Jharkhand: मां ने स्मार्टफोन खरीदने से मना किया तो बेटे ने कर ली आत्महत्या, फंदे पर लटका मिला शव
Jharkhand News: झारखंड के दुमका जिले में 12 वर्षीय लड़के ने मां द्वारा आर्थिक तंगी के कारण स्मार्टफोन न दिलाने पर नाराज होकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. घटना के बाद पुलिस जांच में जुटी है.

झारखंड के दुमका जिले से एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां 12 वर्षीय एक बच्चे ने अपनी मां द्वारा स्मार्टफोन न दिलाने पर नाराज होकर आत्महत्या कर ली. यह घटना दुमका के सरैयाहाट थाना क्षेत्र अंतर्गत मथाकेशो गांव में गुरुवार (11 सितंबर) को घटी. पुलिस ने मामले की पुष्टि की है.
जानकारी के अनुसार मृतक बच्चे की मां बद्रिका देवी (40) से वह अक्सर स्मार्टफोन दिलाने की जिद करता था. परिजनों का कहना है कि बच्चे को पढ़ाई और अन्य कार्यों के लिए स्मार्टफोन चाहिए था, लेकिन मां ने आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए बार-बार उसकी मांग ठुकरा दी. इस बात को लेकर घर में अक्सर विवाद होता रहता था.
बहस के बाद फंदे से लटका पाया गया
सरैयाहाट थाना प्रभारी राजेंद्र यादव ने बताया कि गुरुवार सुबह बच्चा स्कूल से लौटा और फिर मां से स्मार्टफोन की जिद करने लगा. दोनों के बीच इस मुद्दे पर बहस भी हुई. इसके बाद मां खेत में काम करने चली गई.
जब वह दोपहर को घर लौटीं तो देखा कि उनका बेटा कच्चे मकान की छत से कपड़े के सहारे फंदे पर लटका हुआ है. यह दृश्य देखकर मां बदहवास हो गई और शोर मचाने लगी. पड़ोसियों की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा.
मृतक के पिता बेंगलुरु में करते हैं मजदूरी
परिवार के बारे में मिली जानकारी के अनुसार, लड़के के पिता बेंगलुरु में संविदा मजदूर के रूप में काम करते हैं और परिवार का खर्च वहीं से भेजी गई मजदूरी पर चलता है. आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण मां स्मार्टफोन नहीं खरीद सकी.
घटना के बाद पुलिस जांच में जुटी
थाना प्रभारी ने बताया कि मामले में प्रारंभिक जांच की जा रही है. परिजनों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं. फिलहाल, इसे आत्महत्या का मामला माना जा रहा है.
समाज में गहराता स्मार्टफोन का प्रभाव
इस घटना ने एक बार फिर समाज में बच्चों के बीच स्मार्टफोन की बढ़ती लत और उसके दुष्प्रभावों को उजागर किया है. विशेषज्ञों का मानना है कि स्मार्टफोन बच्चों के जीवन का अहम हिस्सा बन गया है, लेकिन आर्थिक सीमाओं और पारिवारिक हालात के कारण जब उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं तो वे तनाव और अवसाद में चले जाते हैं.
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