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राज की बात: ट्विटर से टकराव में सरकार का रुख बेहद सख्त, 'आत्मनिर्भर भारत' के जरिए स्वदेशी जवाब की देने तैयारी
भारत सरकार ट्विटर के हालिया रवैये के बाद जल्द कोई बड़े कदम उठा सकता है. हालांकि ये कदम ट्विटर पर बैन का तो बिल्कुल नही होगा लेकिन इसके विकल्प को मजबूती से खड़ा करने पर काम शुरु हो गया है.
![राज की बात: ट्विटर से टकराव में सरकार का रुख बेहद सख्त, 'आत्मनिर्भर भारत' के जरिए स्वदेशी जवाब की देने तैयारी Twitter attitude against India government is not ready to tolerate can take any big step soon राज की बात: ट्विटर से टकराव में सरकार का रुख बेहद सख्त, 'आत्मनिर्भर भारत' के जरिए स्वदेशी जवाब की देने तैयारी](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2019/08/05214849/modi-Amit-Shah.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
दुनिया का कोई भी बिजनेस हो कोई भी बिजनेसमैन हो या बिजनेस माइंड वो भारत को इग्नोर नहीं कर सकता क्योंकि केवल भारत से उसे जितना बड़ा मार्केट और स्कोप मिल जाता है वो दुनिया के कई देश भी मिलकर नहीं दे पाते. बावजूद इसके गाहे-बगाहे पश्चिमी देशों के उद्योगपतियों और कंपनियों का पूर्वाग्रह देखने को मिल जाता है.
लेकिन राज की बात ये है कि वक्त से साथ बुलंद होते भारत में इस तरह की हरकतों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सर्विस देने के नाम पर विदेशी कंपनियों की एकाधिकार वाली मनमानी को नहीं सहा जाएगा. हठधर्मिता की मानसिकता पर प्रहार करने की सोच ट्विटर और भारत सरकार के बीच हुए तकरार के बाद तेज हो गई है.
ट्विटर जैसा देशी प्लेटफॉर्म जल्द मिल सकती
राज की बात ये है कि किसान आंदोलन के दौरान ट्विटर पर फार्मर जेनोसाइड हैशटैग को लेकर जब भारत सरकार ने ट्विटर पर कार्रवाई करने को निर्देश दिया गया तब ट्विटर की तरफ से काफी ना-नुकुर की गई और उसके बाद कुछ अकाउंट्स को सस्पेंड किया गया. भारत में उन हैसटैग्स को रोका गया लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वो विजिबल रहे जिससे भारत की छवि को झटका लगा. जबकि जब ठीक ऐसी ही घटना अमेरिका में कैपिटल हिल पर हुई तब ट्विटर ने फौरन कार्रवाई करते हुए राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप समेत तमाम लोगों के अकाउंट्स को कड़ाई के साथ सस्पेंड कर दिया था. ट्विटर के इसी दोहरे रवैये से ट्विटर और भारत सरकार के बीच हुई टकराव हुआ और अब सरकार ने ऐसे टकराव और टकराव करने वालों को सबक देने का फैसला कर लिया है.
राज की बात ये है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत आपको आने वाले वक्त में ट्विटर जैसा देशी प्लेटफॉर्म जल्द मिल सकती है. केवल ट्विटर ही नहीं बल्कि व्हाट्सएप की नई पॉलिसी के बाद उठे सवालों और विवादों के बाद इसके देसी विकल्प भी तैयार किए जाने लगे हैं. राज की बात ये है कि ट्विटर के हालिया रवैये के बाद भारत सरकार की तरफ से बड़े कदम उठना तय है. हालांकि ये कदम ट्विटर पर बैन का तो बिल्कुल नही होगा लेकिन इसके विकल्प को मजबूती से खड़ा करने पर काम शुरु हो गया है. ट्विटर के देसी वर्जन के तौर पर कू प्लेटफॉर्म पर जल्द कोई बड़ी घोषणा हो सकती है. राज की बात ये है कि आने वाले वक्त में कू को इंडिया के देसी वर्जन के तौर पर आधिकारिक बनाया जा सकता है और सरकार भी इसे ऑफिशियल इस्तेमाल में लाना शुरु कर सकती है.
ट्विटर से पहले आधिकारिक ट्वीट्स को कू पर शेयर किया जाएगा
राज की बात ये भी है कि अगर ट्विटर को कूप करने के लिए कू के इस्तेमाल पर फैसला हुआ तो फिर भारत के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री केंद्रीय मंत्री इस एप पर आएंगे और ट्विटर से पहले आधिकारिक ट्वीट्स को कू पर शेयर किया जाएगा. कोशिश ये है कि एक मजबूत विकल्प जनता दिया जाए जिससे कैपिटल हिल और फार्मर जेनोसाइड जैसे हैसटैग्स में कार्रवाई पर मनमाना रवैया अपनाने की हिम्मत दोबारा ट्विटर या फिर कोई और टेक कंपनी न कर सके. ये तो रही बात ट्विटर की मनमानी की.
व्हाट्सएप जैसी मनमानी वाली हरकत भविष्य में रोकी जा सकेगी
अब बात व्हाट्सएप की भी कर लेते है. कुछ दिन पहले व्हाट्सएप ने भी अपनी पॉलिसी पेश की और प्रयोगकर्ताओं को उसे एक्सेप्ट करने की बाध्यता लगा दी. हालांकि बवाल और सवाल उठने के बाद फिलहाल व्हाट्सएप ने अपने फैसले को कुछ दिनों के लिए टाल दिया है लेकिन इस हालात को समझते हुए भारत सरकार ने मैसेजिंग के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता वाली मुहिम को तेज कर दिया है. राज की बात ये है कि संदेश और संवाद नाम के दो मैसेजिंग एप्स को एन.आई.सी की तरफ से विकसित किया जा रहा है. इनमें से एक ऐप सरकारी कामकाज के लिए होगा और दूसरा आम जनता के लिए. ये दोनो ऐप्स लॉन्च होने के बाद व्हाट्सएप जैसी मनमानी वाली हरकत भविष्य में रोकी जा सकेगी.
हालांकि विदेशी टेक कंपनियों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए तैयार किए जा रहे देसी एप्स पर टेक्निकल काम चल रहा है. ये जानकारी लेने की कोशिश की जा रही है कि हमारे एप कितने सक्षम हैं और उन्हे ग्लोबल कॉम्पटीशन में लाने के लिए अभी क्या क्या करने की जरूरत है. लेकिन इतना तो तय है कि चाहे सोशल प्लेटफॉर्म की बात करें ये मैसेजिंग एप की. हर क्षेत्र में भारत ने मजबूत कदम उठाने का फैसला कर लिया है. हो सकता है कि जल्द ही आपकी आदत में कू, संदेश और संवाद एप भी आ जाएं जो पूरी तरह से भारतीय होंगे.
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