बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन का रेजीडेंस परमिट एक साल के लिए बढ़ा, अमित शाह से लगाई थी गुहार
तस्लीमा को उनके कथित इस्लामिक विरोधी विचारों के लिए कट्टवादी समुदायों की तरफ से जान से मारने की धमकी मिलने के बाद 1994 में उन्हें बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था. तब से वह निर्वासित जीवन जी रही हैं.
नई दिल्ली: विवादित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन के रेजीडेंस परमिट को गृह मंत्रालय ने एक साल के लिए बढ़ा दिया है. स्वीडन की नागरिक तस्लीमा को साल 2004 से लगातार भारत में रहने की अनुमति मिल रही है. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि उनके रेजिडेंस परमिट को एक और साल के लिए जुलाई 2020 तक बढ़ा दिया गया है. 56 साल की लेखिका तस्लीमा नसरीन को पिछले सप्ताह तीन महीने का रेजीडेंस परमिट दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने टि्वटर पर गृह मंत्री अमित शाह से इसे एक साल तक बढ़ाने का अनुरोध किया था.
17 जुलाई को तस्लीमा ने क्या ट्वीट किया था?
तस्लीमा ने 17 जुलाई को ट्वीट किया, ‘‘माननीय अमित शाह जी, मेरा रेजीडेंस परमिट बढ़ाने के लिए मैं दिल से आपको शुक्रिया कहना चाहती हूं लेकिन मैं हैरान हूं कि यह केवल तीन महीने के लिए ही बढ़ाया गया. मैंने पांच साल के लिए आवेदन किया था लेकिन मुझे एक साल का विस्तार मिलता रहा है. माननीय राजनाथ जी ने मुझे आश्वस्त किया था कि मुझे 50 साल का विस्तार मिलेगा. भारत मेरा एकमात्र घर है. मुझे उम्मीद है कि आप मेरी मदद करेंगे.’’
लेखिका ने कहा, ‘‘हर बार मैं अपने पांच साल के भारतीय रेजीडेंस परमिट के लिए आवेदन करती हूं और मुझे एक साल का परमिट मिलता है. इस बार भी मैंने पांच साल के परमिट के लिए आवेदन किया लेकिन मुझे तीन साल की अनुमति मिली. उम्मीद करती हूं कि गृह मंत्री कम से कम एक साल के लिए मेरे रेजीडेंस परमिट को बढ़ाने पर पुनर्विचार करेंगे.’’
तस्लीमा ने गृह मंत्रालय को कहा शुक्रिया
रेजीडेंस परमिट को एक साल तक बढ़ाने के बाद तस्लीमा ने फिर ट्वीट किया. तस्लीमा ने कहा, ‘‘टि्वटर बहुत शक्तिशाली है. 16 जुलाई को मैंने ट्वीट किया था कि मेरे रेजीडेंस परमिट को बढ़ाया नहीं गया. 17 जुलाई को इसे बढ़ाया गया लेकिन सिर्फ तीन महीने के लिए. टि्वटर पर कई मित्रों ने गृह मंत्रालय से इसे लंबी अवधि तक बढ़ाने का अनुरोध किया. इसे आज एक साल के लिए बढ़ा दिया गया. फैसला बदलने के लिए गृह मंत्रालय का शुक्रिया. मेरे टि्वटर के दोस्तों को प्यार.’’
Twitter is so powerful!On July16 I tweeted my residence permit wasn't extended.On July17 it was extended,but only for 3months. So many Twitter friends requested MHA to extend it for longer period. It's extended for 1yr today.Thanks MHA to change decision. Love my Twitter friends
— taslima nasreen (@taslimanasreen) July 20, 2019
तस्लीमा को उनके कथित इस्लामिक विरोधी विचारों के लिए कट्टवादी समुदायों की तरफ से जान से मारने की धमकी मिलने के बाद 1994 में उन्हें बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था. तब से वह निर्वासित जीवन जी रही हैं. वह पिछले दो दशकों के दौरान अमेरिका और यूरोप में भी रहीं. बहरहाल, कई बार उन्होंने स्थायी रूप से भारत खासतौर से कोलकाता में रहने की इच्छा जताई.
तस्लीमा को 2007 में कोलकाता भी छोड़ना पड़ा था
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि तस्लीमा ने भारत में स्थायी निवास के लिए भी आवेदन किया था लेकिन गृह मंत्रालय ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया. लेखिका को उनके काम के खिलाफ मुसलमानों के एक वर्ग के हिंसक प्रदर्शनों के बाद 2007 में कोलकाता भी छोड़ना पड़ा था. तस्लीमा ने कहा था कि अगर वह भारत में नहीं रह पाई तो इससे उनकी ‘‘पहचान का संकट’’ होगा जो उनके लेखन और महिला अधिकारों के लिए उनकी लड़ाई पर असर डालेगा.
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