'मैं पीछे बैठा होता तो नहीं बचता, 55 लोग जलकर मर गए', शख्स ने सुनाई 32 साल पहले विमान हादसे की दास्तां
Ahmedabad Plane Crash: अहमदाबाद विमान हादसे ने परभणी निवासी वसंत चव्हाण को 1993 की भीषण विमान दुर्घटना की भयावह यादों से झकझोर दिया. उस हादसे में वे सिर्फ सीट बदलने से बच गए थे.

Ahmedabad Air India Plane Crash: अहमदाबाद में गुरुवार (12 जून) को हुए एअर इंडिया के विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया है. यह दर्दनाक हादसा महाराष्ट्र के परभणी निवासी और पूर्व महापौर वसंत चव्हाण के लिए किसी पुराने जख्म को कुरेदने जैसा रहा.
चव्हाण को 32 साल पहले हुए एक भयानक विमान दुर्घटना की यादें फिर से सताने लगीं, जब 26 अप्रैल 1993 को औरंगाबाद-मुंबई इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट उड़ान भरते ही हादसे का शिकार हो गई थी. उस दुर्घटना में 112 में से 55 लोगों की जान चली गई थी.
वसंत चव्हाण ने बयां की अपनी कहानी
वसंत चव्हाण उस समय उस विमान में सवार थे और यह उनकी सीटिंग पोजीशन ही थी जिसने उनकी जान बचा ली. पीटीआई के अनुसार, उन्होंने बताया कि हादसे के वक्त वे कॉकपिट के पास बैठे थे, जबकि विमान का पिछला हिस्सा, जहां ईंधन टैंक था, आग की चपेट में आ गया था.
चव्हाण ने एक चैनल से बातचीत में बताया, “अगर हम पीछे की सीट पर होते, तो शायद जिंदा न बचते.” हादसे की विभीषिका को याद करते हुए उन्होंने बताया कि विमान का लैंडिंग गियर टेकऑफ के समय रनवे के किनारे एक ट्रक से टकरा गया था और फिर हाई टेंशन तारों से टकराकर विमान तीन हिस्सों में टूट गया था.
कॉकपिट के पास बैठने का निर्णय जीवनरक्षक साबित हुआ- चव्हाण
चव्हाण ने बताया कि वह कांग्रेस नेता रामप्रसाद बोर्डीकर के साथ मुंबई में एक कार्यक्रम के लिए जा रहे थे. वे पहले से सुनिश्चित नहीं थे कि उन्हें टिकट मिलेगा भी या नहीं, लेकिन परभणी के एक परिवार ने अपने टिकट रद्द कर दिए, जिससे उन्हें यात्रा का मौका मिला. उन्होंने कहा, “हमने पीछे की सीटें लेने के बजाय कॉकपिट के पास बैठने का निर्णय लिया और यह निर्णय हमारे लिए जीवनरक्षक साबित हुआ.”
अहमदाबाद विमान हादसे ने न केवल देश को गमगीन किया है, बल्कि ऐसे लोगों की भावनाओं को भी झकझोर दिया है जिन्होंने पहले ऐसे भयावह अनुभवों का सामना किया है. चव्हाण ने बताया कि आज भी जब कोई विमान हादसे की खबर आती है, तो उनकी सांसें थम जाती हैं और आंखों के सामने वह 1993 की दुर्घटना ताजा हो जाती है. उनके अनुभव इस बात की मिसाल हैं कि कुछ फैसले, जैसे कहां बैठना है, किस्मत को भी बदल सकते हैं.
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