Bageshwar Dham: पटना में 6 दिनों तक 24 घंटे चलता रहेगा लंगर, ग्रामीणों ने की ये खास तैयारी, जानकर खुश हो जाएंगे बाबा
Pandit Dhirendra Krishna Shastri: बाबा के इस कार्यक्रस से लगभग ढाई सौ गांव के ग्रामीण काफी उत्साहित हैं. सभी अपनी ओर से तैयारी कर रहे हैं. तन मन के साध धन से भी लगे हैं.
पटना: बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) पटना के नौबतपुर स्थित तरेत पाली मठ के प्रांगण में 13 से 17 मई तक हनुमत कथा और प्रवचन करेंगे. तरेत पाली में जोर शोर से तैयारी चल रही है. ग्रामीणों ने भी अपनी ओर से खास तैयारी की है. सिर्फ तरेत पाली ही नहीं बल्कि इसके आसपास के लगभग ढाई सौ गांव के ग्रामीण काफी उत्साहित हैं. तन मन और धन से धीरेंद्र शास्त्री के इस कार्यक्रम को सफल बनाने में जुटे हुए हैं. ग्रामीण इस तरह से लगे हैं कि बाबा भी जानकर खुश हो जाएंगे.
400 साल पुराने तरेत पाली मठ के महंत सह पुजारी सुदर्शनाचार्य महाराज ने बताया कि संत की सेवा संत ही करना जानते हैं. धीरेंद्र शास्त्री प्रवचन स्थल पर जाने से पहले मठ में आएंगे और यहां सबसे पहले मठ में स्थापित श्री राम, जानकी, लक्ष्मण और हनुमान की प्रतिमा का दर्शन करेंगे. इसके बाद उन्हें तमिलनाडु के कांचीपुरम से मंगाए गए वस्त्र (धोती, चादर और अंग वस्त्र) को प्रदान किया जाएगा. वस्त्र के लिए कांचीपुरम प्रसिद्ध है और मठ में स्थापित भगवान के वस्त्र भी कांचीपुरम से आते हैं इसलिए धीरेंद्र शास्त्री महाराज के लिए भी वहीं से वस्त्र मंगाए गए हैं.
जिसके पास जो अनाज है वही लंगर के लिए दे रहा दान
सुदर्शनाचार्य महाराज ने बताया कि मंदिर प्रांगण के बाहर अटूट लंगर चलेगा जो 24 घंटे चालू रहेगा. इसमें 10, 15 या 20 लाख लोग भी आएंगे तो कोई भूखे नहीं जाएगा. ग्रामीण रामेश्वर शर्मा ने कहा कि पूरे नौबतपुर प्रखंड के लगभग ढाई सौ गांव से दान आ रहा है. हर कोई कुछ न कुछ देना चाहता है. इसलिए हर गांव के एक-एक व्यक्ति को जिम्मेदारी दे दी गई है कि वह अपने यहां के लोगों से अनाज या जो भी सामान वो देना चाहते हैं उसे इकट्ठा कर मठ तक पहुंचा दें. गांव में कोई चावल दे रहा है तो कोई दाल और गेहूं दे रहा है. किसानों और लोगों द्वारा दान दिया हुआ अनाज मठ तक पहुंचने भी लगा है. 11 मई तक सभी गांव से अनाज आ जाएंगे. 12 मई से अटूट लंगर शुरू होगा.
गांव के ही मनोज कुमार ने कहा कि उन्हें 9 मई को अपने काम पर बाहर जाना था. वह प्राइवेट जॉब करते हैं, लेकिन उन्होंने अपना टिकट कैंसिल करवा दिया है. सिर्फ तरेत पाली गांव ही नहीं, गांव के आसपास जितने भी गांव हैं सभी गांव के लगभग एक हजार युवा वालंटियर के रूप में काम करेंगे. लंगर की व्यवस्था हो या श्रद्धालुओं के बैठने की, सारी चीजें देखेंगे. पार्किंग में या किसी चीज में कोई दिक्कत न हो इसको लेकर वालंटियर हमेशा तैयार रहेंगे.
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