गंदे नालों में मौत के खिलाफ आंदोलन, पीड़ित ने कहा- ‘सफाई नहीं करता था मेरा भाई, फिर भी उसे सीवर में उतारा’
मैग्सेसे पुरस्कार विजेता बिजवाडा विल्सन ने कहा कि अब सरकार को गंभीरता से सोचने की ज़रूरत है. 21वीं सदी में भी लोग हाथों से गंदगी साफ कर रहे हैं. ऐसे में स्वच्छ भारत अभियान का क्या औचित्य है.

नई दिल्ली: सीवर और गंदे नालों में मौत के खिलाफ दिल्ली के जंतर मंतर पर आंदोलन चल रहा है. इस आंदोलन की अगुआई सामाजिक कार्यकर्ता और मैग्सेसे पुरस्कार विजेता बिजवाडा विल्सन ने की. दिल्ली समेत देश भर में सीवर और नाले की सफाई के दौरान जहरीली गैसों से हुई मौत को देखते हुए मैनुअल तरीके से नालों और सेप्टिक टैंक की सफाई के खिलाफ इस आंदोलन की शुरुआत की गई है. देश की राजधानी दिल्ली में सात दिनों में सीवर की सफाई के दौरान 11 सफाईकर्मियों की मौत हुई है.
जो मेरे बेटे के साथ हुआ और किसी के साथ न हो- मृतक के पिता
कुछ दिन पहले ही दिल्ली के मोतीनगर में डीएलएफ सोसाइटी में सीवर की सफाई करने उतरे 5 सफाईकर्मियों की मौत हो गई थी. इनके परिवार के लोग भी आंदोलन में शामिल हुए. हादसे में पीड़ित अंगद के भाई विशाल की मौत हो गई थी. उन्होंने बताया कि विशाल का काम सीवर सफाई का नहीं था इसके बावजूद उसे सीवर में उतार दिया गया. इसी हादसे में अपने 19 साल के बेटे सरफ़राज़ को खोने वाले मोहम्मद हय्यूल की सरकार से गुजारिश है कि उनका बेटा तो चला गया कम से कम किसी और के साथ ऐसा न हो.

तीन बच्चों को लेकर आंदोलन में पहुंची मृतक अनिल की पत्नी
जंतर-मंतर पर हुए आंदोलन में देश के अलग-अलग हिस्सों से उन पीड़ित परिवारों के लोग भी आये जिन्होंने अपने लोगों को खोया है. रानी नाम की एक पीड़िता अपने तीन बच्चों और पति की फोटो लेकर यहां पहुंचीं. 14 सितम्बर को रानी के पति अनिल की सीवर की सफाई के दौरान मौत हो गई थी. महज़ 250-300 रूपए के लिए अनिल ठेकेदार के कहने पर सीवर की सफाई के लिए चला गया था, लेकिन वापस नहीं लौटा. दो बेटियों और एक बेटे की ज़िम्मेदारी अब रानी पर है.
लुधियाना से आई एक अन्य पीड़िता बीना के पति की मौत भी सीवर सफाई के दौरान ज़हरीली गैस निकलने पर दम घुटने की वजह से हुई थी. बीना के भी तीन बच्चे हैं और पूरे घर की ज़िम्मेदारी अब बीना पर ही है.
बड़ा देशव्यापी आंदोलन करने की दी धमकी
इस मामले पर लंबे समय से काम कर रहे मैग्सेसे पुरस्कार विजेता बिजवाडा विल्सन ने कहा कि अब सरकार को गंभीरता से सोचने की ज़रूरत है. 21वीं सदी में भी लोग हाथों से गंदगी साफ कर रहे हैं. ऐसे में स्वच्छ भारत अभियान का क्या औचित्य है. आंदोलनकारियों का कहना है कि अगर सरकार अभी भी नहीं जागी तो फिर एक देशव्यापी बड़ा आंदोलन किया जाएगा.
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