हरीश रावत ने UCC को बताया सनातन परंपराओं पर हमला, धामी सरकार पर बोला हमला
Uttarakhand UCC: उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के बाद सियासी गलियारों के साथ आम लोगों से मिली जुली प्रतिक्रिया मिल रही है. इसको लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत का बड़ा बयान सामने आया है.

Uttarakhand News Today: उत्तराखंड में बीते सोमवार से धामी सरकार ने समान नागरिक संहिता (UCC) कानून लागू कर दिया. राज्य में यूसीसी लागू होने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने इस कानून को प्रदेश की संस्कृति, परंपराओं और सामाजिक मूल्यों पर चोट करार दिया है.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि यह कानून संयुक्त परिवारों की अवधारणा को कमजोर करेगा और सनातन परंपराओं पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा. हरीश रावत के इस बयान के बाद बीजेपी नेताओं और समर्थकों ने उन पर तीखे हमले किए हैं. जिसके जवाब में उन्होंने अपनी स्पष्ट राय रखते हुए कहा कि सनातन धर्म विश्वास, आस्था और परंपराओं की शक्ति से आगे बढ़ा है और इसमें किसी भी तरह की राजनीतिक छेड़छाड़ से बचाना चाहिए.
पूर्व सीएम ने जताई चिंता
हरीश रावत ने कहा कि हिंदू धर्म में विवाह केवल एक कानूनी अनुबंध नहीं बल्कि जन्म-जन्मांतर का संबंध होता है. इसमें वैदिक परंपराओं और सामाजिक बंधनों की अहम भूमिका होती है, जो पारिवारिक मूल्यों को संरक्षित करते हैं. उन्होंने कहा कि UCC के लागू होने के बाद विवाह संबंधों को कानूनी रूप से एक अनुबंध की तरह देखा जाएगा, जिससे सामाजिक नियंत्रण कमजोर होगा. उन्होंने इस संदर्भ में लिव-इन रिलेशनशिप और विवाहेत्तर संबंधों को कानूनी मान्यता मिलने पर भी चिंता जताई.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने कहा, "हमारे समाज में शादी से पहले और शादी के बाद भी किसी अन्य व्यक्ति से संबंध बनाना सामाजिक रूप से स्वीकार्य नहीं था. मगर UCC में इसे कानूनी मान्यता मिल गई है." उन्होंने सरकार पर 'लव जिहाद' के नाम पर राजनीति करने और अब 'लिव-इन रिलेशनशिप जिहाद' को बढ़ावा देने का आरोप लगाया.
'संयुक्त परिवार व्यवस्था पर हमला'
हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड का समाज संयुक्त परिवार व्यवस्था पर टिका हुआ है. खासकर ग्रामीण इलाकों में कृषि आधारित परिवारों की संरचना इसी अवधारणा पर टिकी है, लेकिन UCC के तहत संपत्ति के बंटवारे को लेकर जो नए नियम आए हैं, वे धीरे-धीरे संयुक्त परिवार व्यवस्था को कमजोर करेंगे. उन्होंने कहा, "उत्तराखंड में कई परिवारों की आजीविका कृषि पर निर्भर है और पारंपरिक रूप से संयुक्त परिवारों में कृषि भूमि का सामूहिक स्वामित्व होता है."
उन्होंने यह सवाल उठाया कि उत्तराखंड का बड़ा हिस्सा पलायन कर चुका है और बाहर रह रहे लोगों पर इस कानून का क्या प्रभाव पड़ेगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है. "आधा उत्तराखंड पहले से ही बाहरी राज्यों में रह रहा है और वे राष्ट्रीय कानूनों से संचालित होते थे. अब इस नए कानून का उन पर क्या असर पड़ेगा, यह हमें भविष्य में देखने को मिलेगा."
संपत्ति बंटवारे पर क्या कहा?
हरीश रावत ने कहा कि सनातन परंपराएं केवल धार्मिक मान्यताओं से नहीं बल्कि समाज के नैतिक और पारिवारिक मूल्यों से जुड़ी हैं. उन्होंने राखी के बंधन का उदाहरण देते हुए कहा कि इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां एक धागे ने भी एक मुस्लिम शासक को युद्ध के लिए विवश कर दिया था, ताकि वह अपनी बहन की रक्षा कर सके. उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवार और पारिवारिक संपत्ति का बंटवारा केवल कानून के आधार पर नहीं बल्कि परंपराओं और सामाजिक व्यवस्था को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा, "परिवार अपनी सामर्थ्य से अधिक अपनी बेटी को देना चाहता है और देना भी चाहिए, लेकिन कानून हमारी भावनाओं को बांट सकता है." उन्होंने कहा, "यही कारण है कि हमें इस कानून के प्रभावों को गहराई से समझना होगा."
बीजेपी का कांग्रेस पर पलटवार
हरीश रावत के इस बयान पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस हमेशा 'तुष्टिकरण की राजनीति' करती आई है और अब हरीश रावत भी उसी रास्ते पर चल रहे हैं. बीजेपी नेताओं ने कहा कि UCC का मकसद सभी नागरिकों को समान अधिकार देना है न कि किसी परंपरा को कमजोर करना.
हरीश रावत के बयान पर सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली. बीजेपी समर्थकों ने उनके खिलाफ तीखी टिप्पणियां कीं और UCC का समर्थन करते हुए इसे ऐतिहासिक कदम बताया.
कांग्रेस पार्टी ने अभी तक उत्तराखंड के UCC पर कोई आधिकारिक स्टैंड नहीं लिया है. हालांकि, पार्टी के कई नेता इसके विरोध में अपनी राय रख चुके हैं. हरीश रावत ने इससे पहले भी कई बार UCC को लेकर आपत्ति जताई थी, लेकिन इस बार उन्होंने इसे सनातन परंपराओं और परिवार व्यवस्था का मुद्दा उठाते हुए धामी सरकार पर निशाना साधा है.
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