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Gujarat: 'मोरबी पुल के लिए काम करने वाली कंपनी ने बिना मंजूरी के फिर से खोला', नगर पालिका का हाई कोर्ट में हलफनामा

Morbi Accident: नगर निकाय ने कहा कि 16 अगस्त, 2017 को समझौता ज्ञापन की शर्तों की समाप्ति के बावजूद पुल का प्रबंधन जारी रखते हुए, कंपनी ने उसकी स्थिति का मुद्दा उठाया था.

Morbi Bridge Incident: मोरबी नगर पालिका ने गुजरात हाई कोर्ट को बताया कि जिस कंपनी को पुल के नवीनीकरण का जिम्मा सौंपा गया था, उसने बिना किसी पूर्व स्वीकृति और मरम्मत कार्य के बारे में नगर निकाय को सूचित किए बिना इसे फिर से खोल दिया. बता दें कि मोरबी में हुए पुल हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी.

बुधवार को हाई कोर्ट में दायर एक हलफनामे में नगर पालिका ने यह भी बताया कि 2022 में नगर निकाय और कंपनी के बीच हुए एक करार के मुताबिक अजंता कंपनी को पुल का 'उचित पुनरोद्धार' करना था और सिर्फ तभी जनता के लिये खोलना था. नगर निकाय ने मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष शास्त्री की खंडपीठ के सामने हलफनामा प्रस्तुत किया. खंडपीठ पुल ढहने के मामले में स्वत:संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है.

135 लोगों की मौत हो गई थी
मोरबी में 30 अक्टूबर को मच्छु नदी पर ब्रिटिश काल में बने 'झूला' पुल के गिरने से महिलाओं और बच्चों सहित 135 लोगों की मौत हो गई थी. हादसे से पांच दिन पहले ही जीर्णोद्धार के बाद पुल को खोला गया था. कोर्ट ने जानना चाहा कि अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड (ओरेवा समूह) को इस्तेमाल के लिए कोई मंजूरी नहीं होने के बावजूद पुल का इस्तेमाल करने की अनुमति क्यों दी गई. अहमदाबाद स्थित ओरेवा समूह इस पुल के रखरखाव और प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाल रहा था.

मरम्मत करने की जरूरत थी
मोरबी नगरपालिका ने अपने हलफनामे में कहा कि आठ मार्च, 2022 को नगर निकाय और अजंता मैन्युफैक्चरिंग के बीच किए गए एक नए समझौते में एक शर्त के अनुसार, बाद में बड़े पैमाने पर जनता के लिए इसे (पुल को) खोलने से पहले पुल के 'उचित रूप से मरम्मत' करने की जरूरत थी.

नगर निकाय ने कहा कि जब राजकोट कलेक्टर (जब मोरबी राजकोट का हिस्सा था) और कंपनी के बीच 2007 समझौता ज्ञापन (एमओयू) 15 अगस्त, 2017 को समाप्त हो गया था, तब भी झूला पुल का रखरखाव और प्रबंधन कंपनी द्वारा जारी रखा गया था, क्योंकि "कोई नया समझौता नहीं हुआ था" और आठ मार्च, 2022 को नए समझौते पर हस्ताक्षर के बाद मरम्मत के लिए इसे बंद किए जाने तक वही कंपनी इसके रखरखाव का काम कर रही थी.

दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना के लिए जिम्मेदार नहीं होगी...
हलफनामे में कहा गया कि कंपनी ने जनवरी 2020 से शर्तों को नवीकृत करने के लिए नगर निकाय को याद दिलाना शुरू कर दिया था, और कहा था कि वह "26 जनवरी, 2020 से झूला पुल को पूरी तरह से बंद कर देगी और उसके बाद, कंपनी उसके (पुल के) संदर्भ में किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना के लिए जिम्मेदार नहीं होगी."

झूले की स्थिति 'गंभीर' थी
हलफनामे में कहा गया कि पुल का संचालन हालांकि जारी रहा और 29 दिसंबर, 2021 को कंपनी ने मोरबी नगरपालिका के तत्कालीन मुख्य अधिकारी को सूचित किया कि झूला पुल की स्थिति 'गंभीर' थी, जबकि 2007 के समझौता ज्ञापन के नवीनीकरण पर निर्णय लेने का अनुरोध किया जो 2017 में ही खत्म हो गया था.

हलफनामे में कहा गया, "26 अक्टूबर, 2022 को बिना किसी पूर्वानुमति के, कंपनी ने बड़े पैमाने पर जनता के लिए पुल को फिर से खोल दिया और वह भी बिना मोरबी नगरपालिका को सूचित किए कि कंपनी द्वारा किस तरह का मरम्मत कार्य किया गया. इसके साथ ही सामग्री परीक्षण, संरचना फिटनेस, धारण क्षमता और इसकी स्थिरता से संबंधित कोई भी स्वतंत्र तृतीय पक्ष प्रमाण-पत्र प्रदान नहीं किए गए."

नगर निकाय ने कहा कि 16 अगस्त, 2017 को समझौता ज्ञापन की शर्तों की समाप्ति के बावजूद पुल का प्रबंधन जारी रखते हुए, कंपनी ने उसकी स्थिति का मुद्दा उठाया था.

यह भी पढ़ें: Covaxin: 'यह भ्रामक और झूठ है', कौवैक्सिन को दबाव में जल्दी मंजूरी दिए जाने के दावों को सरकार ने किया खारिज

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