‘राइस पुलर गैंग’ का पर्दाफाश, कोलकाता से दिल्ली तक जुड़े थे तार, ऐसे दिया जाता था वारदात को अंजाम
दिल्ली में रहने वाले 53 साल की एक बिजनेसमैन के साथ राइस पुलर के नाम पर 11 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया. इसमें ठगों ने बिजनेसमैन को एक धातु से बना उपकरण बेचा और यह दावा किया कि यह राइस पुलर है, जो विशेष धातु से बना होता है.
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के साइबर सेल ने 'राइस पुलर' के नाम पर ठगी करने वाले कोलकाता बेस्ड गैंग का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. इनके नाम राज कुमार, ठाकुरदास मोंडल और मुन्ना लाल हैं. ये गिरोह राइस पुलर के नाम पर लोगों को चूना लगाता था. कुछ समय पहले इन्होंने दिल्ली के एक बिजनेसमैन से भी करीब 11 लाख रुपये ठग लिए थे. पुलिस ने इनके खातों में मौजूद 6 लाख रुपये भी फ्रीज करवाये हैं.
क्राइम ब्रांच के एडिशनल सीपी शिबेश सिंह के अनुसार दिल्ली में रहने वाले 53 साल की एक बिजनेसमैन के साथ राइस पुलर के नाम पर 11 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया. इसमें ठगों ने बिजनेसमैन को एक धातु से बना उपकरण बेचा और यह दावा किया कि यह राइस पुलर है, जो विशेष धातु से बना होता है.
इसे बांग्लादेश से तस्करी कर लाया जाता है. इस धातु की डिमांड इसरो, डीआरडीओ और नासा में है, जो इस धातु को स्पेस में भेजते हैं और इस धातु का इस्तेमाल स्पेस साइंस में किया जाता है, सैटेलाइट के लिए किया जाता है. साइबर सेल ने इस ठगी में शामिल 3 लोगों को गिरफ्तार किया. इनके नाम राज कुमार, ठाकुर दास और मुन्ना लाल है.
क्या कहानी है राइस पुलर की
पुलिस के अनुसार 'राइस पुलर' के नाम पर पहले भी ठगी के कई केस सामने आ चुके हैं. ठग एक तरह से जादुई पत्थर या धातु का अपने पास होने का दावा करते है, जो चावल को अपनी ओर खींचता है, क्योंकि उसमें रेडियो एक्टिव पदार्थ होता है. इसके जरिये लोगों को बेवकूफ बनाया जाता है. ये ठग अपने शिकार को जाल में फंसाने के लिए दावा करते हैं कि इंटरनेशनल मार्केट में इस राइस पुलर की ऊंची कीमत की मिलती है. ठग यह दावा भी करते है कि राइस पुलर डिवाइस को नासा, इसरो और डीआरडीओ से भी मान्यता प्राप्त है. साथ ही यह दावा करते हैं कि राइस पुलर बांग्लादेश से लाया जाता है.
एक बार जब व्यक्ति इन ठगों के जाल में फंस जाता है तो फिर ये लोग पहले तो उसे राइस पुलर के नाम धातु से बनी वस्तु बेचते हैं. फिर कहते हैं कि नासा, इसरो या डीआरडीओ से इसे टेस्ट करवाना है, जिसकी रिपोर्ट के बाद ही उक्त तीनों एजेंसी राइस पुलर को खरीदते हैं. टेस्ट के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है, फिर फर्जी रिपोर्ट पकड़ा दी जाती है. साथ ही कहा जाता है कि जब भी एजेंसी राइस पुलर को खरीदेंगी तो करोड़ों रुपये देंगी.
ये हुआ है बरामद
पुलिस ने ठगों के पास से नेशनल और इंटरनेशनल फर्जी सर्टिफिकेट्स, मोबाइल और लैपटॉप भी जब्त किये हैं. मुन्ना लाल को छोड़कर बाकी दोनों आरोपी कोलकाता के रहने वाले हैं. 22 हजार करोड़ का फर्जी आरबीआई डिपाजिट सर्टिफिकेट, यूनाइटेड नेशन्स का फर्जी एन्टी टेररिस्ट सर्टिफिकेट, मनी लॉन्ड्रिंग का फर्जी सर्टिफिकेट आदि बरामद किया है. मुन्ना लाल(73) फरीदाबाद का रहने वाला है.
कैसे करते हैं ठगी
पुलिस का दावा है कि इस गिरोह ने कोलकाता, वेस्ट बंगाल में कई फर्जी कंपनियां रजिस्टर करवाई हुई है. आरोपी मुन्नालाल एक एजेंट के तौर पर इन ठगों के लिए काम करता था और मुन्नालाल जैसे कई एजेंट देशभर में इनके लिए काम कर रहे हैं. ये लोग देशभर में अपना जाल फैलाते हैं और एजेंटों के माध्यम से लोगों को राइस पुलर के नाम पर ठगते हैं. इस ठगी के लिए इन लोगों ने कुछ वीडियो भी तैयार कराए हुए हैं, जिसमें ये राइस पुलर से चावलों को खींचता हुआ दिखाते हैं, ताकि लोगों को इन पर विश्वास हो सके और फिर उसी विश्वास का फायदा उठा कर यह गिरोह लोगों से मोटी रकम ठगता है.
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