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Bahraich News: हजार साल पुरानी परंपरा के लिए सैकड़ों डोली लिए आती है बारात, पर नहीं होते हैं दूल्हा-दुल्हन
बहराइच में सैय्यद सलार मसूद गाजी की दरगाह में हर साल 300 बारातें आती हैं लेकिन इनमें दूल्हे नहीं होते हैं. यह बारात शादी की मन्नत पूरी होने पर यहां आती है.
UP News: आपने बारातें तो बहुत देखी होंगी लेकिन बिना दूल्हे की बारात न देखी होगी न सुनी होगी लेकिन यह सच है. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बहराइच (Bahraich) में सैय्यद सलार मसूद गाजी (Syed Salar Gazi) की दरगाह पर हर साल 300 बारातें आती हैं. यहां सबसे अनोखी बात यह देखने को मिलती है कि इस बारात में न दूल्हा होता है न दुल्हन लेकिन बारात में हजारों बाराती डोली और दहेज के साथ शामिल रहते हैं. बारात की यह परम्परा एक हजार साल पुरानी है.
श्रद्धालुओं में 80 प्रतिशत होते हैं हिंदू
सैय्यद सलार मसूद गाजी की दरगाह पर जेठ माह में मेला लगता है जो एक माह तक चलता है. इस मेले की खास बात यह है कि श्रद्धालुओं में 80 प्रतिशत हिंदू होते हैं. यहां सभी धर्मो के लोग अपनी अपनी तरह से अकीदत पेश करते हैं. कोई त्रिशूल गाड़कर गाजी बाबा की पूजा अर्चना करता है तो कोई फातिया पढ़ करके दुआ करता है. किसी पर किसी तरह की पाबन्दी या रोक नहीं है. आम तौर पर किसी दरगाह पर नाच गाने ढोल, तमाशे, गोले और पटाखे की इज़ाज़त नहीं होती लेकिन यहां गाजी के दीवाने एक माह तक झूमते नाचते गाते पटाखे फोड़ते नजर आते हैं. बारात लाने की परम्परा मुराद पूरी होने से जुड़ी है जिसकी मुराद पूरी होती है वो बारात लेकर आता है. बारात को लेकर यहां एक अलग तरह की मान्यता है. बताया जाता है कि गाजी बाबा की शादी नहीं हुई थी इसी वजह से लोग मन्नतो की बारात लेकर आते हैं.
ऐसे शुरू हुआ दरगाह आने का सिलसिला
बाराबंकी के रुदौली शरीफ के नबाब रुकनुद्दीन की बेटी जोहरा बीबी दृष्टिहीन थी. उनकी मां ने अपनी बेटी की आंखों की रोशनी के लिए गाजी दरगाह में मिन्नत मांगी. इस मिन्नत के बाद जोहरा की आंखों में रौशनी आ गई.आंखों में रोशनी आने के बाद जोहरा बीबी इस दरगाह पर ही रह गई.जोहरा बीबी की शादी तय हो चुकी थी लेकिन आंखों की रोशनी आने के बाद उन्होंने घर जाने से इनकार कर दिया. जोहरा के परिवार ने उनकी शादी का सामान लेकर वहीं आ गए. जिसके बाद मुराद पूरी होने पर यहां बारात लेकर आने का सिलसिला शुरू हो गया.
बाराबंकी के रुदौली शरीफ के नबाब रुकनुद्दीन की बेटी जोहरा बीबी दृष्टिहीन थी. उनकी मां ने अपनी बेटी की आंखों की रोशनी के लिए गाजी दरगाह में मिन्नत मांगी. इस मिन्नत के बाद जोहरा की आंखों में रौशनी आ गई.आंखों में रोशनी आने के बाद जोहरा बीबी इस दरगाह पर ही रह गई.जोहरा बीबी की शादी तय हो चुकी थी लेकिन आंखों की रोशनी आने के बाद उन्होंने घर जाने से इनकार कर दिया. जोहरा के परिवार ने उनकी शादी का सामान लेकर वहीं आ गए. जिसके बाद मुराद पूरी होने पर यहां बारात लेकर आने का सिलसिला शुरू हो गया.
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
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