सऊदी में लापता बस्ती का मुरली, मदद के लिए सांसद और अधिकारियों के चक्कर काट रहा है परिवार
उत्तर प्रदेश के बस्ती में रहने वाले मुरली चौहान का परिवार परेशान है. मुरली 3 साल पहले सऊदी अरब कमाने के लिए गए थे, लेकिन अब परिवार से उनका कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है.

बस्ती, सतीश श्रीवास्तव: रोजगार की तलाश में मुरली चौहान 3 साल पहले सऊदी अरब कमाने के लिए गए थे लेकिन 6 जून 2020 के बाद से उनका परिवार से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है. परिवार के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल है. मुरली चौहान के 4 साल और 6 साल के दो बेटे भी अपने पापा की याद में हर वक्त रोते रहते हैं. अब न तो सरकार ने कोई मदद की है और न ही उस एजेंट ने जिसके जरिए मुरली चौहान सऊदी गए थे. परिवार परेशान है और मदद के लिए सांसद और जिले के अधिकारियों के यहां चक्कर काटने को मजबूर है.
दरअसल, मुरली चौहान सऊदी अरब के हेल किंग फैसल अल्हमद कंसल्टेंट इंजीनियरिंग कंपनी में बतौर ड्राइविंग के पद पर नौकरी के लिए 1 जून 2018 को गए थे. सऊदी जाने के बाद से वो बस्ती लौटकर नहीं आए. पैकोलिया थाना क्षेत्र के बेलघाट गांव के रहने वाले मुरली के परिवार के सामने अब 2 जून की रोटी का इंतजाम करना भी मुश्किल हो गया है. बूढ़े बाप और मां अपने बेटे को याद करके रोते हैं. दो बेटे और एक बेटी पापा को वापस बुलाने की सरकार से गुहार लगा रही है. पत्नी अपने पति मुरली को किसी भी हाल में इंडिया वापस लाने के लिए भारत सरकार को भी पत्र भेज चुकी है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
मुरली चौहान के पिता का कहना है कि कप्तानगंज कस्बे के एक शख्स रामकुमार उपाध्याय ने उनके बेटे का वीजा और पासपोर्ट तैयार किया था, इसके अलावा कंपनी में नौकरी को लेकर भी रामकुमार ने अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन, अब जब मुरली चौहान से उनका कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है तो रामकुमार भी उनके बेटे के जीवित या मृत होने की कोई भी सही जानकारी नहीं दे रहे हैं.
रामकुमार उपाध्याय इस समय सऊदी में है और वो मुरली के साथ ही रहता करता था. लेकिन, अब वो मुरली के परिवार के लोगों के फोन भी रिसीव नहीं कर रहा है. परिवार के लोगों को शक हो रहा है कि मुरली चौहान के साथ कोई अप्रिय घटना हुई है और उन्हें सही जानकारी जानबूझकर नहीं दी जा रही है.
मुरली चौहान की पत्नी ने सांसद हरीश द्विवेदी को भी पत्र लिखकर भारत सरकार से सऊदी में लापता हुए पति के बारे में जानकारी और मदद मांगी थी. इसके बाद सांसद ने भारत सरकार और एंबेसी को पत्र भी लिखा लेकिन अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिस वजह से परिवार वालों का हौसला भी टूट रहा है.
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