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Haryana: सरपंचों के बाद अब नगर परिषद-नगर पालिका के प्रधानों की पावर में कटौती, जानिए क्या है पूरा मामला
Chandigarh News: हरियाणा में पहले सरपंचों की और अब नगर परिषद और नगर पालिका के प्रधानों की पावर पर सरकार ने कैंची चला दी. सरकार ने इसको लेकर एक नोटिफिकेशन भी जारी किया है.
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Haryana News: हरियाणा सरकार पंचायती राज अधिनियन 1995 में संशोधन कर जहां एक तरफ ग्राम पंचायतों में विधायकों की 'पावर' बढ़ाई तो सरपंचों की पावर खत्म कर दी. वहीं अब सरकार ने नगर परिषद और नगर पालिका के प्रधानों की पावर पर भी बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने इन प्रधानों की ड्राइंग एंड डिस्बर्समेंट पावर खत्म कर दी है. जिससे अब प्रधान किसी भी विकास कार्य और अन्य खर्च को लेकर चेक पर अपने हस्ताक्षर नहीं कर सकते. सरकार की तरफ से इसको लेकर एक नोटिफिकेशन भी जारी किया गया है.
किसे मिले हस्ताक्षर के अधिकार
हरियाणा सरकार की तरफ से जारी किए गए इस नोटिफिकेशन के अनुसार अब मुख्य कार्यकारी अधिकारी, कार्यकारी अधिकारी या सचिव और लेखा प्रभारी अधिकारी संयुक्त रूप से विकास कार्य और अन्य खर्च को लेकर चेक पर हस्ताक्षर कर सकते है. इसके अलावा विकास कार्यों के अलावा नगर परिषद और पालिकाओं की ओर दी जाने वाली कार्यों की स्वीकृति पहले की तरह ही रहने वाली है. यानि विकास कार्यों की मंजूरी प्रधान और पार्षदों के बोर्ड के पास रहने वाली है.
सरकार ने 1930 के नियमों में किया संशोधन
सरकार की तरफ से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार 1 करोड़ तक के काम और किसी भी टेंडर में 5 प्रतिशत तक एस्टीमेट से अधिक रेट की स्वीकृति प्रधान की अध्यक्षता में गठित वित्त एवं अनुंबंध कमेटी के पास ही रहने वाली है. शहरी स्थानीय निकाय विभाग के आयुक्त एवं सचिव विकास गुप्ता ने नगर पालिका अधिनियम 1973 की धारा 257 की उपधारा एक और 2 में नगर पालिका लेखा संहिता 1930 में संशोधन किया है.
सरपंचों को लेकर क्या बना नया नियम
अभी कुछ दिन पहले पंचायती राज अधिनियन 1995 में संशोधन को मंजूरी देकर जहां विधायकों की ग्राम पंचायतों में पावर बढ़ाई गई. वहीं सरपंच ग्रांट का पैसा मनमर्जी से खर्च नहीं कर पाएंगे. उन्हें मुख्यालय से मिले आदेशों के आधार पर ही काम करना होगा.
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