चैत्र नवरात्रि: मां मनसा देवी मंदिर में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, परिसर में रहा भक्तिमय माहौल
Chaitra Navratri 2025: मां मनसा देवी मंदिर में आने वाले श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी होने की कामना से वृक्ष पर धागा बांधते हैं. जब उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है, तो वे वापस आकर धागा खोलते हैं.

Maa Mansa Devi Temple News: चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर धर्मनगरी हरिद्वार में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है. शिवालिक पर्वतमाला पर स्थित मां मनसा देवी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ जुटी है. सुबह से ही श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए लंबी कतारों में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. मंदिर परिसर में भक्तजन पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि और मनोकामना पूर्ण होने की कामना कर रहे हैं.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां मनसा देवी भगवान शिव की मानस पुत्री मानी जाती हैं. कुछ धार्मिक ग्रंथों में उन्हें कश्यप ऋषि की पुत्री बताया गया है. मान्यता है कि मां मनसा नागराज वासुकी की बहन हैं. ‘मनसा’ शब्द का अर्थ होता है, मनोकामना. भक्तों का मानना है कि मां मनसा देवी की सच्चे मन से आराधना करने पर उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं.
मंदिर परिसर में भव्य मेले का होता है आयोजन
मंदिर में आने वाले श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी होने की कामना से वृक्ष पर धागा बांधते हैं. जब उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है, तो वे वापस आकर धागा खोलते हैं. नवरात्रि के अवसर पर मां मनसा देवी मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया है. मंदिर परिसर में भव्य मेले का आयोजन किया गया है, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए आ रहे हैं. श्रद्धालुओं ने विधिवत पूजा-अर्चना कर संपन्नता, सुख-शांति और कल्याण की कामना की.
मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने बताया कि नवरात्रि के अवसर पर मां के मंदिर में विशेष अनुष्ठान किए जा रहे हैं. मंदिर में दो प्रमुख प्रतिमाएं स्थापित हैं. एक प्रतिमा की 10 भुजाएं और पांच मुख हैं, जबकि दूसरी प्रतिमा की 18 भुजाएं हैं. मां मनसा को महिषासुर मर्दिनी के रूप में भी पूजा जाता है.
माता के दर्शन से कालसर्प दोष से मिलती है मुक्ति
मां मनसा देवी को नागराज वासुकी की बहन माना जाता है, इसलिए भक्तों की मान्यता है कि माता के दर्शन से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है. नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा-अर्चना कर कालसर्प दोष निवारण के लिए श्रद्धालु मां का आशीर्वाद लेते हैं. मंदिर के पुजारियों का कहना है कि यहां आकर भक्तजन मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करते हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब महिषासुर नामक दैत्य ने देवताओं को अत्यधिक परेशान कर दिया था, तब देवताओं ने भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश से रक्षा की गुहार लगाई. देवताओं की करुण पुकार सुनकर तीनों देवताओं के शरीर से एक दिव्य तेज पुंज प्रकट हुआ. अन्य देवताओं के तेज से भी एक शक्ति प्रकट हुई, जिससे मां दुर्गा का अवतार हुआ. मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर देवताओं को दैत्यों के अत्याचार से मुक्ति दिलाई.
भक्ति गीतों और मंत्रोच्चारण से मंदिर परिसर में हुआ भक्तिमय माहौल
कहा जाता है कि इसी घटना के बाद मां दुर्गा का एक रूप मनसा देवी के रूप में भी पूजित होने लगा. मां मनसा देवी को भक्तजन संकट नाशिनी और इच्छापूर्ति देवी के रूप में पूजते हैं. नवरात्रि के दौरान मंदिर में सुबह से ही लंबी कतारों में श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए इंतजार करते नजर आ रहे हैं. भक्तों ने मां के चरणों में नारियल, चुनरी, फल-फूल अर्पित किए. मंदिर परिसर में भक्ति गीतों और मंत्रोच्चारण से भक्तिमय माहौल बना हुआ है.
मंदिर परिसर में साफ-सफाई का रखा जा रहा विशेष ध्यान
नवरात्रि में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने विशेष सुरक्षा इंतजाम किए हैं. मंदिर के चारों ओर पुलिस और सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो. मंदिर परिसर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. श्रद्धालुओं का मानना है कि मां मनसा देवी की पूजा करने से सभी संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है. नवरात्रि के दौरान मंदिर में भक्तों की आस्था का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है. मंदिर प्रशासन का कहना है कि आने वामले दिनों में श्रद्धालुओं की संख्या में और वृद्धि होने की संभावना है.
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