अल्लामा इक़बाल के स्टैच्यू पर क्यों पाकिस्तान की जनता है नाराज, जानिए
यह मूर्ति पिछले साल अगस्त में लाहौर के गुलशन-ए-इकबाल पार्क में लगाई गई थी, लेकिन यह हाल ही में ट्विटर पर चर्चा में आ गई. कुछ लोगों ने इसको लेकर अधिकारियों पर अपना गुस्सा जाहिर किया है.

इंटरनेट की दुनिया में कई चीजें वायरल हो जाती है. ऐसी ही एक चीज जो इन दिनों इंटरनेट पर वायरल है वो है पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि अल्लामा मोहम्मद इकबाल का नया स्टैच्यू. दरअसल इक़बाल का यह स्टैच्यू लाहौर में गुलशन-ए-इकबाल पार्क में बनाया गया है. अब इकबाल के इस स्टैच्यू को लेकर लोग सोशल मीडिया पर काफी गुस्से में दिख रहे हैं. इसका कारण है यह कि जो स्टैच्यू बनाया गया वो कहीं से भी इकबाल जैसा नहीं लग रहा है.
हालांकि यह मूर्ति पिछले साल अगस्त में लाहौर के गुलशन-ए-इकबाल पार्क में लगाई गई थी, लेकिन यह हाल ही में ट्विटर पर चर्चा में आ गई. कुछ लोगों ने इसको लेकर अधिकारियों पर अपना गुस्सा जाहिर किया है.
बता दें कि इकबाल, एक मशहूर उर्दू और फारसी के कवि, दार्शनिक थे. उनके स्टैच्यू को बुरी तरह से बनाने पर लोग कह रहे हैं कि यह उनका अपमान है. ट्विटर पर कई लोग #AllamaIqbal के साथ ट्वीट कर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं.
एक ट्विटर यूजर ने इस स्टैच्यू को पार्क से हटाने की मांग की. यूजर ने लिखा, "मैं इसे हटाने की जोरदार मांग करता हूं. यह अल्लामा इकबाल का अपमान है. इसे एक पेशेवर मूर्तिकला द्वारा बनाया जाना चाहिए.
I strongly demand to remove this. it's an insult to Allama Iqbal, & get it done by professional sculpture.
— shaz (@shaz114455) February 2, 2021
वहीं अन्य ट्विटर यूजर ने क्या लिखा देखिए
Kya say Kya Hogayee dekhty dekhty! #AllamaIqbal pic.twitter.com/g8kkGrEi6u
— ANAM (@nizamanitweets) February 2, 2021
Dr Allama Iqbal a revolutionary #Pakistani the visionary of #Pakistan deserves a better sculpture than this! Hope the authorities remove this sculpture and get an expert to re-create it???????????????? #Allamaiqbalsculpture #Pakistan @ImranKhanPTI #Allamaiqbal pic.twitter.com/Ea3yARt1jM
— Inspire (@im4sports) February 2, 2021
कौन हैं अल्लामा इक़बाल
अल्लामा इकबाल एक ऐसे शायर हैं जिन्हें किसी एक खांचे में बांध कर रख पाना बहुत मुश्किल है. उनकी शायरी किसी नई सुबह की पहली किरण जैसी है. उन्होंने नज़्म की शक्ल में उर्दू शायरी को एक बेमिसाल रचना दी है. उर्दू भाषा में उनके लिखे शेर ने उर्दू साहित्य को एक नया आयाम दिया. इकबाल का जन्म 9 नवम्बर 1877 को आज के पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के सियालकोट में हुआ. इकबाल मूलतः कश्मीर के रहने वाले थे. उनके पुरखों ने उनके जन्म से तीन सदी पहले इस्लाम स्वीकार कर लिया था. 19 वीं शताब्दी में कश्मीर पर सिक्खों का राज था तब उनका परिवार पंजाब आ गया. उनके पिता शेख नूर मोहम्मद सियालकोट में दर्जी का काम करते थे. महज चार साल की उम्र में उनका दाखिला मदरसे में करवा दिया गया. तालीम का यह सिलसिला लम्बा चला. इकबाल ने कानून, दर्शन,फारसी और अंग्रेजी साहित्य की पढ़ाई की.
शुरुआती दिनों में जब वह गजल लिखते थे तो उसे दुरुस्त करवाने के लिए डाक से मशहूर शायर दाग देहलवी के पास भेजते थे. धीरे-धीरे उनकी शायरी में धार आती गई. शुरुआत से ही वह मजहबी और ढोंगी बातों के विरोधी थे. वह वतन परस्ती को मजहब परस्ती से ऊपर रखते थे. वह अपनी शायरी की वजह से वह सारी जिंदगी हिन्दू और मुस्लिम कट्टरपंथियों के निशाने पर रहे. इस को लेकर उन्होंने खुद लिखा है
जाहिद-ए-तंग नजर ने मुझे काफिर जाना और काफिर ये समझता है मुसलमान हूं मैं
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Source: IOCL






















