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South India Election Survey 2019: दक्षिण भारत में NDA की अब भी नो एंट्री, पिछली बार से भी कम सीटें मिलने का अनुमान
दक्षिण भारत में बीजेपी का खेल बिगाड़ने में सबसे अहम रोल तमिलनाडु का है. इसी साल डीएमके प्रमुख करुणानिधि का निधन हुआ है जिसके बाद पार्टी की कमान उनके बेटे एम के स्टालिन ने संभाल ली है.

नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव में 100 दिनों का वक्त रह गया है और राजनीतिक पार्टियों ने इसी के मद्देनजर अपनी कमर कस ली है. ABP न्यूज़ और C-वोटर ने अगले लोकसभा चुनाव में दक्षिण भारत के राज्यों कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल की 129 लोकसभा सीटों पर जनता का मूड जानने की कोशिश की है, जिसके नतीजे बीजेपी के लिए बुरी खबर लेकर आए हैं. इस सर्वे में एनडीए को 129 में से 15 सीटें मिलने का अनुमान है, तो वहीं यूपीए को 80 सीटें और अन्य को 34 सीटें मिलने की उम्मीद है. बीजेपी के लिए पिछली बार का आंकड़ा छू पाना काफी मुश्किल होगा क्योंकि साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान आंध्र प्रदेश में सहयोगी रहे चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने एनडीए का साथ छोड़ दिया है. वहीं दूसरी ओर, तेलंगाना में भी के चंद्रशेखर राव की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) भी बीजेपी को समर्थन देने के मूड में नहीं दिख रही. पिछली बार बीजेपी को यहां 3 सीटें मिली थीं. दक्षिण भारत में बीजेपी का खेल बिगाड़ने में सबसे अहम रोल तमिलनाडु का है. इसी साल डीएमके प्रमुख करुणानिधि का निधन हुआ है जिसके बाद पार्टी की कमान उनके बेटे एम के स्टालिन ने संभाल ली है. स्टालिन ने तो खुले आम कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को महागठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है. ऐसे में एनडीए को यहां नुकसान हो न हो लेकिन यूपीए को फायदा जरूर होगा. बीजेपी को 2014 लोकसभा चुनाव में यहां 2 सीटे मिली थीं. कर्नाटक में भी जनता दल (सेक्युलर) के समर्थन से कांग्रेस की सरकार है लेकिन लोकसभा चुनाव में इसका कितना असर पड़ेगा ये कहना मुश्किल है. हालांकि, पिछले लोकसभा चुनाव में दक्षिण भारत के इसी राज्य से बीजेपी को सबसे ज्यादा 17 सीटें मिली थीं. हालांकि, केरल में सबरीमाला मंदिर मुद्दे के जरिए बीजेपी अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश में लगी हुई है लेकिन इसका भी कितना सकारात्मक नतीजा देखने के मिलेगा, कुछ नहीं कहा जा सकता. पिछली बार यहां बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली थी. ये सर्वे नवंबर के आखिरी हफ्ते से लेकर दिसंबर के तीसरे हफ्ते के बीच किया गया है. देश भर में किए गए इस सर्वे में 57 हजार 701 लोगों से बात की गई.
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