सावरकर के जरिए बीजेपी को घेरने वाले राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट में मांग चुके हैं माफी?
देश में अगले साल यानी 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में राहुल गांधी के इस बयान ने महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी में शामिल उद्धव ठाकरे को नाराज कर दिया है.

'मेरा नाम सावरकर नहीं है, मेरा नाम गांधी है और गांधी किसी से माफी नहीं मांगता. ' 2019 के मानहानि केस में गुजरात के सूरत की एक अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया गया है. इस फैसले के बाद बीते शनिवार यानी 25 मार्च को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान माफी न मांगने की बात करते हुए राहुल गांधी ने ये विवादित बयान दे दिया.
इस बयान के बाद देश की सियासत एक बार फिर गरमा गई है. जहां एक तरफ बीजेपी राहुल गांधी पर लगातार निशाना साध रही है. वहीं दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे भी उनके इस बयान से नाराज हैं. शिवसेना(यूटी) प्रमुख उद्धव ने तो गठबंधन तोड़ने तक की चेतावनी दे डाली.
इसके अलावा बीते सोमवार की शाम यानी 27 मार्च को मल्लिकार्जुन खरगे के घर बुलाई गई विपक्षी बैठक में भी उद्धव ठाकरे और शिवसेना की तरफ से कोई भी नेता नहीं पहुंचे. हालांकि, शरद पवार के मध्यस्थता करने के बाद संजय राउत ने सबकुछ ठीक होने की बात कही है.
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर राहुल गांधी सावरकर को क्यों निशाने पर लेते हैं, और क्या सावरकर के जरिए बीजेपी को घेरने वाले राहुल गांधी ने कभी भी सुप्रीम कोर्ट में माफी नहीं मांगी है?
कोर्ट में राहुल माफी मांग चुके हैं, कब-कब?
8 मई, 2019: वर्तमान में मांफी न मांगने पर अड़ने वाले राहुल गांधी ने 8 मई 2019 को राफेल डील से जुड़े एक मामले में बिना शर्त माफी मांग ली थी. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने राफेल की सुनवाई पर सहमति जताई थी. जिस पर भड़के राहुल ने कह दिया था कि 'कोर्ट ने मान लिया है कि चौकीदार ही चोर है'.
राहुल के इस बयान पर बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी ने उनके खिलाफ अवमानना का केस दायर कर दिया था. जिसपर राहुल को कोर्ट की तरफ से नोटिस भेजा गया और राहुल ने जवाब में कहा कि हां ये मेरी गलती है और मैं बिना किसी शर्त माफी मांगता हूं.
मार्च 2014 : राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के ठाणे में अपने एक भाषण के दौरान कहा था, ' आरएसएस के लोगों ने ही गांधी जी की हत्या कर दी थी और यही लोग आज उनकी बात करते हैं. इन्होंने सरदार पटेल और गांधी जी का विरोध किया था.'
राहुल के इस बयान के बाद उनके खिलाफ मानहानि का केस दायर हुआ था. यह मामला कोर्ट में लगभग 2 सालों तक चला और साल 2016 के मई महीने में राहुल गांधी ने अपने बयान को वापस लेते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा कि आरएसएस ने गांधी जी की हत्या नहीं कराई थी.
सुप्रीम कोर्ट में उनकी तरफ से लड़ रहे वकील कपिल सिब्बल ने कहा, 'राहुल गांधी आरएसएस पर गांधी की हत्या में शामिल होने का आरोप नहीं लगाया है.'
सावरकर पर 4 साल में कब-कब साधा निशाना
दिसंबर 2019: राहुल गांधी ने भारत बचाव रैली के दौरान दिल्ली के रामलीला मैदान में सावरकर को लेकर विवादित बयान दे दिया था. उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधने के लिए सावरकर के नाम का इस्तेमाल किया था.
इसी साल इसके अलावा झारखंड में रेप इन इंडिया वाले बयान पर जब सियासत गर्म हो गई थी तब राहुल गांधी को अपने शब्दों के लिए माफी मांगने को कहा गया था. उस वक्त भी उन्होंने कहा कि वो सावरकर नहीं जो माफी मांगे.
