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मवेशियों की खरीद फरोख्त पर मेघालय ने तरेरी आंख, आदेश को नहीं मानेगा

शिलांग: बीफ के मुद्दे पर मोदी सरकार को मेघालय की कांग्रेस सरकार ने बड़ा झटका दिया है. मेघालय की कांग्रेस सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए वध के लिए पशु बिक्री पर रोक के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर दिया है. मेघालय में अगले साल चुनाव को देखते हुए ये मुद्दा काफी गर्म हो गया था.
मेघालय के मुख्यमंत्री मुकुल संगमा ने मेघालय विधानसभा में मवेशियों के व्यवसाय को लेकर मोदी सरकार की अधिसूचना के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया. इनकी मांग है कि ये अधिसूचना वापस ली जाए.
मेघालय में अगले साल विधानसभा चुनाव
बीफ़ जैसे मुद्दों के सहारे मेघालय में घुसने की तैयारी कर रहे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और बीजेपी के लिए ये बड़ा झटका है. कांग्रेस के इस कदम से बीजेपी को अब अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है. ये मुद्दा इसलिए अहम है क्योंकि अगले साल मेघालय में विधानसभा चुनाव है.
मेघालय में 89 फीसदी लोग बीफ खाते हैं
बीफ का मुद्दा मेघालय में इसलिए बड़ा है क्योंकि मेघालय में 80 फ़ीसदी से ज़्यादा आबादी ईसाई धर्म का पालन करती है और यहां पर करीब 89 फ़ीसदी लोग बीफ़ का सेवन करते हैं.
ऐसे में केंद्र की मोदी सरकर ने जब मई में बूचड़खानों के लिए मवेशियों की खरीद-बिक्री पर नए नियम बनाए तब से यहां पर इस फैसले को फैसले को बीफ बैन से जोड़कर देखा जा रहा था. सीएम मुकुल संगमा ने बीफ बैन और गोरक्षकों के मुद्दे पर अपनी नाराजगी भी जताई थी.
मेघालय की मुकुल संगमा सरकार ने मोदी सरकार की जिस अधिसूचना के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है, उस अधिसूचना के मुताबिक-
सरकार ने वध के लिए पशु बाज़ारों में मवेशियों की ख़रीद-फ़रोख़्त पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस अधिसूचना के नियम गाय, बैल, भैंस, बछिया-बछड़ों के साथ ऊंटों पर भी लागू हैं. मवेशी खरीदने से पहले ख़रीददार और विक्रेता दोनों को अपना पहचान-पत्र देना जरूरी है. इसके अलावा एक शर्त यह भी है कि ख़रीददार मवेशी को खरीदने के 6 महीने के अंदर उसे बेच नहीं सकेगा.
सुप्रीम कोर्ट में है मामला
फिलहाल ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है. मोदी सरकार का कहना है कि इन नए कानून से किसी भी नुकसान नहीं होगा. केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन का कहना है कि कुछ लोग सिर्फ भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.
भले ही बीजेपी कह रही है कि किसी को नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं है, लेकिन मेघालय में खुद उनके नेताओं ने इसका विरोध किया था. मेघालय के बीजेपी नेता बाचू मराक और बर्नार्ड मराक ने तो अपने पदों से इस्तीफा तक दे दिया था. अब देखना ये है कि इस मुद्दे पर पूर्वोत्तर की दूसरी सरकारें क्या करती हैं. क्योंकि पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों में भी केंद्र के इस फैसले का विरोध हुआ था.
मेघालय में 89 फीसदी लोग बीफ खाते हैं
बीफ का मुद्दा मेघालय में इसलिए बड़ा है क्योंकि मेघालय में 80 फ़ीसदी से ज़्यादा आबादी ईसाई धर्म का पालन करती है और यहां पर करीब 89 फ़ीसदी लोग बीफ़ का सेवन करते हैं.
ऐसे में केंद्र की मोदी सरकर ने जब मई में बूचड़खानों के लिए मवेशियों की खरीद-बिक्री पर नए नियम बनाए तब से यहां पर इस फैसले को फैसले को बीफ बैन से जोड़कर देखा जा रहा था. सीएम मुकुल संगमा ने बीफ बैन और गोरक्षकों के मुद्दे पर अपनी नाराजगी भी जताई थी.
मेघालय की मुकुल संगमा सरकार ने मोदी सरकार की जिस अधिसूचना के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है, उस अधिसूचना के मुताबिक-
सरकार ने वध के लिए पशु बाज़ारों में मवेशियों की ख़रीद-फ़रोख़्त पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस अधिसूचना के नियम गाय, बैल, भैंस, बछिया-बछड़ों के साथ ऊंटों पर भी लागू हैं. मवेशी खरीदने से पहले ख़रीददार और विक्रेता दोनों को अपना पहचान-पत्र देना जरूरी है. इसके अलावा एक शर्त यह भी है कि ख़रीददार मवेशी को खरीदने के 6 महीने के अंदर उसे बेच नहीं सकेगा.
सुप्रीम कोर्ट में है मामला
फिलहाल ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है. मोदी सरकार का कहना है कि इन नए कानून से किसी भी नुकसान नहीं होगा. केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन का कहना है कि कुछ लोग सिर्फ भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.
भले ही बीजेपी कह रही है कि किसी को नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं है, लेकिन मेघालय में खुद उनके नेताओं ने इसका विरोध किया था. मेघालय के बीजेपी नेता बाचू मराक और बर्नार्ड मराक ने तो अपने पदों से इस्तीफा तक दे दिया था. अब देखना ये है कि इस मुद्दे पर पूर्वोत्तर की दूसरी सरकारें क्या करती हैं. क्योंकि पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों में भी केंद्र के इस फैसले का विरोध हुआ था.
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Source: IOCL





















