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नवजोत सिंह सिद्धू को कोर्ट से मिली बड़ी राहत, जेल जाने से बचे
पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. 1988 में हुई मारपीट के एक मामले में कोर्ट ने उन पर सिर्फ 1 हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया है. यानी सिद्धू न सिर्फ जेल जाने से बच गए, बल्कि मंत्री भी बने रहेंगे.
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नई दिल्ली: पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. 1988 में हुई मारपीट के एक मामले में कोर्ट ने उन पर सिर्फ 1 हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया है. यानी सिद्धू न सिर्फ जेल जाने से बच गए, बल्कि मंत्री भी बने रहेंगे.
पंजाब के पटियाला में हुई मारपीट की ये घटना जिस शख्स गुरनाम सिंह के साथ हुई थी, उनकी बाद में मौत हो गई थी. इस मामले में 1999 में निचली अदालत ने सिद्धू को बरी किया था. लेकिन पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने सिद्धू को यानी गैर इरादतन हत्या का दोषी मानते हुए 3 साल की सज़ा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू की इस दलील को मान लिया कि मौत मारपीट में लगी चोट से नहीं, दिल के दौरे से हुई थी. कोर्ट ने इसलिए उन्हें गैर इरादतन हत्या IPC की धारा 304 (2) से बरी कर दिया. लेकिन धारा 323 यानी मारपीट का दोषी माना. इस धारा में 1 साल तक की कैद या 1 हज़ार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है. कोर्ट ने सिद्धू पर सिर्फ जुर्माना लगाया.
अगर सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखता तो सिद्धू को जेल जाना पड़ता. उन्हें जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 के तहत विधायक और मंत्री का पद भी छोड़ना पड़ता. इतना ही नहीं वो 9 साल के लिए इन पदों को ग्रहण करने के अयोग्य हो जाते.
इस मामले में हाई कोर्ट ने सिद्धू के साथी रुपिंदर सिंह संधु को भी 3 साल की सज़ा दी थी. सुनवाई के दौरान संधु की तरफ से ये दावा किया कि घटना के वक्त वो घटनास्थल पर था ही नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने संधु को बरी कर दिया है.
गुरनाम सिंह के वकीलों ने दोनों की सज़ा बढ़ाने की मांग की. जबकि पंजाब सरकार ने अपने मंत्री सिद्धू को हाई कोर्ट से मिली 3 साल की सज़ा को सही ठहराया. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों की दलीलों को खारिज कर दिया है.
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