नवंबर, 2022: भारत जोड़ो यात्रा महाराष्ट्र में पहुंची थी और इस राज्य के वाशिम जिले में एक रैली का आयोजन किया गया था. यहां भाषण देते हुए राहुल गांधी ने सावरकर के जरिए एक बार फिर बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा, 'एक तरफ बिरसा मुंडा जैसे महान क्रांतिकारी थे जो अंग्रेजी सरकार के सामने झुके नहीं थे वहीं एक ओर सावरकर थे जो उनसे माफी मांग कर रहे थे.'
उस वक्त भी उनके इस बयान ने काफी हंगामा खड़ा कर दिया था. उनके इस बयान के खिलाफ सावरकर के पोते ने मुंबई थाने में मामला भी दर्ज कराया था. जिसके बाद राहुल गांधी ने एक डॉक्यूमेंट दिखाते हुए कहा था कि ये सावरकर की चिट्ठी है जो उन्होंने अंग्रेजों को लिखी थी. इस चिट्ठी के अंतिम पंक्ति में लिखी थी, 'सर मैं आप का नौकर रहना चाहता हूं. वीडी सावरकर.'
मार्च, 2023: श्रीनगर में दिए बयान पर दिल्ली पुलिस ने 19 मार्च को राहुल गांधी के घर दबिश दी थी. जिसके बाज राहुल गांधी ने कहा, 'हमने अडानी महाघोटाले पर PM मोदी से कुछ सवाल क्या पूछे कि तिलमिलाए तानाशाह ने पुलिस भेज दी. उन्हें लगा हम डर जाएंगे, माफी मांगेंगे, यह तानाशाही बर्दाश्त करेंगे. लेकिन सनद रहे कि हम सावरकर के भक्त नहीं, बापू के अनुयायी हैं, न डरेंगे, न हारेंगे. लड़ेंगे और जीतेंगे.'
सावरकर के माफ़ी मांगने राहुल के बयान में कितनी सच्चाई?
- बीबीसी की एक खबर के अनुसार साल 2020 में भारत के संस्कृति मंत्रालय ने संसद में बताया था कि विनायक दामोदर सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी या नहीं इसका कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है.
- हालांकि जानकारों के अनुसार सावरकर ने अंग्रेज़ों से कई दफा माफी मांगी थी. इसके अलावा अंग्रेजों से उन्हें साठ रुपये प्रतिमाह पेंशन भी मिलती थी.
- साल 2020 में संसद में केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल ने इस सवाल के जवाब में कहा था कि अंडमान और निकोबार प्रशासन के पास ऐसा कोई ऐसा कोई भी रिकॉर्ड मौजूद नहीं है जिससे यह स्पष्ट कहा जा सके कि सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी थी या नहीं.
सावरकर पर राहुल की टिप्पणी से कांग्रेस को नुकसान क्या?
अब तक कांग्रेस की सहयोगी और मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर रहे उद्धव ठाकरे ने भी राहुल गांधी के बयान का विरोध किया था. उद्धव ने राहुल को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इसी तरह बयानबाजी जारी रही तो गठबंधन टूट सकता है. उद्धव ने इसके बाद कांग्रेस की मीटिंग का बायकॉट कर दिया.
उद्धव गुट और कांग्रेस में तनातनी को देखते हुए शरद पवार ने भी नाराजगी जाहिर की. रिपोर्ट्स के मुताबिक पवार ने कहा कि अगर उद्धव गुट गठबंधन से बाहर निकलता है, तो महाराष्ट्र में मुश्किलें बढ़ सकती है. इसके बाद राहुल गांधी और संजय राउत के बीच एक मीटिंग की खबरें हैं. मीटिंग में सार्वजनिक तौर पर राहुल ने सावरकर पर हमला नहीं करने की बात कही है.
कांग्रेस को इस तरह के बयान से एक और नुकसान हो सकता है. वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई बीबीसी की एक खबर में इस सवाल का जवाब देते हुए कहते हैं कि इस तरह के बयान से राहुल गांधी के विरोधियों को ये बताने का मौका मिल जाएगा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष 'राजनीतिक रूप से अपरिपक्व हैं.'
