Bihar Result: चुनाव प्रचार में 'हीरो', रुझानों में 'बिग जीरो', प्रशांत किशोर की पार्टी का हाल
Bihar Election Result 2025: बिहार में जन सुराज पार्टी ने खुद को विकल्प के रूप में पेश किया. प्रशांत किशोर ने चुनाव प्रचार में एनडीए और महागठबंधन दोनों को निशाने पर लिया.

बिहार में बदलाव का दावा करने वाले प्रशांत किशोर को विधानसभा चुनाव के नतीजों के रुझानों में बड़ा झटका लगता दिख रहा है. चुनाव आयोग के 11.30 बजे तक के आकड़ों में प्रशांत किशोर को एक भी सीट पर बढ़त नहीं मिली है. प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने बिहार की 234 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की थी. बिहार में हुई बंपर वोटिंग का फायदा भी जन सुराज को मिलता दिखाई नहीं दे रहा है. जन सुराज पार्टी ने खुद को बिहार में एक विकल्प रूप में पेश किया था.
जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर के भी चुनाव लड़ने की चर्चा थी. पार्टी ने जब पहली लिस्ट जारी की तो करगहर से रितेश पांडे को उम्मीदवार बनाया गया. ये वही सीट थी जिससे प्रशांत किशोर के चुनाव लड़ने की चर्चा गरम थी. यहां से जब उनके नाम की घोषणा नहीं हुई तो पार्टी की दूसरी लिस्ट में उनका नाम आने की अटकलें लगीं. लेकिन दूसरी लिस्ट में भी उनका नाम नहीं था. उनके राघोपुर सीट से भी लड़ने की चर्चा थी. प्रशांत किशोर ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया.
11.30 बजे तक के रुझान
बीजेपी- 84
जेडीयू- 76
आरजेडी- 35
एलजेपीआर- 22
कांग्रेस- 6
माले- 6
हम- 4
आरएलएम- 3
AIMIM- 3
VIP- 1
CPM- 1
BSP- 1
इस बार बिहार में 67.13 फीसदी मतदान
इस बार बिहार विधानसभा चुनाव ने कई रिकॉर्ड बनाए हैं. बिहार के राजनीतिक इतिहास में पहली बार रिकॉर्ड 67.13 फीसदी मतदान हुआ. सिर्फ यही नहीं, इस बार बिहार ने 'जंगलराज' से 'जीरो रि-पोलिंग' तक का सफर भी तय किया है. बिहार में किसी भी बूथ पर दोबारा मतदान की जरूरत नहीं पड़ी है. मतदान के बीच हिंसा की घटनाएं भी शून्य रही हैं. कुल मिलाकर इस चुनाव में साफ-सुथरी और हिंसा-मुक्त मतदान प्रक्रिया देखी गई है.
आरजेडी के शासन काल, जिसे विरोधी 'जंगल राज' कहते हैं, में बिहार चुनावों के दौरान चुनावी धांधली और पुनर्मतदान की सबसे ज्यादा घटनाएं हुईं. चुनाव हिंसा, हत्याओं, बूथ कैप्चरिंग और फर्जी मतदान की घटनाओं से प्रभावित होते थे.
आंकड़ों के अनुसार, 1985 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान 63 हत्याएं हुई थीं, जबकि 156 बूथों में फिर से मतदान कराने पड़े थे. 1990 के विधानसभा चुनावों में, जब कई छोटे दलों से मिलकर बनी जनता दल ने राज्य में सत्ता हासिल की, लगभग 87 मौतें हुईं. 1995 के चुनावों में, लालू यादव के नेतृत्व में जनता दल ने पिछले चुनावों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन हिंसा और चुनावी धांधली की घटनाओं में वृद्धि देखी गई. तत्कालीन चुनाव आयुक्त टीएन शेषन को अभूतपूर्व हिंसा और चुनावी धांधलियों के कारण बिहार चुनाव चार बार स्थगित करने पड़े.
2005 में 660 मतदान केंद्रों पर हुई थी दोबारा वोटिंग
2005 के चुनावों में हिंसा और कदाचार के कारण 660 मतदान केंद्रों पर दोबारा वोटिंग कराई गई थी. उस साल नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू भी पहली बार सत्ता में आई थी. 2005 के बाद राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति में काफी सुधार देखने को मिला और राज्य में चुनाव हिंसा और चुनावी धांधली की घटनाएं कम हुईं. इसका ताजा उदाहरण 2025 का विधानसभा चुनाव है. इस साल किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में पुनर्मतदान की मांग नहीं की गई. इसके अलावा, मतदान के समय कोई भी हिंसा की घटना नहीं हुई.
Source: IOCL





















