दिल्ली कांग्रेस का BJP पर बड़ा आरोप, देवेंद्र यादव ने चुनाव आयोग से की ये अपील
Delhi News: देवेंद्र यादव ने चुनाव आयोग (EC) से मांग की है कि नियमानुसार सिर्फ स्थायी रूप से दूसरी जगह शिफ्ट होने वाले कर्मचारियों और मृतक मतदाताओं के नाम ही वोटर लिस्ट से काटें जाएं.
Delhi Latest News: दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर मतदाता सूची से केंद्रीय कर्मचारियों के नाम कटवाने का आरोप लगाया है. इस संबंध में दिल्ली कांग्रेस के बूथ मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन राजेश गर्ग ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखा है. उन्होंने चुनाव आयोग से इस बाबत जरूरी कदम उठाने की भी अपील की है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि नियमानुसार ही मतदाताओं के नाम हटाएं जाएं.
देवेंद्र यादव के मुताबिक इस बाबत दिल्ली कांग्रेस बूथ मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन राजेश गर्ग ने अपने पत्र में लिखा है कि पिछले महीने निर्वाचन अधिकारी ने अपने कार्यालय में राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग की थी. उस मीटिंग में बीजेपी नेता और पूर्व विधायक सुभाष सचदेवा ने दिल्ली में रह रहे केंद्र सरकार के उन 41 हजार कर्मचारियों के वोट काटने की मांग की थी, जो अपने पते से कहीं और शिफ्ट हो गए हैं.
सरकारी कर्मचारी केंद्र की नीतियों से त्रस्त
देवेंद्र यादव ने ये भी कहा कि दिल्ली कांग्रेस ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मांग की है कि नियम के अनुसार सिर्फ स्थायी रूप से दूसरी जगह शिफ्ट होने वाले कर्मचारियों और मृत मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से काटने का सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि ये नियम दिल्ली के सभी मतदाताओं पर लागू होता है, लेकिन बीजेपी ने सिर्फ केंद्र सरकार के कर्मचारियों के परिवारों वोट काटने की बात इसलिए कर रही है कि जब भी बीजेपी केंद्र में सरकार रही है, उन्होंने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के हितों की अनदेखी की है.
उनके मुताबिक केंद्र सरकार के कर्मचारी बीजेपी की नीतियों से त्रस्त हैं. इससे बीजेपी को लगता है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के परिवारों के वोट उनके खिलाफ पड़ेंगे. यादव ने कहा शिफ्ट होने वाले कर्मचारी सैटल होकर ही अपना नाम नए स्थान पर मतदाता सूची या अन्य कागजों में जुड़वा पाते हैं.
इसलिए उन्होंने मुख्य निर्वाचन अधिकारी से अनुरोध किया है कि इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए करवाई नियमों के तहत हो, ना कि सत्ता में बैठे दलों की सहूलियत के अनुसार.
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