कभी पिता संग की मजदूरी, अब IPL में गोरखपुर के 'मिस्ट्री स्पिनर' विशाल निषाद बिखेरेंगे जादू
Vishal Nishad IPL Auction: गोरखपुर के मजदूर पिता के बेटे विशाल निषाद का IPL में चयन हुआ है. पंजाब किंग्स ने उन्हें 30 लाख में खरीदा. मिस्ट्री स्पिनर विशाल की सफलता से गांव में खुशी का माहौल है.

गांव की पगडंडियों से निकलकर मुकाम हासिल करना आसान नहीं होता है. इसके बावजूद लगन और कुछ कर गुजरने का जज्बा मन में हो तो सफलता कदम चूमती है. रास्ते में आने वाली कोई भी अड़चन सफलता पाने वाले का रास्ता नहीं रोक पाती है. गोरखपुर के ग्रामीण इलाके में रहने वाले मजदूर पिता के सबसे छोटे बेटे विशाल ने आईपीएल में सिलेक्ट होकर गोरखपुर का नाम रोशन कर दिया है.
विशाल मिस्ट्री स्पिनर हैं और उनकी फिरकी के जाल में बड़े-बड़े दिग्गज बल्लेबाज भी फंस जाते हैं. पंजाब किंग्स ने उन्हें 30 लाख रुपए की बोली लगाकर खरीदा है. आईपीएल में सिलेक्शन के बाद उनके गांव और घर पर खुशियों का माहौल है.
हम पहुंचे हैं गोरखपुर के लहसड़ी स्थित जंगल अयोध्या प्रसाद गांव में जहां इस समय विशाल भैया जिंदाबाद के नारे लग रहे हैं. विशाल निषाद के पिता उमेश निषाद राजगीर मिस्त्री हैं. उनके तीन बेटे सचिन सर्वेंद्र और विशाल हैं वहीं बेटी रेनू कि वे शादी कर चुके हैं. विशाल के भाई बहनों में सबसे छोटा है. गांव की पगडंडियों से निकलकर विशाल का सिलेक्शन आईपीएल के लिए हुआ है. पंजाब किंग्स ने उसे 30 लाख रुपए की बोली लगाकर खरीदा है. विशाल की सफलता से जहां उसके गांव में खुशी का माहौल है, तो वहीं उनके पिता उमेश निषाद और मां सुनीता देवी के चेहरे पर भी खुशी साफ दिखाई दे रही है.
राजगीर मिस्त्री पिता और अभावों में बीता बचपन
विशाल 2 दिन पहले ही गांव से रवाना हुए हैं. उनके सिलेक्शन की खबर गांव पहुंचते ही गांव के बच्चे विशाल भैया जिंदाबाद के नारे लगाने लगे हैं. गांव के लोग भी काफी खुश हैं यही वजह है कि विशाल की मां सुनीता देवी सबको गुड़ खिलाकर उनका मुंह मीठा करा रही हैं.
उमेश बताते हैं कि विशाल बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौकीन रहा है. परिवार और गांव के उसके दोस्तों ने भी उसकी काफी मदद की है. जावा गोरखपुर से बाहर निकाला तो उसके दोस्तों ने उसकी काफी सपोर्ट किया. गांव और परिवार के लोगों ने हमेशा उसका हौसला बढ़ाया है. यही वजह है कि गांव की पगडंडियों से निकलकर वह आज आईपीएल में सिलेक्ट हो गया है. जब से यह खबर गांव और घर में आई है तब से यहां खुशियों का ही माहौल है. वे लोग काफी खुश हैं और गांव के लोगों के बीच खुशियां मना रहे हैं.
उमेश ने बताया कि विशाल ने 12वीं तक की शिक्षा ली है, लेकिन उसे बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक रहा है. उन्होंने बताया कि वे राजगीर मिस्त्री हैं और बहुत ही मुफलिसी में उन्होंने परिवार और बच्चों को पाला है, लेकिन आज छोटे बेटे के आईपीएल में चयन से उनके सारे दुख और परेशानियां दूर हो गए हैं.
मां की ममता और गुड़ से मुंह मीठा कराने की परंपरा
विशाल की मां सुनीता देवी क्रिकेट के बारे में बहुत कुछ नहीं जानती हैं. वह कहती है कि वह टीवी पर क्रिकेट नहीं समझ पाती है लेकिन उन्हें यह पता है कि उनका बेटा अच्छी क्रिकेट खेलता है. उसका चयन आईपीएल में होने से भी काफी खुश है गांव के लोगों में भी काफी खुशी का माहौल है. सुनीता देवी गांव की महिलाओं को गुड़ खिलाकर उनका मुंह मीठा करा रही है.
दोस्तों का साथ और कोच का मार्गदर्शन
गोरखपुर के जंगल अयोध्या प्रसाद के रहने वाले विशाल के साथ बचपन से खेलने वाले उसके दोस्त विनीत पांडे और उसके चचेरे भाई रोहन निषाद ने बताया कि वह विशाल के साथ बचपन से खेल रहे हैं. जब गोरखपुर के कोच कल्याण सिंह ने उसके हुनर को देखा तो उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद विशाल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा कड़ी मेहनत और लगन की वजह से वह आगे बढ़ गया और आज आईपीएल में उसका सिलेक्शन होने से गांव और उसके घर-परिवार में खुशी का माहौल है.
रोहन निषाद ने बताया कि गोरखपुर में भी लोग उसे मिस्ट्री स्पिनर के नाम से जानते हैं. उसकी स्पिन बॉलिंग ऐसी है कि बल्लेबाज यह नहीं समझ पाते हैं कि वह ऑफ स्पिन फेंक रहा है या लेग स्पिन फेंक रहा है. उसकी फिरकी में बड़े-बड़े बल्लेबाज भी फंस जाते हैं यही वजह है कि उन्हें ऐसा लगता है कि वह आगे काफी अच्छा कर पाएगा.
क्रिकेट का जुनून: स्कूल की डांट भी नहीं डिगा पाई हौसला
विशाल की चचेरी बहन शिवांगी निषाद भी उसकी उपलब्धि से काफी खुश है वह बताती है कि विशाल भैया उसके साथ उसी के मथुरा पब्लिक स्कूल में साथ पढ़ता रहा है वह क्रिकेट खेलने में भी काफी अच्छा रहा है. क्रिकेट की वजह से वह कई बार अपनी क्लास भी मिस कर देता था. उसे कई बार इसके लिए स्कूल के शिक्षकों से डांट भी पड़ती थी, लेकिन फिर भी क्रिकेट का जुनून उसके सिर पर चढ़कर बोलता था. यही वजह है कि वह आज इस मुकाम पर पहुंचा है, जिससे उसके घर और गांव में भी खुशी का माहौल है. उसके विशाल भैया ने वह उपलब्धि हासिल कर दिखाया है.
Source: IOCL





















