बिहार में SIR प्रक्रिया के 2 चरण पूरे, BJP ने भी दर्ज कराई आपत्ति, अब तक क्या कुछ आया सामने?
Bihar SIR: सीपीआई (एमएल) लिबरेशन ने 15 नए नाम जोड़ने और 103 नाम हटाने की मांग की है. कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और जेडीयू जैसे दलों ने कोई आवेदन नहीं दिया है.

बिहार में एसआईआर प्रक्रिया के दो चरण पूरे हो चुके हैं. चुनाव आयोग की तरफ से एक अगस्त 2025 को जारी 7.24 करोड़ मतदाताओं की ड्राफ्ट सूची पर आए दावे और आपत्तियों के बाद तस्वीर कुछ कुछ साफ होती दिखने लगी है. इस बार रिकॉर्ड स्तर पर 16.56 लाख से ज्यादा नए मतदाताओं ने पंजीकरण कराया है. वहीं करीब 2.17 लाख नाम हटाने के लिए आपत्तियां दर्ज कराई गई हैं. यानी अंतिम सूची में ड्राफ्ट मतदाता सूची के मुकाबले जहां लाखों नए नाम जुड़ सकते हैं, वहीं बड़ी संख्या में पुराने नाम भी कट सकते हैं.
चुनाव आयोग की तरफ से जारी किए गए हैं आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक राजनीतिक दलों की ओर से आए दावे और आपत्तियां अपेक्षाकृत कम रही हैं. सीपीआई (एमएल) लिबरेशन ने 15 नए नाम जोड़ने और 103 नाम हटाने की मांग की है. आरजेडी ने 10 नए नाम शामिल करने का दावा किया, जबकि बीजेपी ने 16 नाम हटाने की आपत्ति दर्ज कराई. कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और जेडीयू जैसे दलों ने कोई आवेदन नहीं दिया है. ये आंकड़े सोमवार (01 सितंबर) सुबह 10 बजे तक के हैं.
जिन पर नागरिकता का संदेह उनकी गहन जांच होगी
सीधे मतदाताओं की ओर से आए आवेदनों में 36,475 लोगों ने अपने नाम जोड़े जाने का दावा किया है, जबकि 2,17,049 ने नाम हटाने या सुधार को लेकर आपत्ति दर्ज कराई है. इनमें से 40,630 मामलों का निपटारा सात दिनों में कर दिया गया है. चुनाव आयोग ने दोहराया है कि एक अगस्त 2025 को प्रकाशित ड्राफ्ट सूची से किसी भी नाम को बिना सुनवाई और उचित कारण बताए नहीं हटाया जाएगा, लेकिन जिन पर नागरिकता का संदेह है, उनकी गहन जांच होगी और अवैध पाए जाने पर उनके नाम सूची से हटाए जाएंगे.
इसी बीच इस प्रक्रिया के दौरान चुनाव आयोग के सामने ऐसे भी मामले आए हैं जहां पर मतदाताओं की नागरिकता को लेकर संदेह उत्पन्न हो रहा है. आयोग की तरफ से सामने जानकारी के मुताबिक करीब तीन लाख मतदाताओं की नागरिकता संदिग्ध है. आशंका जताई जा रही है कि इनमें बड़ी संख्या में बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासी और म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थी हो सकते हैं. अधिकारियों का कहना है कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, यह संख्या और बढ़ सकती है.
कुल मिलाकर, इस बार मतदाता सूची में दो समानांतर तस्वीरें उभर रही हैं, एक ओर नए वोटरों का रिकॉर्ड पंजीकरण लोकतंत्र को मजबूती दे रहा है, तो दूसरी ओर कई लाख ऐसे मतदाताओं के नाम भी सामने आ रहे हैं जो अभी तक तो भारतीय मतदाता के तौर पर दर्ज थे, लेकिन उनकी नागरिकता संदेह की के घेरे में है. ऐसे में सितंबर महीने के दौरान अब चुनाव आयोग और अधिकारी तमाम मतदाताओं की तरफ से दिए गए दस्तावेजों की जांच कर जब अंतिम मतदाता सूची तैयार करेंगे तो उससे पहले यह सुनिश्चित करेंगे की फाइनल मतदाता सूची में उसी का नाम हो जो देश का मतदाता हो और अगर नागरिकता संदिग्ध है तो उसका नाम मतदाता सूची से हटाया जाए.
Source: IOCL
























