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Bastar: बस्तर में राज्य सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट 'बोधघाट बांध' पर लगा ब्रेक, जानिए क्या है वजह?

Bodhghat Dam Project: बस्तर सांसद दीपक बैज ने बताया कि इस परियोजना से आदिवासियों को विस्थापन करने की स्थिति आ गई थी. कई गांव डुबान क्षेत्र में शामिल हो रहे थे, इसलिए प्रोजेक्ट को बंद करना पड़ रहा है.

Bodhghat Dam Project in Bastar: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के मेनिफेस्टो में शामिल और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक बोधघाट परियोजना (बांध) पर अब पूरी तरह से ब्रेक लग गया है, प्रभावित किसानों के विरोध के बाद मुख्यमंत्री ने कुछ महीने पहले ही बोधघाट परियोजना को लेकर घोषणा करते हुए किसानों की रजामंदी के बाद ही इस प्रोजेक्ट को दोबारा शुरू करने की बात कही थी, लेकिन अब बस्तर सांसद दीपक बैज ने बोधघाट बांध परियोजना को लेकर बयान देते हुए इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह से बंद करने की बात कही है.

'बांध की वजह से आदिवासियों के विस्थापन की स्थिति बन गई थी'
दीपक बैज ने कहा कि बोधघाट परियोजना की वजह से आदिवासियों को विस्थापन करने की स्थिति निर्मित हो रही थी और कई गांव डुबान क्षेत्र में शामिल हो रहे थे, अब ग्रामीणों को उनकी जमीन से बेदखल नहीं करने का फैसला लेते हुए इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. हालांकि विकल्प के तौर पर अब इंद्रावती नदी के चित्रकोट वाटरफॉल के नीचे मटनार  बैराज (बांध) बनाने की प्लानिंग की जा रही है और इसको लेकर डीपीआर भी बन चुका है. इस मटनार बैराज के जरिए न सिर्फ किसानों को साल के 12 महीने पानी उपलब्ध हो पाएगा, बल्कि बैराज के माध्यम से दंतेवाड़ा और बस्तर जिले के कई गांव में किसानों को सिंचाई के लिए पानी की पूर्ति हो पाएगी. यही नहीं इस जगह को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के साथ ही यहां मछली पालन और जरूरत पड़ने पर बिजली उत्पादन भी किया जाएगा. दीपक बैज ने बताया कि 700 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट को राज्य सरकार की स्वीकृति मिलने के बाद काम शुरू किया जाएगा, दीपक बैज ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के लिए ग्रामीणों को विस्थापन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. वहीं, बस्तर वासियों को पानी की समस्या से निजात मिलेगी.

विकल्प के तौर पर बनेगा मटनार बैराज
दरअसल हजारों करोड़ रुपए की लागत से बस्तर जिले के लौंहडीगुड़ा में बोधघाट परियोजना के तहत बांध बनाया जाना था , लेकिन मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद से ही लगातार इस इलाके के प्रभावित किसान इस प्रोजेक्ट का विरोध करने लगे. कई बार बैठकों का दौर भी चला लेकिन किसान नहीं माने और इस प्रोजेक्ट के लिए अपनी जमीन नहीं देने के लिए अड़े रहे. वहीं इस बांध से कई गांव और हरे भरे जंगल डुबान क्षेत्र में आने की वजह से फॉरेस्ट क्लीयरेंस भी नहीं मिला. इसके साथ ही कांग्रेस के स्थानीय जनप्रतिनिधियों के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अरविंद नेताम भी बोधघाट परियोजना के खिलाफ थे, लगातार विरोध के चलते और बड़ी संख्या में ग्रामीणों को उनकी जमीन से बेदखल करने और नई जगह विस्थापन को लेकर विरोध किए जाने के चलते मुख्यमंत्री ने बस्तर जिले में अपने प्रवास के दौरान बोधघाट परियोजना को किसानों के रजामंदी के बाद ही शुरू करने की बात कही थी और अब बस्तर के सांसद दीपक बैज ने बोधघाट बांध परियोजना को पूरी तरह से बंद करने की जानकारी दी है. सांसद दीपक बैज का कहना है कि सूखती इंद्रावती नदी को लेकर बस्तर के साथ-साथ कांग्रेस के जनप्रतिनिधि भी चिंतित है, इसलिए बांध के माध्यम से बस्तरवासियों के लिए और किसानों को सिंचाई के लिए पानी व्यवस्था करने के उद्देश्य से ही बोधघाट परियोजना की शुरुआत की गई थी, लेकिन इसे बंद करने के बाद अब विकल्प के तौर पर मटनार बैराज तैयार किया जाएगा, हालांकि इसके लिए राज्य सरकार से अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है.

सांसद ने बताया कि 700 करोड़ के इस प्रोजेक्ट को चित्रकोट वाटरफॉल के नीचे मटनार में बैराज (बांध) तैयार किया जाएगा ताकि किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलने के साथ ही दंतेवाड़ा, कोंडागांव और बस्तर जिले के लौंहडीगुड़ा और अन्य क्षेत्र के किसानों को साल के 12 महीने पानी की समस्या से निजात मिल सके. सांसद ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में ग्रामीणों को विस्थापन की जरूरत नहीं पड़ेगी साथ ही इस बांध में ग्रामीण मछली पालन करने के साथ जरूरत पड़ने पर यहां बिजली उत्पादन भी किया जा सकेगा. इस बांध के निर्माण से बोधघाट परियोजना की जरूरत नहीं पड़ेगी, साथ ही यहां के किसानों और ग्रामीणों को पानी की समस्या से निजात मिलेगी.

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