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गोंडा: लॉकडाउन में निराश होकर घर लौटा, कुछ करने की मन में ठानी और इस तरह बदल दी अपनी तकदीर

कोरोना महामारी ने बहुत से लोगों के जीवन पर विपरीत असर डाला. लेकिन कई ऐसे भी हैं जिन्होंने इस मुश्किल घड़ी को अपने लिये अवसर में बदल दिया. कुछ ऐसी ही कहानी है गोंडा के नन्हे पांडे की. पढ़ें हौसले की कहानी.

गोंडा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान से प्रेरित होकर दिल्ली में रहकर मेहनत मजदूरी कर रहे एक श्रमिक ने देशभर में लॉकडाउन लगने के बाद जब रोजजगार छिन गया, तो उसने मन में कभी भी परदेस न जाने की ठान ली. अब घर पर रहकर फूलों की खेती कर अपनी तकदीर बदल डाली. अब इनके फूलों की खुशबू से अन्य किसान भी अब परंपरागत खेती छोड़ फूलों की खेती की तरफ आ रहे हैं.

जिले के विकास खंड रूपईडीह की ग्राम पंचायत तेलिया कोट के मजरा चंदनवापुर गांव निवासी नन्हे पांडे दिल्ली के आजादपुर मंडी में रहकर मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे. देशभर में फैले कोरोना संकट के बाद जब वहां पर मेहनत मजदूरी का काम बंद हो गया, तो वहां से किसी तरह अपने घर पहुंचे इस श्रमिक ने अपने मन में कभी भी परदेस ना जाने का फैसला किया. उसके बाद परंपरागत खेती छोड़ कुछ अलग करने की मन में ठान ली. नन्हे पांडे बताते हैं कि उन्होंने जब फूलों की खेती करने का मन बनाया तो तो गांव के एक माली से उन्होंने सलाह ली. माली ने इन्हें गेंदा के फूल की खेती करने के लिए प्रेरित किया. शुरुआती दौर में इन्होंने आधा एकड़ गेंदा के पौधे लगाए हैं. महज 3 महीने बाद फूलों से इनकी आमदनी शुरू हो गई. अब ढाई बीघा खेत में सप्ताह में दो बार फूलों को तोड़ा जाता है. सप्ताह में दो बार फूल तोड़ने पर करीब डेढ़ कुंतल फूल तैयार हो जाता है. गांव के माली अब इनका फूल 4 हजार प्रति कुंतल खरीद लेते हैं.

बनारस से ऑनलाइन मंगाया गेंदा का पौधा

नन्हे पांडे बताते हैं कि सितंबर माह के पहले सप्ताह में उन्होंने ऑनलाइन के जरिए बनारस से 2 रुपया प्रति पौधा के हिसाब से 10 हजार पौध मंगाए. एक बीघा खेत में करीब 4 हजार गेंदा के पौधे लगाए जाते हैं. इस तरह ढाई बीघा में 10 हजार गेंदा के पौधे लगाए.

फूलों के साथ सह फसली के रूप में फलों की खेती

गेंदा के फूल के साथ-साथ इन्होंने सह फसली के रूप में मेड़ पर बीच-बीच में पपीता के पौधे लगाए हैं. पांडे बताते हैं कि फूल तो तीसरे माह से टूटने लगे हैं. लेकिन पपीता एक वर्ष में फल देता है. पपीता का पौधा बड़ा होता है इसलिए ऊपर निकल जाता है. गेंदा के फूलों की खेती पर इसका कोई असर नहीं पड़ता. बीच-बीच में पपीता का पौधा लगाकर अतिरिक्त लाभ कमाया जा सकता है.

50 हजार रुपए प्रति बीघा मुनाफा देता है गेंदा का फूल

नन्हे पांडे बताते हैं कि एक बीघा खेत में गेंदा के फूल से पचास हजार रुपए मुनाफा मिल सकता है. इसके साथ साथ सह फसली के रूप में पपीता की खेती की जा सकती है. जिससे उतनी ही जमीन में अतिरिक्त मुनाफा कमाया जा सकता है. उन्होंने किसानों से आत्मनिर्भर बनने के लिए फल फूल की खेती करने की अपील की, कहा कि किसान परंपरागत खेती छोड़ अगर फल फूलों की खेती करेंगे तो उन्हें बेहतर लाभ मिलेगा और वह आत्मनिर्भर बन सकेंगे.

सभी मौसम में की जा सकती है गेंदा के फूलों की खेती

गेंदा के फूलों की खेती सभी मौसम में की जा सकती है. शीतकालीन सत्र में मध्य सितंबर माह में नर्सरी डालकर अक्टूबर माह के अंत तक रोपाई कर दें जबकि ग्रीष्म काल में जनवरी में नर्सरी डालकर मार्च तक पौध की रोपाई की जा सकती है. वर्षा ऋतु में दो माह में नर्सरी डालकर किसान जुलाई माह के अंत तक रोपाई कर सकते हैं.

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कृष्ण कुमार साल 2013 से एबीपी न्यूज़ से जुड़े हैं. गोंडा में जिला संवाददाता के तौर पर काम कर रहे हैं. गोंडा की राजनीति, अपराध और अन्य बड़ी खबरों पर नजर रखते हैं. कृष्ण कुमार ने अवध यूनिवर्सिटी फैजाबाद से पत्रकारिता की पढ़ाई की और गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं. एबीपी से जुड़ने से पहले कृष्ण कुमार ने अन्य चैनलों में भी काम किया है.

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