महाराष्ट्र: खराब दाल मिलने पर भड़के एकनाथ शिंदे की पार्टी के विधायक संजय गायकवाड़, कैंटीन वाले को पीटा
महाराष्ट्र में शिवसेना के विधायक संजय गायकवाड़ ने खराब दाल मिलने पर कैंटीन कर्मचारी से मारपीट की. वीडियो वायरल होने के बाद उनके बर्ताव पर सवाल उठे, लेकिन उन्होंने इसे जायज ठहराया.

महाराष्ट्र में शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट के विधायक संजय गायकवाड़ ने आकाशवाणी एमएलए हॉस्टल में कैंटीन वाले के साथ मारपीट की. विधायक गायकवाड़ ने खाने का ऑर्डर दिया था, तब खराब दाल उन्हें दी गई. संजय गायकवाड़ दाल से बदबू आने पर अपना आपा खो बैठे और उन्होंने कैंटीन चालक पर हमला बोल दिया.
यह पूरी घटना मुंबई के चर्चगेट स्थित आकाशवाणी एमएलए हॉस्टल की कैंटीन में घटी, जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में विधायक की सार्वजनिक व्यवहार शैली पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन विधायक गायकवाड़ ने न सिर्फ अपनी हरकत का बचाव किया बल्कि इसे 'शिवसेना स्टाइल' भी बताया.
महाराष्ट्र शिवसेना शिंदे गुट के विधायक संजय गायकवाड़ ने मुंबई आकाशवाणी एमएलए हॉस्टल में कैंटीन वाले की पिटाई कर दी. मामला खराब दाल से जुड़ा है. दरअसल विधायक गायकवाड़ ने खाने का ऑर्डर दिया था. खाना जब उनके पास आया तो पता चला कि खराब दाल सर्व की गई है. दाल से बदबू आ रही थी. ऐसा लग… pic.twitter.com/IfC3RmiiQk
— ABP News (@ABPNews) July 9, 2025
क्या है पूरा मामला?
बुलढाणा से विधायक संजय गायकवाड़ ने कैंटीन में थाली मंगवाई थी. जब उन्हें खाना परोसा गया, तो उन्होंने देखा कि दाल से दुर्गंध आ रही है. वह बिना कपड़े बदले, कमर में तौलिया लपेटे सीधे कैंटीन पहुंचे और दाल किसने बनाई, यह पूछने लगे. वीडियो में वह लोगों को दाल सूंघने के लिए कहते दिख रहे हैं.
उन्होंने बताया कि दाल खाने के बाद उन्हें उल्टी हुई और पेट में दर्द होने लगा. गायकवाड़ गुस्से में कैंटीन मैनेजर को बुलाने कहते हैं और जब वह आता है, तो उसे दाल सूंघने को कहते हैं. इसके तुरंत बाद वह उसे थप्पड़ मारते हैं और फिर दो और थप्पड़ जड़ देते हैं. इसके बाद गायकवाड़ उसे इतनी जोर से मुक्का मारते हैं कि वह जमीन पर गिर पड़ता है.
कई बार शिकायत की है, फिर भी सुधरते नहीं- संजय गायकवाड़
इस मामले पर उन्होंने कहा, "मैंने दाल-चावल और दो रोटियां मंगाई थीं. दो-तीन निवाले खाए और उल्टी हो गई. कई बार शिकायत की है, फिर भी सुधरते नहीं. ये रोज हजारों लोगों की सेहत से खेल रहे हैं. जब मैंने मैनेजर को बुलाकर दाल सूंघाई, तो उसने भी माना कि यह खाने योग्य नहीं है. पिछले कई सालों से शिकायत कर रहा हूं कि ताजा खाना दिया जाए, लेकिन ये सुनते नहीं. जब कोई समझने को तैयार न हो, तो वही भाषा बोलनी पड़ती है जो बाला साहेब ठाकरे ने सिखाई थी.”
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