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Rajasthan: उदयपुर में जर्मनी की मशरूम का उत्पादन, कैंसर के मरीजों के लिए वरदान, जानिए कितनी है कीमत?
Udaipur News: उदयपुर के एक विश्वविद्यालय में जर्मनी की मशरूम का उत्पादन हुआ. मशरूम की खासियत है कि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ कैंसर मरीजों के लिए उपयोगी है.
उदयपुर का महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जिसके द्वारा कृषि क्षेत्र में कई नवाचार किए हैं. इसी में एक नवाचार इसी विश्वविद्यालय के राजस्थान कृषि महाविद्यालय ने किया है. यहां वैज्ञानिकों ने जर्मनी में उगने वाली मशरूम में पहली बार देश में उगाया है. बड़ी बात है कि मशरूम कैंसर मरीज के लिए वरदान है. वैसे तो इसका जापान में बड़ी मात्रा में उत्पादन किया जा रहा है लेकिन अब यहां भी शुरू हो गया है. इस मशरूम का नाम है शिताके मशरूम.
शिताके मशरूम 1400 रुपए किलो के भाव से मिलती है
राजस्थान कृषि महाविद्यालय के कॉलेज के डीन श्याम सुंदर शर्मा ने बताया कि शिताके मशरूम एक महत्वपूर्ण कैंसर रोधी मशरूम है और इसका प्रभाव भी सिद्ध हो चुका है. इसका उत्पादन लकड़ी के बुरादे पर ही हो सकता है क्योंकि प्रकृति में भी यह लकड़ी पर ही पाई जाती है. यह मुख्य जर्मनी की है और वहीं से मंगवाकर था उत्पादित की गई है. वहां 14 डिग्री तापमान में होती है लेकिन यहां 18-22 डिग्री तापमान में उगाई है.
बाजार में यह 1400 रुपए किलो में मिलती है. अगर यहां वृहद स्तर पर उत्पादित की जाए तो लोगों को फायदा होगा. कॉलेज ने मशरूम परियोजना में इस मशरूम के उत्पादन की वृहद स्तर पर करने का कार्य शुरू कर दिया है.
मशरूम कैंसर पीड़ितों के लिए वरदान
गेनोडर्मा मशरूम का विकास और उत्पादन की तकनीक राजस्थान के वातावरण के लिए विकसित की गई. ये दोनों मशरूम भी कैंसर पीड़ितों के लिए वरदान साबित हुई एवं अब इन दोनों का वृहद स्तर पर उत्पादन शुरू कर दिया गया है.
उत्पादन तकनीकी की जटिलताओं को सरल किया गया है एवं मशरूम उत्पादकों में इन मशरूम को उगाने में काफी उत्साह देखा जा रहा है. इसे रेशी मशरूम के नाम से भी जाना जाता है. इसमें पाये जाने वाले रोग रोधी तत्वों जैसे एन्टीआक्सीडेन्ट्स ट्राइटरपींस और विभिन्न तरह के सूक्ष्म अवयव जो रोग रोधी क्षमता बढ़ाते हैं. इसका विशेष महत्व भी कैंसर रोकने में पाया गया है.
पोर्टाबेला मशरूम
इसे भूरी बटन मशरूम भी कहते हैं. इसकी औषधीय क्षमता अन्य सफेद बटन से बहुत अधिक है. मशरूम परियोजना में इसके बड़े आयाम स्थापित हुए हैं. इसका प्रचार एवं प्रसार वृहद स्तर पर हुआ है. इस मशरूम में भी कैंसर रोधी गुण पाए जाते हैं.
पिछले 2 वर्षो में इसका उत्पादन 18 प्रतिशत तक आ गया है. इसके सफल उत्पादन के लिए 20-20 डिग्री तापमान उपयुक्त है. उन्होंने बताया कि सभी मशरूम की उत्पादन लागत एवं बाजार भाव के अनुसार शुद्ध लाभ 100 रूपये पर 400 रूपये मिलता है. वर्तमान में सभी इच्छुक व्यक्ति परियोजना में आकर उत्पादन देख सकते हैं. इन मशरूम को उगाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है.
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डॉ. अमित सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर
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