डेबिट कार्ड के लिए एमडीआर की नई व्यवस्था लागू, हजार रुपये तक का लेन-देन हो सकता है महंगा
दरअसल, डेबिट कार्ड से किया गया लेन-देन सीधे आपके खाते से जुड़ा होता है. मतलब ये कि आपके खाते में जितनी रकम होगी, उतनी ही तक का कार्ड के जरिए खर्च कर पाएंगे.

नई दिल्ली: डेबिड कार्ड से 1000 रुपये तक की खरीदारी महंगी पड़ सकती है जबकि उससे ज्यादा का लेन-देन सस्ता हो सकता है. क्योंकि रिजर्व बैंक ने डेबिट कार्ड पर पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट यानी एमडीआऱ की नई व्यवस्था का ऐलान किया है. नई व्यवस्था अगले साल पहली जनवरी से लागू होगी.
एमडीआर को दूसरे शब्दों में ट्रांजैक्शन फीस भी कहते हैं. ये रकम कार्ड जारी करने वाली वित्तीय संस्था लेती है. बड़े दुकानों, मॉल, होटल वगैरह इस फीस का बोझ खुद ही उठाते हैं जबकि छोटे और मझौले दुकानदार ये पैसा ग्राहकों से लेते हैं. एमडीआर की व्यवस्था में बैंक या वित्तीय संस्था प्राप्त भुगतान में से कुछ रकम काटकर बाकी पैसा कारोबारी को अदा करते हैं, इसीलिए इस फीस को मर्चेंट डिस्काउंट रेट यानी कारोबारियों को भुगतान की जाने वाली रकम में कटौती की दर के नाम से जाना जाता है.
नई व्यवस्था में लेन-देन की रकम के बजाए कुल कारोबार को एमडीआर का आधार बनाया गया है. साथ ही प्वाइंट ऑफ सेल्स यानी पॉस मशीन और क्विक रिस्पांस यानी क्यू आर कोड के लिए दरें अलग-अलग कर दी यी है. नई व्यवस्था के तहत कारोबारियों को दो समूह में बांटा गया है और हर समूह के लिेए एमडीआर की अलग-अलग दर होगी. इसके मुताबिक,
# छोटे कारोबारी, यानी बीते कारोबारी साल में जिनका कुल कारोबार 20 लाख रुपये तक था, उनके लिए पॉस पर एमडीआर की दर 0.4 फीसदी तक हो सकती है. यानी 1000 रुपये की खऱीद पर 4 रुपये का एमडीआर. लेकिन एक लेन-देन पर एमडीआर ज्यादा से ज्यादा 200 रुपये ही हो सकता है.
# अगर छोटे व्यापारी ने क्यू आर कोड की व्यवस्था कर रखी है तो वहां एमडीआर की दर की सीमा 0.3 फीसदी होगी, यानी 1000 रुपये के लेन-देन पर तीन रुपये का एमडीआर. यहां भी किसी एक लेन-देन पर एमडीआर ज्यादा से ज्यादा 200 रुपये हो सकता है. मतलब ये है कि खरीद चाहे कितनी ही बड़ी क्यों ना हो, उसपर 200 रुपये से ज्यादा एमडीआर नहीं वसूला जा सकता.
# 20 लाख रुपये से ज्यादा का सालाना कारोबार करने वाले व्यापारी के लिए एमडीआर की दर 0.9 फीसदी तक होगी. मतलब एक हजार रुपये के लेन-देन पर 9 रुपये का एमडीआर. क्यू आर कोड की सूरत में एमडीआर की दर 0.8 फीसदी होगी. यानी 1000 रुपये के लेन-देन पर आठ रुपये. दोनों ही स्थिति में एक लेन-देन पर एमडीआर ज्यादा से ज्यादा 1000 रुपये हो सकता है. मतलब ये है कि खरीद चाहे कितनी ही बड़ी क्यों ना हो, उसपर 1000 रुपये से ज्यादा एमडीआर नहीं वसूला जा सकता.
# एमडीआर की यही दरें ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लिए भी लागू होंगी.
# अभी 1000 रुपये के लेन-देन पर एमडीआर की दर 0.25 पीसदी है, यानी ज्यादा से ज्यादा ढ़ाई रुपये. वहीं 1000 रुपये से ज्यादा लेकिन 2000 रुपये तक के लेन-देन पर एमडीआर की दर 0.5 फीसदी है. दूसरे शब्दों में कहें तो 2000 रुपये के लेन-देन पर एमडीआर 10 रुपये तक होगी. लेकिन अहम बात ये है कि ये दोनों ही दरें, छोटे हो या बड़े, सभी कारोबारियो के लिए एक समान होगी. 2000 रुपये से ज्यादा के लेन-देन पर एमडीआर के लिए कोई सीमा तय नहीं है. ध्यान देने की बात ये भी है कि अभी रकम में एमडीआऱ की कोई ऊपरी सीमा नहीं है.
मतलब साफ है. आप यदि 1000 रुपये से कम की खरीदारी डेबिट कार्ड से करते हैं तो वहां पर एमडीआर की दर ढ़ाई रुपये से बढ़कर चार से नौ रुपये के बीच हो जाएगी. वहीं दो हजार रुपये की खरीदारी पर एमडीआर 10 रुपये के बजाए चार से नौ रुपये के बीच होगा.
डेबिट कार्ड बनाम क्रेडिट कार्ड
दरअसल, डेबिट कार्ड से किया गया लेन-देन सीधे आपके खाते से जुड़ा होता है. मतलब ये कि आपके खाते में जितनी रकम होगी, उतनी ही तक का कार्ड के जरिए खर्च कर पाएंगे. इसीलिए यहां पर ट्रांजैक्शन फीस को नियमित किया गया है. वहीं क्रेडिट कार्ड पर आपको आज खर्च करने और 45 दिनों के भीतर चुकाने की सुविधा मिलती है, इसीलिए उसपर ट्रांजैक्शन फीस की सीमा 2 से 2.5 फीसदी तक हो जाती है. वैसे गौर करने के बात ये है कि बड़े दुकानों, होटल, शो रुम, रिटेल आउटलेट वगैरह पर कार्ड से भुगतान करने पर आपको अतिरिक्त चार्ज नहीं देना होता, क्योंकि वो अपने मार्जिन से उसका बोझ उठाने की स्थिति में होती है. चूंकि उनके लिए कैश हैंडलिंग पर होने वाला खर्च बच जाता है, इसीलिए वो इस बचत का फायदा आपको दे पाते हैं.
Source: IOCL





















