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Jashpur News: कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर रकबीर का परिवार, इस वजह से प्रशासन ने सील कर दिया घर

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिला स्थित बगीचा नगर पंचायत क्षेत्र में एक परिवार इस कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे सोने पर मजबूर है. उनके सिर पर न तो छत है और न ही उनके पास रहने के लिए कोई घर.

Jashpur Latest News: जब कोई परिवार इस कड़कड़ाती ठंड में पूरी रात अपने बच्चों के साथ खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हो जाए तो सवाल सीधे सरकार पर खड़े होते हैं. सवाल उस सिस्टम पर खड़े होते हैं, जिसे सरकारी सिस्टम कहा जाता है. जशपुर के बगीचा में ऐसी अमानवीयता देखने को मिली कि पूरा परिवार 9 डिग्री टेम्प्रेचर की कड़कड़ाती ठंड में पूरी रात न्याय के इंतजार में खुले आसमान के नीचे पड़ा रहा और किसी ने उनकी कोई सुध नहीं ली.

दरअसल मामला जशपुर जिले के बगीचा नगर पंचायत क्षेत्र का है. जहां सुखबासुपारा में रकबीर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ लंबे समय से निवास कर रहा था. घर बनाते वक्त उसके पैर की हड्डी टूट गई और अधूरा घर छोड़कर वह अपने इलाज के लिए दमगड़ा चला गया. इस बीच उस जमीन पर बने अधूरे घर का निर्माण कार्य पूरा कर ग्राम पंचायत सचिव करमचंद व उसके परिवार ने कब्जा कर लिया. इस दौरान रकबीर का पूरा परिवार दर दर न्याय के लिए भटकता रहा, पर उनकी किसी ने सुध नहीं ली. 

इसके बाद मंगलवार को रकबीर अपने परिवार के साथ अपने घर में घुस गया. तब खाना बनाने के दौरान ग्राम पंचायत सचिव करमचंद अपने परिवार के साथ वहां पंहुचा और अपना मालिकाना हक जताते हुए रकबीर के परिवार को घर से बाहर निकालते हुए उनका सारा सामान घर से बाहर फेंक दिया. इस दौरान पुलिस प्रशासन व नगरीय प्रशासन के लोग मौके पर उपस्थित थे. इसके बावजूद पीड़ित परिवार की किसी ने सुध नहीं ली.

बता दें कि रकबीर का परिवार लगभग 16 वर्षों से उसी जमीन पर निवास कर रहा है, जिसका दस्तावेज भी उनके पास है. बेहद गरीबी की हालत में केस मुकदमा लड़ना उनके बस की बात नहीं. ऐसे में पीड़ित परिवार के साथ हुई अमानवीयता पर पूरा सिस्टम मूकदर्शक बना बैठा है.

बहरहाल न्याय की आस में अब तक पूरा परिवार इस कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर है, जिनके सिर पर न तो छत है और न ही उनके पास रहने के लिए कोई घर. ऐसे में प्रशासनिक उदासीनता के साथ सारा सरकारी सिस्टम सवालों के घेरे में नजर आ रहा है. सुबह मौके पर पहुंची तहसीलदार ने दोनों पक्षों को घर से बाहर निकालकर फैसला आने तक घर को सील कर दिया है.

पीड़ित रकबीर ने बताया कि वह घर बना रहा था. इस बीच अपने पैर के चोट के लिए दवा लेने दमगड़ा गया हुआ था. इसके बाद रात के 7 से 8 बजे ग्राम पंचायत सचिव और उसके परिवार वाले आए और निर्माणाधीन घर में सीट और दरवाजा लगाकर बंद कर दिए. इसके बाद हमें घुसने नहीं दिया गया. एक दिन के लिए भी घुसने के लिए कहा, लेकिन सचिव के परिवारजनों ने घुसने नहीं दिया. रकबीर ने आगे कहा कि जब तक घर नहीं मिल जाता. तब तक बाहर ही सोना पड़ेगा.

इस संबंध में सीएमओ नीलेश केरकेट्टा ने बताया कि 2004 में रकबीर का परिवार जगरोपन नाम के व्यक्ति के घर में रहते थे और जगरोपन उनके नाम पर जमीन को स्टांप पेपर में बेचकर कहीं और चला गया. स्टांप पेपर में लिखा था कि मेरे बच्चे होंगे, जो इस जमीन पर अधिकार नहीं जमा सकते. रकबीर लगभग 2018 तक वहां रहा, नगर पंचायत में टैक्स भी पटा रहा था. जिसके बाद 2018 के बाद कोविड़ के टाइम पर रकबीर कहीं बाहर गया, उसी समय जगरोपन की बेटी और उसका परिवार फिर से उस घर में कब्जा कर लिया. जहां रकबीर का परिवार रहता था.

 इसके बाद दादागिरी कर रकबीर के परिवार वालों को घर में घुसने नहीं दिया गया. अभी जानकारी मिली है कि मंगलवार की शाम को रकबीर उस घर में घुस गया और जगरोपन के परिवार वालों, दोनों के बीच झगड़ा हुआ. कुछ समय बाद रकबीर और उसके परिवार को पुलिस ने घर खाली कराया. इसके पश्चात उसका परिवार रात में घर के बाहर ही सो गया.

सुबह तहसीलदार बगीचा और नगर पंचायत बगीचा द्वारा कार्रवाई करते हुए उक्त घर में ताला लगा दिया गया है. सीलबंद करने के बाद ये फैसला लिया गया कि अब जब तक फैसला कोर्ट के द्वारा नहीं होगा. तब तक घर का दरवाजा सीलबंद रहेगा. जैसे कोई अपना प्रूफ साबित करता है, वैसे ही दरवाजा खोल दिया जाएगा. वर्तमान में रकबीर के परिवार के रहने के लिए अटल आवास खाली पड़ा है, उसमें रहने के लिए व्यवस्था कर देंगे.

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