Lockdown One Year: पिछले साल आज ही के दिन लगा था लॉकडाउन, क्या कम हुई कोरोना की रफ्तार? जानिए
साल 2020 में करीब 4 महीनों तक लगे लॉकडाउन को 1 साल पूरा हो चुका है. लॉकडाउन के दौरान कोरोना के कितने मामले रहे और कितने लोगों ने अपनी जान गवाई अब इस पर की गई रिसर्च सामने आई है.

आज से ठीक एक साल पहले भारत सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया जिसकी कल्पना शायद ही किसी ने की होगी. पूरे देश में कई दिनों के लिए संपूर्ण लॉकडाउन लगाया गया. इस बात की घोषणा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. केंद्र सरकार ने ये फैसला तेजी से बढ़ रही महामारी कोरोना वायरस के मद्देनजर लिया था. जिस समय भारत सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा की थी तब कोरोना के मामले ज्यादा नहीं थे लेकिन चीन और अन्य देशों में वायरस की चपेट में लाखों लोग आ चुके थे. वहीं भारत में लॉकडाउन के समय कितने लोग कोरोना से संक्रमित हुए और कितने लोगों ने जान गंवाई इसके आंकड़े अब सामने आ चुके हैं.
लॉकडाउन में घर पर थी जनता
24 मार्च से 30 अप्रैल के बीच चार चरणों में लॉकडाउन लागू किया गया था. इस दौरान सभी सड़क, रेल और हवाई यात्रा को रोक दिया गया था और स्वास्थ्य कर्मचारियों और आपातकालीन कर्मचारियों को छोड़कर किसी को भी बाहर निकलने की अनुमति नहीं थी. लोग अपने घर में बैठ कर कोरोना से जंग लड़ रहे थे.
लॉकडाउन के दौरान कितने थे आंकड़े?
भारत में जब लॉकडाउन लगा था तब कोरोना वायरस से संक्रमित आंकड़े सिर्फ 525 थे. वहीं 15 मार्च 2020 को संक्रमित आंकड़ा 100 और 29 मार्च को 1000 के पार हो गया था. जबकि लॉकडाउन के दौरान 13 अप्रैल तक 10,000 से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित थे और ये आंकड़ा लगातार बढ़ता गया. वहीं कई विशेषज्ञों ने लॉकडाउन के प्रभावों का आकलन किया है और मामलों की संख्या और हुई मौतों पर रिसर्च की है.
लॉकडाउन पर विशेषज्ञों की रिसर्च
IIT हैदराबाद के प्रोफेसर एम विद्यासागर की रिसर्च टीम के मुताबिक अगर देश में लॉकडाउन नहीं लगा होता तो जून के अंत तक 140 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित होते. वास्तव में लॉकडाउन के चलते जून के अंत में संक्रमणों की कुल संख्या 6 लाख से कम थी, जबकि सितंबर में जब कोरोना वायरस सबसे खतरनाक स्टेज पर था तब लगभग 10 लाख लोग इससे संक्रमित थे. विशेषज्ञों के मुताबिक अगर लॉकडाउन का फैसला नहीं लिया गया होता तो 26 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो सकती थी. अन्य देशों की तुलना में भारत में मरने वालों का संख्या सबसे कम 1.6 लाख रही.
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