Upendra Kushwaha: बिहार चुनाव से पहले उपेंद्र कुशवाहा का बड़ा बयान, 'जनसंख्या के आधार पर…'
Upendra Kushwaha: कुशवाहा ने कहा कि उनकी पार्टी 'संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार अभियान' चलाएगी. 25 मई से शाहाबाद से शुरुआत होगी. उस दिन बिक्रमगंज में रैली है. 8 जून को मुजफ्फरपुर में रैली होगी.

Upendra Kushwaha News: पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने मंगलवार (29 अप्रैल) को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने बड़ा बयान दिया है. कहा कि 50 सालों से परिसीमन के कारण बिहार का नुकसान हो रहा है. जनसंख्या के आधार पर चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन किया जाए. इसका लाभ समाज के सबसे कमजोर वर्ग को मिलेगा. क्योंकि परिसीमन से अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों की भी संख्या बढ़ेगी. इससे उनका प्रतिनिधित्व भी सदन में और निर्णय प्रक्रिया में बढ़ेगा.
'60 से ज्यादा हो जाएंगी लोकसभा की सीटें'
राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, "अगर परिसीमन हुआ तो 60 से ज्यादा लोकसभा सीटें बिहार में हो जाएंगी. विधानसभा की सीटों की संख्या भी काफी बढ़ जाएगी. हमारी पार्टी 'संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार अभियान' चलाएगी. 25 मई से शाहाबाद से शुरुआत होगी. उस दिन बिक्रमगंज में रैली है. 8 जून को मुजफ्फरपुर में रैली होगी."
'मंथन शिविर में परिसीमन के मुद्दे पर हुई चर्चा'
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि तीन दिनों तक वाल्मीकि नगर में हमारी पार्टी का मंथन शिविर चला जिसमें परिसीमन के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हुई है. परिसीमन राज्य का सबसे बड़ा मुद्दा है. 2011 की जनगणना के अनुसार परिसीमन कराए जाने पर बिहार में 60 से 62 लोकसभा सीटें होतीं. दक्षिण के राज्यों में 21 लाख की आबादी पर एक लोकसभा सीट है. बिहार में 31 लाख की आबादी पर एक लोकसभा सीट है.
आगे कहा, "आजादी के बाद 1951, 1961 एवं 1971 में संविधान की मूल भावना के अनुसार परिसीमन किया गया. 1976 में आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी की सरकार ने संविधान में संशोधन कर 25 वर्षों के लिए परिसीमन के नियमों में संशोधन कर दिया. संविधान कहता है कि हर 10 वर्ष में जनगणना और इसके अनुसार परिसीमन निर्धारित करना है. शुरू में 30 वर्ष तक यह व्यवस्था चली, लेकिन आपातकाल के बाद से बंद हो गई."
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