दुर्गेश यादव हत्याकांड: आरोपी पलक ठाकुर का का सत्ता कनेक्शन आया सामने, जानें- कौन है मुंहबोला भाई
पीजीआई थाना क्षेत्र के सेक्टर 14 में हुई गोरखपुर के हिस्ट्रीशीटर दुर्गेश यादव की हत्या ठगी और धोखाधड़ी से जुटाई रकम को लेकर की गई थी. फेसबुक पर पलक ठाकुर ने बृजेश पाठक को अपना मुंहबोला भाई बताया है.

लखनऊ, संतोष कुमार शर्मा: गोरखपुर के हिस्ट्रीशीटर की गोली मारकर की गई हत्या से पहले बेरहमी से पिटाई करने वाली लेडी डॉन पलक ठाकुर और उसके साथी फर्जी दरोगा मनीष यादव गैंग 420...चला रहा था. ठगी और जालसाजी के इस गैंग में दुर्गेश यादव ने पैसा हड़प लिया था. लखनऊ पुलिस अब इस हत्याकांड की जड़ में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी और धोखाधड़ी के पूरे फर्जीवाड़े पर एफआईआर दर्ज कर तफ्तीश कर रही है. पुलिस जांच के दायरे में अब उस मकान के मालिक और समीक्षा अधिकारी एके यादव भी आ गए हैं.
पलक ने बनाया वीडियो बुधवार को पीजीआई थाना क्षेत्र के सेक्टर 14 में हुई गोरखपुर के हिस्ट्रीशीटर दुर्गेश यादव की हत्या ठगी और धोखाधड़ी से जुटाई रकम को लेकर की गई थी. दुर्गेश की हत्या से पहले उसकी जमकर पिटाई की गई. पिटाई करने वालों में पलक ठाकुर मनीष यादव संतोष समेत 6 लोग शामिल थे. दुर्गेश की बेरहमी से की गई इस पिटाई का पलक ठाकुर ने वीडियो भी बनवाया और फिर इसी मारपीट के बीच में दुर्गेश ठाकुर ने देसी तमंचा निकाला. छीनाझपटी होने लगी तो दुर्गेश यादव को गोली मार दी गई.
पिटाई के बार मारी गई गोली दुर्गेश यादव की पहले बेरहमी से पिटाई और फिर गोली मारकर हत्या कर दी गई. पुलिस ने गिरफ्तार पलक ठाकुर से जब पूछताछ की कि आखिर उसने मारपीट का वीडियो क्यों बनाया? तो पलक ठाकुर ने पूछताछ में कबूला कि उसने दुर्गेश यादव को अपनी और अपने करीबियों की नौकरी के लिए करीब 25 से 30 लाख रुपए दिए थे. लेकिन न तो नौकरी मिली और न ही पैसे वापस हो रहे थे. लिहाजा, रकम देने वाले लोग पलक ठाकुर को परेशान कर रहे थे तो पलक ठाकुर ने खुद को ठगा हुआ साबित करने के लिए दुर्गेश की पिटाई का वीडियो बनाया था.
सरकारी विभाग में नौकरी दिलाने का धंधा घटनास्थल का मुआयना करने और पलक ठाकुर से मिले दस्तावेजों के बाद साफ हो गया है कि इस हत्या के पीछे सरकारी विभाग में नौकरी दिलाने का धंधा मुख्य वजह है. मनीष यादव और पलक ठाकुर ने मिलकर करीब एक करोड़ रुपए की रकम दुर्गेश को बेरोजगारों से इकट्ठा कर दी थी. इतना ही नहीं लेडी डॉन का करीबी मनीष यादव भी कम 420 नहीं है.
एक अलग एफआईआर दर्ज एंटी करप्शन से रिटायर हुए इंस्पेक्टर का बेटा मनीष यादव खुद फर्जी दारोगा बनकर घूमता था. पुलिस को उसके पास से सब इंस्पेक्टर का फर्जी आई कार्ड भी बरामद हुआ. पूछताछ की गई तो पता चला मनीष इस आई कार्ड से टोल पर लगने वाले टैक्स को नहीं देता था. लखनऊ पुलिस ने इस मामले में पलक ठाकुर मनीष यादव के साथ संतोष कुमार को भी गिरफ्तार किया है लेकिन तीन आरोपियों की तलाश जारी है. वहीं, दूसरी तरफ लखनऊ पुलिस ने हत्याकांड के अलावा नौकरी दिलाने के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़े में मिले दस्तावेजों पर एक अलग एफआईआर दर्ज की है. दर्ज कराई गई इस एफआईआर में मकान मालिक एके यादव भी जांच के दायरे में आ गए हैं जो खुद सचिवालय में समीक्षा अधिकारी हैं.
मंत्री के साथ तस्वीर लेडी डॉन पलक ठाकुर के इन्हीं विवादों के बीच उसके फेसबुक अकाउंट से मिली उत्तर प्रदेश सरकार के कानून मंत्री बृजेश पाठक के साथ की तस्वीर ने एक नया बखेड़ा खड़ा कर दिया. फेसबुक पर पलक ठाकुर ने बृजेश पाठक को अपना मुंहबोला भाई बताया और बीते साल उनको राखी बांधते हुए लंबी आयु की कामना की थी.
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