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मिलिए, BJP के उस छुपे रुस्तम से, जिसने यूपी में दिलाई पार्टी को ऐतिहासिक जीत

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में बीजेपी  की ऐतिहासिक जीत के बाद जिस शख्स का नाम सबसे ज्यादा सुर्खियों में आया है वो हैं सुनील बंसल. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के करीबी और संगठन महामंत्री सुनील बंसल की है कोशिश से बीजेपी ने यूपी में जीत की इबारत लिखी है.

इनकी खासियत चुपचाप रहकर पर्दे के पीछे काम करना और नतीजों को खींचकर अपने पक्ष में करने की जिद है.

बीजेपी का छुपा रुस्तम!

2014 में लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी की छात्र ईकाई एबीवीपी से बीजेपी में आए सुनील बंसल ने वर्तमान अध्यक्ष और तब के महासचिव अमित शाह के साथ करीबी सहयोगी के तौर पर काम किया. अमित शाह ने सुनील बंसल की संगठन क्षमता को भांपकर चुनाव जीतने के बाद उत्तर प्रदेश का संगठन मंत्री बना दिया.

तभी से बंसल यूपी विधानसभा चुनाव की तयारी में जुट गए. अमित शाह रणनीति बनाते और उसे ज़मीन पर उतारने का काम सुनील बंसल करते थे. बंसल पर अमित शाह का इतना मजबूत भरोसा था कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उन्हें भेजा गया और नतीजा ये है कि पहली बार बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी. सुनील बंसल का पूरा परिवार आरएसएस से जुड़ा रहा है.

सुनील बंसल ने जयपुर में स्कूलिंग की है. उस दौरान वो हॉस्टल में रहा करते थे और तभी से उन्हें राजनीति में लगाव था. स्कूल के दिनों से ही आरएसएस की शाखाओं में जाने वाले बंसल शाखा के मुख्य शिक्षक हुआ करते थे.

48 साल के बंसल 1986 में एबीवीपी से जुड़े और 1989 में घरबाड़ छोड़कर आरएसएस में पूर्णकालिक तौर पर शामिल हो गए. संघ कार्यालय में रहकर 1993-96 तक उदयपुर में संघ का काम देखते रहे. इसके बाद 2007 में राजस्थान बीजेपी के संगठन मंत्री बने. क्षेत्रीय संगठन मंत्री, राष्ट्र सह-संग़ठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री जैसे पदों से होते हुए 2014 में उन्हें बीजेपी में भेजा गया.

लखनऊ के जिस कमरे में अमित शाह रुकते थे वो सुनील बंसल का ही होता था. रोज रात तीन बजे तक शाह और बंसल चुनावी विधानसभाओं की पूरी रिपोर्ट लेते थे.

सुनील बंसल के पास रोज़ हर विधानसभा की तीन रिपोर्ट आती थी. एक रिपोर्ट बीजेपी के संगठन से, दूसरी रिपोर्ट उनकी खुद की 45 लोगों की टीम से और तीसरी वॉर रूम से.

इन रिपोर्ट्स में बड़े नेताओं की रैलियों में रिस्पॉन्स के हिसाब से मुद्दे तय होते थे. जैसे गांवों में किसानों की कर्ज माफी के मुद्दे पर सबसे ज्यादा तालियां बजती थीं जबकि शहरी इलाकों में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सोशल मिडिया पर बहस होती थी.

  • विधानसभा में बूथ कार्यकर्ता का प्रशिक्षण
  • कमज़ोर इलाकों और उनमें सुधार के लिए सुझाव की रिपोर्ट
  • नाराज़ कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट - इस पर अमित शाह ने निजी रूप से काम किया और एक-एक ज़िले में रुककर कार्यकर्ताओं से खुद फ़ोन पर बात की
  • मोटरसाइकिल की रिपोर्ट- हर विधानसभा में तीन मोटरसाइकिल दी गई थी इनकी रिपोर्ट अलग से ली जाती थी.. जो स्थानीय मुद्दों से लेकर जरूरी बदलाव के सुझाव देते थे

सुनील बंसल ने लखनऊ में वार रूम में एक कॉल सेंटर भी बनाया था जो 24 घंटे काम करता था, किसी भी विधानसभा में इलाके के बूथ कार्यकर्ता तक को सन्देश तुरंत कोल सेंटर के ज़रिये पहुंचाया जाता था और काम पूरा होने तक कोल सेंटर ही रिपोर्ट बना कर सुनील बंसल को देता था. सुनील बंसल ने अपने इसी माइक्रो मैनेजमेंट के जरिये यूपी में बीजेपी को बड़ी जीत दिलाई.

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