(Source: ECI / CVoter)
Karnataka Election: लिंगायतों के गढ़ में बीजेपी के लिए मुश्किल लड़ाई, वीरशैव फोरम ने कांग्रेस को दिया समर्थन
Karnataka Election: कर्नाटक में वीरशैव लिंगायत फोरम ने कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की है. इस कदम को भगवा खेमे के लिए झटके के रूप में देखा जा रहा है.
Linagayat In Karnataka Election 2023: कर्नाटक में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. बीजेपी हो या उसकी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस, दोनों विकास के दावे के साथ अलग-अलग मुद्दे उठा रहे हैं, लेकिन सभी की असल नजर कर्नाटक के महत्वपूर्ण लिंगायत समुदाय पर है.
इस बीच कर्नाटक वीरशैव लिंगायत फोरम ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में समर्थन को लेकर अपना आधिकारिक पत्र जारी किया है. फोरम ने लिंगायत समुदाय के लोगों से कांग्रेस को वोट देने की अपील की है. कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को बीजेपी का सबसे बड़ा समर्थक माना जाता है, ऐसे में इस कदम को भगवा दल के लिए झटके के रूप में देखा जा रहा है.
जातिगत समीकरण क्यों जरूरी?
कर्नाटक में जाति के अंकगणित को चुनावों में जीत तक पहुंचने की कुंजी के रूप में देखा जाता है. यही वजह है कि राज्य की प्रमुख आबादी और राजनीतिक रूप से जागरूक लिंगायत समुदाय पर हर दल की नजर है. जहां लिंगायत पारंपरिक रूप से भगवा खेमे की ओर झुके हुए हैं, वहीं प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस और जेडीएस भी 10 मई के चुनाव से पहले संतों और वोटों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है.
लिंगायत संतों की अहम भूमिका
कर्नाटक में लिंगायत संत अहम भूमिका निभाते हैं. उनके आशीर्वाद से कर्नाटक में अंतिम चुनावी परिणाम को प्रभावित करने में मदद मिलती है. बीजेपी नेता महेश तेंगिंकाई ने अपना नामांकन पत्र दाखिल करने से पहले श्री सिद्धारूढ़ स्वामी मठ का दौरा किया. इस बहाने ये संकेत देने की कोशिश की गई है कि बीजेपी अपने पारंपरिक लिंगायत वोट बैंक के पास वापस आ रही है.
हालांकि, उत्तर कर्नाटक के दो लिंगायत मठ के असर वाले इलाके में इस बार भगवा खेमे के लिए राह आसान नहीं है. पिछली बार इन मठों ने बीजेपी की सत्ता तक पहुंचने में मदद की थी, लेकिन इस बार स्थितियां बदली हैं. इस बार बीजेपी के कई शीर्ष नेता टिकट न मिलने के बाद पाला बदलकर कांग्रेस के खेमे में जा चुके हैं. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार, पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी, नेहरू ओलेकर और एनवाई गोपालकृष्ण प्रमुख हैं.
बीजेपी का गढ़ माना जाता है उत्तरी कर्नाटक
उत्तरी कर्नाटक में कित्तूर कर्नाट (मुंबई कर्नाटक) और कल्याण कर्नाटक (हैदराबाद कर्नाटक) क्षेत्र शामिल है. इन दोनों क्षेत्र में राज्य के 13 जिले आते हैं जिसमें 90 विधानसभा सीटें हैं. इस क्षेत्र को लिंगायतों का गढ़ माना जाता है. यहां फिलहाल बीजेपी के पास 52 सीटें हैं, जबकि कांग्रेस के पास 32 और जेडीएस के पास 6 सीटें हैं.
इस बार कई लिंगायत दिग्गज भगवा खेमा छोड़कर कांग्रेस के साथ चले गए हैं. ऐसे में इस गढ़ को बचाए रखने की लड़ाई बीजेपी के लिए निश्चित रूप से कठिन हो गई है.
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