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Delhi Lockdown: दिल्ली के मजदूरों-कामगारों को सता रहा है लॉकडाउन का डर, फिर से पलायन की सोच रहे
Delhi Lockdown News: दिल्ली के कामगारों-मजदूरों को फिर से लॉकडाउन का डर सता रहा है और इसलिए वो सोच में पड़े हैं कि क्या अपना गांव-घर वापस चले जाएं?
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नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बाद लागू किए गए नाइट कर्फ्यू ने कामगरों के बीच एक बार फिर से लॉकडाउन का डर पैदा कर दिया है. इस डर की वजह से ये कामगर एक बार फिर से राजधानी दिल्ली से अपने गांव पलायन करने की सोच रहे हैं. हालांकि उनका कहना है कि अगर लॉकडाउन का ऐलान होता है, तो वे तुरंत अपने गांव चले जाएंगे, लेकिन किसी भी हाल में लॉकडाउन नहीं लगना चाहिए. राजधानी दिल्ली का सदर बाजार एशिया का सबसे बड़ा थोक बाजार है, जहां पर अलग-अलग वस्तुओं के थोक बाजार है. सदर बाजार में कामगरों के मन में क्या चल रहा है इसे जानने के प्रयास में कुछ मजदूरों से बात की गई.
केस स्टडी
1- इमरान, पटना, बिहार मैं सप्लाई का काम करता हूं और काफी सालों से सदर बाजार में काम कर रहा हूं. यहीं रहता हूं. जबसे नाइट कर्फ्यू का ऐलान हुआ है, तब से मन के अंदर लॉक डाउन का डर बैठ गया है. अगर ऐसा होता है तो मैं घर वापस चला जाऊंगा, क्योंकि यहां पर रहना बहुत कठिन हो जाएगा. काम धंधा भी मंदा हो चुका है. इसलिए बार-बार मन में डर सता रहा है कि लॉकडाउन न हो जाए. ऐसा कह भी रहे हैं कि लॉकडाउन हो सकता है.
2- राकेश कुमार, जौनपुर, उत्तरप्रदेश मैं गिफ्ट आइटम का काम करता हूं. अभी जब से कोरोना के केस बढ़ने लगे हैं और नाइट कर्फ्यू लगा है, तब से लॉक डाउन का डर भी बैठ गया है. अक्सर मन में यह डर लगता है कि कहीं लॉकडाउन न हो जाए. काम धंधा काफी कम हो चुका है और अगर लॉकडाउन होता है, तो गांव वापस लौटने के कोई और चारा नहीं है.
3- रामकरण यादव, सिद्धार्थ नगर मैं यहां लगभग 25 - 30 साल से काम कर रहा हूं. अभी जबसे नाइट कर्फ्यू का ऐलान किया गया है तब से मन में चिंता सताने लगी है कि कहीं लॉकडाउन न कर दें. लॉकडाउन नहीं करना चाहिए क्योंकि लोगों के पास काम धंधा नहीं है. अगर लॉक डाउन हो जाएगा तो लोगों के पास काम की किल्लत हो जाएगी और आर्थिक तंगी भी हो जाएगी. लेकिन अगर लॉक डाउन लगता है तो हम गांव लौट जाएंगे, क्योंकि यहां रह कर खाने पीने को भी कुछ नहीं मिलेगा. अभी रात को भी काम करने में डर लगने लगा है, क्योंकि नाइट कर्फ्यू लगने के बाद से पुलिस हमें टोकती है और मन में डर लगता है कि हमें पकड़ न लें.
4- भूषण यादव, समस्तीपुर, बिहार लॉकडाउन नहीं लगाना चाहिए क्योंकि लॉकडाउन अगर लगाया गया तो फिर यहां रहना बेहद कठिन हो जाएगा. अगर लॉकडाउन लगाया जाता है तो हमारे पास गांव लौटने के अलावा कोई और चारा नहीं बचेगा. पहले जब लॉक डाउन लगा था तब कुछ दिनों का बोल कर 4 महीने तक लॉक डाउन लगा दिया गया था. अभी काम धंधा कम हो गया है. नाईट कर्फ्यू लागू होने के बाद से रात में काम करने पर भी डर लगता है कि कहीं पुलिस ने पकड़ ले.
5- दुखराम, अयोध्या अभी लॉक डाउन का डर सता रहा है. मैं रिक्शा ठेले को धक्का लगाने का काम करता हूं. 5 साल से दिल्ली में हूं, लेकिन अभी मुझे गांव वापस लौटना है क्योंकि फसल की कटाई होनी है. लॉकडाउन लगे या न लगे मुझे गांव लौटना ही हैं, लेकिन मन में लॉक डाउन का डर सता रहा है.
क्या कहना है फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स असोसिएशन के अध्यक्ष का
मजदूरों के स्तर को लेकर जब सदर बाजार के फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन(फेसटा) के अध्यक्ष राकेश कुमार यादव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमारे यहां पर जितने भी दुकानदार हैं उनके माध्यम से हमने यहां पर काम करने वाले सभी कामगरों को यह संदेश दे दिया है कि वे लोग लॉकडाउन की आशंका को मन में न बैठाए. न ही उससे डरे क्योंकि अभी तक किसी भी सरकार की तरफ से लॉकडाउन के बारे में कोई भी बात नहीं कही गई है. इसलिए हमें इस तरह की अफवाहों को बढ़ने से रोकना चाहिए और लॉकडाउन कोरोना से बचाव का कोई उपाय नहीं है. अभी अगर हम यहां के व्यापारियों की बात करें तो अधिकतर संख्या में व्यापारी ऐसे हैं जो आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और ऐसे में अगर लॉकडाउन का ऐलान हो जाता है तो कहीं न कहीं सरकार के लिए भी यह एक गलत निर्णय होगा, जो सरकार के आर्थिक नीतियों पर दुष्प्रभाव डालेगा.
कोरोना से लड़ना है तो हिम्मत के साथ लड़ना होगा. सावधानी ज्यादा जरूरी है. हमें कोरोना से लड़ने के सभी उपायों पर ज्यादा गंभीर होना चाहिए. चाहे वह सोशल डिस्टेंसिंग की बात हो, या सैनिटाइजेशन की. लेकिन अगर हम सदर बाजार की बात करें तो यह काफी कन्जेस्टेड जगहों में से एक है. यहां पर दुकाने सकरी गलियों में है. इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग भी फॉलो करना बहुत मुश्किल हो जाता है. फिर भी हमें मास्क और सैनिटाइजेशन के साथ उचित दूरी को अपनाते हुए काम करना होगा.
इसके अलावा मेरा सरकार से एक सुझाव भी है. कुछ जगहों पर सुनने में आ रहा है कि मार्केट के जो वर्किंग ऑवर हैं, उनको घटाने का विचार किया जा रहा है, लेकिन मेरी समझ से यह निर्णय भी अनुचित होगा. क्योंकि अगर हम सुबह 11:00 से शाम 5:00 बजे तक के लिए मार्केट खोलते हैं तो कम अंतराल की वजह से बहुत ज्यादा संख्या में भीड़ एक साथ बाजार में आएगी, जिसकी वजह से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और भी मुश्किल हो जाएगा. इसलिए मार्केट को अपने रूटीन टाइम पर ही खोलने और बंद करने का नियम जारी रहे. कोरोना से बचने के उपाय हैं, उन पर जोर देना अति आवश्यक है.
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