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बॉम्बे हाईकोर्ट ने बदला अपना आदेश, दंपत्ति को रोज तीन घंटे दी गोद लिए बच्चे से मिलने की अनुमति
Bombay High Court Order: बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में बदलाव किया है. कोर्ट ने अब हैदराबाद के दंपत्ति को गोद लेने वाले बच्चे को प्रतिदिन 3 घंटे देखने की अनुमति दी है.
![बॉम्बे हाईकोर्ट ने बदला अपना आदेश, दंपत्ति को रोज तीन घंटे दी गोद लिए बच्चे से मिलने की अनुमति Bombay High Court changed its order allowed Hyderabad couple to see adopted child for 3 hours day बॉम्बे हाईकोर्ट ने बदला अपना आदेश, दंपत्ति को रोज तीन घंटे दी गोद लिए बच्चे से मिलने की अनुमति](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/17/bf3ece176bc9da365cabcb228609cf131715940362564359_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Bombay High Court News: बॉम्बे हाई कोर्ट ने हैदराबाद के एक दंपत्ति को अपने 7 महीने के गोद लिए बच्चे (Adopted Children) से सप्ताह में छह दिन रोजाना तीन घंटे मिलने की अनुमति दी है. न्यायमूर्ति संदीप मार्ने और न्यायमूर्ति नीला गोखले की अवकाश पीठ ने मंगलवार को पारित अपने आदेश में संशोधन किया है, जहां उन्हें रोजाना 12 घंटे मुलाकात का अधिकार दिया गया था.
उन्होंने कहा, "तदनुसार यह निर्देशित किया जाता है कि याचिकाकर्ताओं को सोमवार से शनिवार तक हर दिन दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे के बीच बच्चे से मिलने का अधिकार होगा."
दंपति ने बाल कल्याण समिति को बच्ची को पेश करने और उसकी अभिरक्षा उन्हें सौंपने का निर्देश देने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी. उनकी याचिका में कहा गया है कि 2015 में उनकी शादी के बाद से पत्नी का तीन बार गर्भपात हो चुका है. उनकी चाची ने उन्हें विशाखापत्तनम के एक कपल से मिलवाया जो पांचवें बच्चे को गोद लेना चाहते थे.
गुरुवार को ट्रस्ट की वकील अंकिता सिंघानिया ने उच्च न्यायालय से 14 मई के आदेश को संशोधित करने और याचिकाकर्ताओं की मुलाकात को सप्ताह में एक बार एक घंटे तक सीमित करने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा कि घर में कुछ दिनों से लेकर 12 महीने की उम्र के 47 बच्चे हैं. उन्हें प्रतिदिन 12 घंटे मिलने की अनुमति देने से न केवल तार्किक कठिनाइयां पैदा होंगी, बल्कि बच्चे की गतिविधियों में भी बाधा आएगी जिसमें भोजन और नींद भी शामिल है.
सिंघानिया ने कहा, "अगर उन्हें उससे मिलने की अनुमति दी गई और बाद में जैविक मां वापस आ गई तो इससे बच्चे को अत्यधिक मनोवैज्ञानिक आघात पहुंचेगा." न्यायाधीशों ने ट्रस्ट को याद दिलाया कि यह "बेहद सीमित" भूमिका वाली "सिर्फ एक देखभाल करने वाली एजेंसी" है.
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