Ajit Pawar: संभाजी विवाद पर बोले अजित पवार- 'मैंने कभी किसी राष्ट्रीय हस्ती का नहीं किया अपमान', बीजेपी का ये है आरोप
Chhatrapati Sambhaji Maharaj: एनसीपी नेता अजित पवार ने छत्रपति शिवाजी महाराज विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, मैंने कभी किसी राष्ट्रीय हस्ती का अपमान नहीं किया है.

Maharashtra Politics News: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने बुधवार को कहा कि उन्होंने कभी किसी राष्ट्रीय हस्ती का अपमान नहीं किया और बीजेपी के नेताओं पर ऐसा करने तथा इसके लिए माफी नहीं मांगने का आरोप लगाया. पवार ने कहा कि वह मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज के लिए ‘स्वराज्य-रक्षक’ (स्वराज्य के रक्षक - स्वतंत्र मराठा राज्य) के उपयोग का समर्थन करते हैं, क्योंकि यह उनकी उपलब्धियों के साथ न्याय करता है.
'छत्रपति संभाजी का करते हैं बहुत सम्मान'
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता पवार ने कहा कि वह छत्रपति संभाजी का बहुत सम्मान करते हैं. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मैंने कभी किसी राष्ट्रीय हस्ती के खिलाफ नहीं बोला... बीजेपी मेरे खिलाफ विरोध प्रदर्शन करा रही है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र के राज्यपाल (भगत सिंह कोश्यारी) ने राष्ट्रीय हस्ती के खिलाफ टिप्पणी की है, ऐसे कई बीजेपी के विधायक और नेता हैं जिन्होंने अपनी टिप्पणी के लिए माफी भी नहीं मांगी है.’’
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के अनुसार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के विधायक और विपक्ष के नेता अजीत पवार ने छत्रपति संभाजी महाराज को 'स्वराज्य रक्षक' कहे जाने के अपने पहले के बयान को दोहराते हुए बुधवार को कहा कि माफी मांगने या इस्तीफा देने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि उन्होंने न तो किसी का अपमान किया है और न ही कोई विवादित बयान दिया है.
पवार ने कहा कि उनके खिलाफ बीजेपी का विरोध राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और बीजेपी नेताओं को बचाने का एक तरीका था, जो महाराष्ट्र के आइकन के खिलाफ "अपमानजनक बयान" दे रहे हैं. उन्होंने कहा, 'बीजेपी के कई विधायक और नेता मुझसे कह रहे हैं कि उन्हें शीर्ष नेतृत्व ने मेरे खिलाफ प्रदर्शन करने का निर्देश दिया है. बीजेपी के ये नेता भी मुझसे पूछ रहे हैं कि मेरे बयान में गलत क्या है. मैंने छत्रपति संभाजी महाराज को 'स्वराज्य रक्षक' कहा. यह एक व्यापक शब्द है जो छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित स्वराज्य में प्रत्येक व्यक्ति और यहां तक कि धर्मों को भी शामिल करता है.
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