कभी इस वजह से टूट गये थे, अब UPSC के हिंदी टॉपर बने अनिरुद्ध कुमार, पत्नी भी हैं IPS
अनिरुद्ध कुमार ने कहा, ''जो सफल नही हो पाए वो पेशेंस बनाएं रखें, मेरा भी ये चौथा अटैम्प्ट है. भगवान के घर देर है अंधेर नहीं.''

नई दिल्ली: आम धारणा है कि हिंदी माध्यम के छात्र टॉपर नहीं बन सकते. लेकिन इस धारणा को यूपीएससी के हिंदी टॉपर अनिरुद्ध कुमार ने गलत साबित कर दिया है. अनिरुद्ध कुमार, गाजियाबाद में सेल्स टैक्स असिस्टेंट कमिशनर के पद पर कार्यरत हैं और चौथे अटैम्प्ट में हिंदी के टॉपर बने हैं. उन्होंने ने 146वां रैंक हासिल किया है.
अनिरुद्ध कुमार ने कहा, ''हिंदी होने की वजह से थोड़ी परेशानी होती है क्योंकि कंटेंट प्रॉपर नहीं मिलता, लेकिन अब कुछ स्थितियां बदली हैं. इंस्टिट्यूट्स हिंदी के नोट्स भी प्रोवाइड करते हैं. मैं ट्रांसलेट करता था और नोट्स बनाता था फिर कंपाइल करता था. सही स्ट्रेटजी बनाना जरूरी है.'' उन्होंने कहा, ''काम के साथ तैयारी करना चैलेंज है. सपोर्ट करने के लिए पत्नी का शुक्रगुजार हूं.'' यूपीएससी में 146वां रैंक हासिल करने वाले अनिरुद्ध ने कहा, ''अभी एवेंजर्स मूवी देखी है. फिल्में देखना बहुत पसंद है.''
अनिरुद्ध कुमार ने कहा, ''जो सफल नही हो पाए वो पेशेंस बनाएं रखें, मेरा भी ये चौथा अटैम्प्ट है. भगवान के घर देर है अंधेर नहीं.'' उन्होंने कहा, ''पहले 2013 में मेरा सलेक्शन नहीं हुआ तो मैं बहुत टूट गया और पेपर ही नहीं दिए. जिन्दगी में कुछ बदलाव आए तो फिर खड़ा हुआ और तैयारी शुरू की. इस दौरान मेरा सबसे बड़ा सपोर्ट मेरी वाइफ रहीं जो कि आईपीएस हैं और इस वक़्त हैदराबाद से ट्रेनिंग कर रही हैं. उन्होंने कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया है.''
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अपने इस पूरे सफर का जिक्र करते हुए अनिरुद्ध बताते हैं, ''हिंदी माध्यम होने की वजह से पिछले साल 10 नंबर की नेगेटिव मार्किंग हुई क्योंकि मैं ट्रांसलेट कर लिखता था. उन अंग्रेजी शब्दों की वजह से खामियाज़ा भुगतना पड़ा. इंट्रोवर्ट हूं, शर्माता था बात करने में लेकिन अब स्ट्रेटेजी बदली और दोस्तों के साथ मिलना बात करना शुरू किया.''
हांलाकि इस मुकाम तक पहुंचना अनिरुद्ध कुमार के लिए मुश्किल रहा. पिछली तीन बार से वह प्रीलिम्स और मेन्स क्लियर कर इंटरव्यू में असफल हो जाते थे. अनिरुद्ध ने कहा, ''हर बार इंटरव्यू में जाकर वापस लौट आया, मेरे लिए सांप सीढ़ी जैसा खेल रहा लेकिन कोशिश जारी रखी.''
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समाज को बेहतर बनाने के लिए कई चीजों में अनिरुद्ध सुधार चाहते हैं. उनका कहना है कि अभी वर्तमान समाज में चैलेंज है कि प्रोग्राम्स, स्कीम्स हैं लेकिन इम्पलीमेंट नहीं होता. वे समाज के लिए काम करने की भावना रखते हैं. इतना ही नहीं अनिरुद्ध सर्दियों में कंबल बांटते हैं और गर्मियों में प्याऊ लगाते हैं. एपीजे अब्दुल कलाम, प्रणब मुखर्जी और स्वामी विवेकानंद उनकी प्रेरणा हैं.
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