लोगों की माने तो भिलंगना नदी पर बनी दोनों परियोजनाओं से उन्हें नुकसान तो हुआ है मगर अभी तक कोई फायदा नहीं हुआ है. पहाड़ों पर बिजली पैदा कर बाहरी लोग मोटा मुनाफा कमा रहे हैं और पहाड़ को खोखला कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि अगर इन विधुत परियोजनाओं पर रोक नहीं लगाई गई, तो घनसाली में भी जोशीमठ जैसे हालात होने में देर नहीं लगेगी, जिसके बाद स्थानीय लोगों के पास पछताने के अलावा और कुछ नहीं बच पायेगा.
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