Basti: मौत के बाद रिश्तेदारों ने बना ली थी दूरी, बेटी ने किया मां का अंतिम संस्कार
यूं तो रिवाजों के अनुसार लड़कियां न तो अंतिम संस्कार कर सकती हैं और न ही शमशान घाट जा सकती हैं. लेकिन बस्ती के पदमापुर गांव में जब रिश्तेदारों ने मुंह फेर लिया तो पूजा ने अपनी मां को मुखाग्नि दी.
Basti News. हिंदू धर्म में बेटियो को शमशान घाट में जाना वर्जित है. लेकिन एक बेटी ने इन सारे सामाजिक और धर्म के बंधनों को तोड़ते हुए अपनी मां का दाह संस्कार किया और शमशान घाट में जाकर मां की चिता को मुखाग्नि दी. यह सब देखकर सभी की आंखे नम हो गई.
बस्ती जनपद के कप्तानगंज थाना क्षेत्र के पदमापुर गांव में आज एक ऐसी घटना हुई जिसने सारे नियमों को दरकिनार करते हुए वो सब कुछ किया जिसकी इजाजत न तो कभी समाज देता है और न ही धर्म में इसकी कही कोई मान्यता है. दरअसल इस गांव की बुजुर्ग निवासी 65 वर्षीय आशा सिंह की बीमारी के दौरान आज निधन हो गया. आशा सिंह की सेवा उनकी दो बेटियां किया करती थी, जबकि एक बेटी अपने पति के साथ बाहर प्रदेश में रहती है.
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अंतिम संस्कार को आगे आई पूजा
आशा सिंह के पास कोई बेटा नहीं था, सो आज उनकी मौत की खबर जब आम हुई तो इस बात की चर्चा होने लगी कि आखिर आशा सिंह के पार्थिव शरीर का दाह संस्कार कौन करेगा. आशा सिंह के रिश्तेदारों ने पहले ही उनसे मोह मोड़ लिया था, लेकिन आशा की बड़ी बेटी पूजा ने सारी सामाजिक रीति रिवाजों के बंधन को तोड़ते हुए मां का दाह संस्कार करने का निर्णय लिया. उसके इस फैसले का गांव के लोगो ने स्वागत भी किया. मगर इस मौके पर उसके रिश्तेदारों का दिल नहीं पसीजा.
बेटियों ने दिया कांधा
आशा सिंह की दोनो बेटियों ने ग्रामीणों के सहयोग से अपनी मां की अर्थी को कंधा देते हुए शमशानघाट पहुंची. उन सारे नियमों का पालन किया जो एक बेटे को करना चाहिए था. हिंदू रीति रिवाज के अनुसार पूजा ने अपना फर्ज निभाते हुए मां की चिता को मुखाग्नि दी. पूजा के इस निर्णय की चर्चा अब हर तरफ हो रही है. पूजा का कहना है कि लड़कियों को भी किसी से कम नहीं समझना चाहिए. उन्होंने अपनी मां के लिए बेटी और बेटा दोनो का फर्ज निभाया है.
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