हिमाचल में खतरे की घंटी! 176 फीसदी बढ़ी लाहौल की घेपन झील, टूटी तो पाकसिस्तान तक मच जाएगी तबाही
Himachal Pradesh news: सैटेलाइट अध्ययन में पता चला है कि हिमाचल की घेपन झील का दायरा 33 साल में 176% बढ़ा है. विशेषज्ञों का कहना है, झील टूटी तो जम्मू-कश्मीर से पाकिस्तान तक तबाही मच सकती है.

लाहौल की घेपन झील का दायरा 33 साल में 176% बढ़ गया है. यह खुलासा सैटेलाइट से हुए अध्ययन में सामने आया है. ग्लेशियरों के पिघलने से बनी हिमाचल की सबसे बड़ी इस झील में 35.08 मिलियन क्यूबिक मीटर तक पानी भर गया है. समुद्र तल से 13,583 फीट की ऊंचाई पर लाहौल की घेपन झील लगभग 101.30 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली हुई है. ढाई किलोमीटर लंबी यह झील चिनाब घाटी के लिए गंभीर खतरा बन गई है. नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर ने चेताया है कि यदि यह झील टूटी तो जम्मू से पाकिस्तान तक तबाही मचा सकती है.
सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय का केंद्रीय जल आयोग और सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग भी कई दशकों से लाहौल की झील पर अध्ययन कर रहे हैं. अब झील का कुल क्षेत्रफल 101.30 हेक्टेयर हो गया है. इसकी लंबाई 2.464 किलोमीटर और चौड़ाई 625 मीटर है. ग्लेशियरों के पिघलने से बनी हिमाचल की सबसे बड़ी इस झील में 35.08 मिलियन क्यूबिक मीटर तक पानी है.
चिनाब घाटी के लिए खतरे की घंटी
रिपोर्ट में कहा गया है कि झील के बढ़ते आकार और ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने के कारण अगर पानी का स्तर लगातार ऐसे ही बढ़ता रहा तो इसके अचानक टूटने की आशंका भी बढ़ जाएगी. विशेषज्ञों के अनुसार यदि झील टूटती है तो इसका असर सिर्फ लाहौल घाटी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान की चिनाब नदी से सटे रिहायशी इलाकों तक को भारी नुकसान हो सकता है.
झील में जल्द लगेगा अर्ली वार्निंग सिस्टम
लाहौल-स्पीति की उपायुक्त (DC) किरण भड़ाना ने बताया कि विशेषज्ञों और तकनीकी टीम ने हाल ही में झील का निरीक्षण किया है. जल्द ही झील में हिमाचल का पहला अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित किया जाएगा. यह सिस्टम सैटेलाइट के माध्यम से काम करेगा व मौसम विभाग और प्रशासन को आपदा की पूर्व सूचना देगा. यह तकनीक न केवल लाहौल घाटी, बल्कि चिनाब नदी से सटे जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रों को भी संभावित आपदा से बचाने में मील का पत्थर साबित होगी. लगभग दो दशक से हिमालयी इलाकों में ग्लोबल वार्मिंग का असर देखा जा रहा है. लाहौल-स्पीति जिले में अब पर्यटन गतिविधियों के साथ वाहनों की संख्या बढ़ने लगी है. इससे बर्फ की चोटियां और ग्लेशियर पिघलने लगे हैं. इसे भी घेपन झील का दायरा बढ़ने का कारण माना जा रहा है.
घेपन झील: प्राकृतिक सौंदर्य और खतरे का संगम
घेपन झील हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले की एक प्रसिद्ध ग्लेशियर झील है, जो सिस्सू गांव के ऊपर, समुद्र तल से लगभग 13,583 फीट (4,130 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है. स्थानीय भाषा में इसे घेपन घाट झील या Ghepan Ghat Lake भी कहा जाता है. सिस्सू से 6-7 घंटे की ट्रैकिंग के बाद इस झील तक पहुंचा जा सकता है. मनाली-लेह हाईवे पर स्थित सिस्सू गांव से ट्रैकिंग शुरू होती है, जिसे पूरा करने में सामान्यतः 3–5 दिन लगते हैं. घेपन झील प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जितनी प्रसिद्ध है, उतना ही आज यह पर्यावरण और स्थानीय आबादी के लिए चिंता का विषय भी बन गई है.
Source: IOCL





