महाराष्ट्र में सावरकर क्यों बड़ा मुद्दा
हिंदुत्ववादी विचारधारा वाली शिवसेना विनायक दामोदर सावरकर को अपना आदर्श मानती है. सावरकर इस पार्टी के लिए बालासाहेब ठाकरे के समय से ही पूजनीय रहे हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र में लोग सावरकर को बहुत ज्यादा मानते हैं. पूरे मराठी समाज में वह पूजनीय रहे हैं. सावरकर का उनका कद यहां की राजनीति में भी अच्छा खासा रहा है.
इस राज्य में सावरकर को मानने वाले लोगों की संख्या इतनी ज्यादा है कि इस बड़े मतदाता समूह के कारण चाहे बीजेपी हो या शिवसेना उनके विरोध में कुछ भी नहीं सुनती.
सावरकर माफीनामे पर राजनीति क्यों
सावरकर गांधी जी की तरह ही आजादी की लड़ाई में शामिल थे. इन दोनों ने देश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई है. बक फर्क इतना है कि गांधी अहिंसा के रास्ते पर चलकर स्वाधीनता पाना चाहते थे. जबकि सावरकर क्रांति कर आजादी पाने के पक्ष में थे.
सावर को सन 1910 में गिरफ्तार कर लिया गया. उनपर नासिक के कलेक्टर जैक्सन की हत्या में शामिल होने के आरोप थे. गिरफ्तार के बाद सावरकर को 25-25 साल के लिए अंडमान की सेल्युलर जेल में रहने की सजा सुनाई गई.
देश की दो बड़ी और हिंदू विचारधारा वाली पार्टियां शिवसेना और बीजेपी जहां सावरकर को देशभक्त मानती हैं तो वहीं कांग्रेस उनके अंग्रेजों से माफी मांगने को कई बार बीजेपी पर निशाना साध चुकी है.
राहुल कैसे चल पाएंगे अलग अलग दलों के साथ, एक्सपर्ट से जानिए
बीबीसी के एक खबर में रशीद किदवई कहते हैं, "राहुल गांधी के लिए राजनीतिक तौर पर सबसे जरूरी अपने अंदर वैचारिक लचीलापन पैदा करना होगा, तभी वह विपक्ष का नेतृत्व करते हुए अलग-अलग दलों को साथ लेकर चल सकते हैं.
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी फिलहाल चाहिए कि वो कहीं और नहीं तो कम से कम अपने परिवार में ही उदाहरण तलाश कर लें. वो पाएंगे कि राजनीतिक पार्टियों के विरोधाभासों का किस तरह बेहतर प्रबंधन करने में जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने कामयाबी हासिल की.
वहीं बीबीसी से बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह कहते हैं कि सपा नेता के अखिलेश यादव को ही देखिए कि यूपी में टिकट बंटवारे के दौरान अखिलेश यादव ने राहुल गांधी को सलाह दी थी कि, "बड़े दल को बड़ा दिल भी दिखाना चाहिए."
वहीं रशीद किदवई कहते हैं कि एक परिपक्व राजनेता हमेशा नाप तौल लेता है कि जो वो बोल रहा है उसका उस समय बोलने का औचित्य क्या है.
राहुल सावरकर वाले बयान पर विपक्ष ने क्या कहा
राहुल गांधी द्वारा सावरकर पर दिए गए बयान को लेकर सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, 'राहुल गांधी अपने 'सबसे सुन्हरे सपनों' में भी 'वीर सावरकर' नहीं हो सकते.'
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "राहुल गांधी ने बहुत सही कहा कि वह सावरकर नहीं हैं. राहुल वास्तव में सावरकर को जानना चाहते हैं, तो उन्हें अंडमान जेल जाना चाहिए और वहां समय बिताना चाहिए ताकि यह महसूस किया जा सके कि वास्तव में सावरकर कौन थे और उन्होंने किस तरह का बलिदान दिया था. "
Source: IOCL





















