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S Jaishankar: 'भारत की जमीन पर हुआ था कब्जा तो चुप थी दुनिया', रूस-यूक्रेन युद्ध पर एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों को दिखाया आईना

S Jaishankar: एस जयशंकर ने कहा क‍ि जब लोग सिद्धांतों को उपयुक्त मानते हैं तो उनको चुन लेते हैं और जब स‍िद्धांत उनके अनुकूल नहीं हों तो वो उसे अनदेखा कर देते हैं. भारत के मामले में भी कुछ ऐसा ही है.

S Jaishankar on Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है. यूक्रेन युद्ध पर भारत की ओर से रूस की आलोचना नहीं करने को लेकर जापानी मीड‍िया के सवाल के जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार (8 मार्च) को कहा कि भारत के क्षेत्र पर जब दूसरे देश ने कब्जा कर लिया था तो दुनिया ने इस मामले पर चुप्पी साध ली. आज भी भारत के कुछ हिस्सों पर दूसरे देश का कब्जा है, लेकिन हमने इस मामले पर स‍िद्धातों की दुहाई देते हुए दुन‍िया का र‍िएक्‍शन नहीं देखा. 

एचटी की र‍िपोर्ट के मुताब‍िक, व‍िदेश मंत्री एस जयशंकर इन द‍िनों जापान दौरे पर हैं. जापानी पत्रकार की ओर से व‍िदेश मंत्री से पूछा क‍ि क्या यूक्रेन के क्षेत्रीय उल्लंघन पर रूस की आलोचना नहीं करने के भारत के फैसले को 'दोहरे मानक' के रूप में देखा जाए. इस सवाल के जवाब में एस. जयशंकर ने करारा जवाब देते हुए कहा है क‍ि भारत के कुछ ह‍िस्‍से पर आज भी दूसरे देश ने कब्‍जा क‍िया हुआ है, लेक‍िन व‍िश्‍व बि‍रादरी की ओर से इस पर कोई प्रत‍िक्र‍िया नहीं दी गई.  

'स‍िद्धांत अनुकूल नहीं होने पर कर देते हैं अनदेखा'  

इस मामले पर पश्चिमी देशों पर सीधे तौर पर कटाक्ष करते हुए एस जयशंकर ने यह भी कहा कि जब लोग सिद्धांतों को उपयुक्त मानते हैं तो वो उनको चुन लेते हैं और जब वो स‍िद्धांत उनके अनुकूल नहीं होते हैं तो वो उसे अनदेखा कर देते हैं. भारत के ह‍िस्‍से पर कब्‍जे के मामले में भी कुछ ऐसा ही है. दुन‍िया के देशों ने इस पर पूरी तरह से चुप्‍पी साधी हुई है. उनकी तरफ से कोई ट‍िप्‍पण‍ि‍यां/प्रत‍िक्र‍ियाएं जा‍ह‍िर नहीं की गईं.   

'देश उस मसले को उजागर करते हैं जो उनको सूट करे'  

व‍िदेश मंत्री एस जयशंकर का कहना है क‍ि उनका मानना है क‍ि दुनिया एक जटिल जगह है और यहां कई महत्वपूर्ण सिद्धांत और मान्यताएं हैं. इस सभी के बीच दुन‍िया की राजनीत‍ि में कभी-कभी ऐसा भी होता है क‍ि कोई देश एक मसला, एक स्‍थ‍िति और एक स‍िद्धांत का चयन करते हैं. वह देश उसको ही उजागर करते हैं जोक‍ि उनको सूट करता है. 

'आजादी के ठीक बाद भारत ने आक्रामकता का क‍िया अनुभव' 

इस मामले में भारत का हवाला देते हुए एस जयशंकर ने यह भी कहा कि अगर कोई सिद्धांत पर गौर करे तो हम (भारत) किसी भी अन्य देश की तुलना में बेहतर जानते हैं क्योंकि आजादी के ठीक बाद हमनें आक्रामकता का अनुभव किया है. इसके चलते भारत ने अपनी सीमाओं को बदलने के प्रयास का अनुभव किया. इतना ही नहीं आज भी भारत के कुछ हिस्सों पर दूसरे देश का कब्जा बरकरार है. 

'स‍िद्धांत को बीते 80 सालों में क्र‍ियान्‍व‍ित होते नहीं देखा' 

बावजूद इसके व‍िश्‍व की ओर से इस सब को महान स‍िद्धांत में शामिल करते हुए यह कहते नहीं सुना या देखा क‍ि हम सभी भारत के साथ चलते हैं. यूक्रेन युद्ध मामले में आज भारत को लेकर महान स‍िद्धांत की दुहाई दी जा रही है. उन्‍होंने इस बात को भी पूरे जोर शोर से कहा कि काश, मैंने इस स‍िद्धांत को बीते 80 सालों के दौरान में क्र‍ियान्‍व‍ित होते देखा होता. उन्‍होंने पश्‍च‍िमी देशों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह स‍िद्धांत स‍िर्फ अपनी सहुल‍ियत और अनुकूल पर‍िस्‍थ‍ित‍ियों के मुताब‍िक ही चुने जाते रहे हैं. 

'मैंबर बढ़ने से संगठन में नेतृत्व व निर्णय लेने की क्षमता नहीं रह जाती'  

वि‍देश मंत्री एस जयशंकर ने साक्षात्‍कार के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार की जरूरत पर बल द‍िया. उन्होंने कहा क‍ि दुन‍िया के ज्‍यादातर देश जोक‍ि यूएनएससी के मैंबर हैं, समझते हैं कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार की बेहद जरूरत है. उन्‍होंने बताया क‍ि जब संयुक्त राष्ट्र (UNSC) की स्थापना हुई थी उस वक्‍त इसके स‍िर्फ 50 देश ही मैंबर थे. आज इन सदस्‍य देशों की संख्‍या करीब 200 हैं. जयशंकर ने कहा कि जब क‍िसी संगठन की सदस्‍यता चार गुना बढ़ जाती है तो नेतृत्व और निर्णय लेने की क्षमता पहले जैसी नहीं रह जाती है.  

व‍िदेश मंत्री जयशंकर ने चीन का सीधा उदाहरण देते हुए यह भी कहा कि परिवर्तन की ख‍िलाफत करने वालों ने इसमें देरी करने का एक आसान तरीका ढूंढ लिया है. बता दें चीन यूएनएससी का एकमात्र स्थायी सदस्य है जो पैनल में भारत की एंट्री का विरोध करता है.

'संसद के उच्‍च सदन में मेरी सदस्यता सुरक्षित'   

एस जयशंकर ने इस सवाल का भी जवाब दिया कि क्या वह आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं. वह वर्तमान में संसद के उच्‍च सदन राज्यसभा के सदस्य हैं. उन्होंने कहा क‍ि इसका फैसला पार्टी नेतृत्व के निर्णय के आधार पर क‍िया जाता है. वैसे, मैं पिछले साल उच्च सदन (राज्यसभा) के लिए फिर से निर्वाचित हुआ हूं. संसद में मेरी सदस्यता सुरक्षित है.  

यह भी पढ़ें: India-China War: भारत और चीन में 5 साल में हो सकती है एक और जंग? वजह है ड्रैगन का ये डर, RUSI की रिपोर्ट में दावा

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