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गुजरात चुनाव: तारीखों के एलान के साथ आचार संहिता लागू, जानें- क्या होती है आचार संहिता

गुजरात का चुनाव कितना अहम है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 बार गुजरात का दौरा कर चुके हैं. गुजरात चुनाव को 2019 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है.

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने गुजरात चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है. मुख्य चुनाव आयुक्त एके ज्योति ने बताया कि गुजरात में दो चरणों में चुनाव होगा. पहला फेस में 89 सीटों के लिए वोटिंग होगा. 14 नवंबर को नोटिफिकेशन जारी होगा. 21 नवंबर को नामांकन का आखिरी दिन होगा.

22 नवंबर को नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी होगी. 9 दिसंबर को पहले चरण के लिए वोटिंग होगी. दूसरे चरण के लिए 14 दिसबंर को 93 सीटों के लिए वोटिंग होगी. 18 दिसबंर को हिमाचल चुनाव के साथ गुजरात चुनाव के भी नतीजे आएंगे.

क्या होती है आचार संहिता

  • चुनावों के दौरान मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट यानि आदर्श आचार संहिता का ज़िक्र सबसे ज्यादा होता है. मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट यानि आदर्श आचार संहिता प्रत्याशियों और राजनीतिक पार्टियों के लिए वो नियम हैं, जिसका चुनाव के दौरान पालन करना जरूरी होता है. ये नियम राजनीतिक पार्टी के साथ बातचीत और सहमति के साथ ही बनाए गए हैं.
  • चुनाव आयोग ने मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट को हिस्सों में बांट रखा है. साधारण आचरण, मीटिंग औऱ जुलूस के लिए जरूरी बातें, सत्ता पर काबिज पार्टी औऱ मतदान के दिन का आचरण. यानि हर मौके के लिए अलग-अलग कायदे कानून हैं.

क्या है आदर्श आचार संहिता के नियम 

  • सरकार (केंद्र या राज्य), मंत्री या अधिकारी नई योजना की शुरुआत नहीं कर सकते, यानि नए एलान नहीं कर सकते, जो चुनावी राज्यों के वोटर को प्रभावित करे. कुछ खास परिस्थितियों में चुनाव आयोग से इजाजत लेनी होगी.
  • सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल चुनावों के लिए नहीं होना चाहिए. सरकारी दौरे, सरकारी गाड़ी या एयर क्राफ्ट का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नही कर सकते. सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव मुहिम के दौरान नहीं किया जा सकता. प्रचार के लिए सरकारी पैसे का इस्तेमाल नहीं हो सकता.
  • सरकार, मंत्री या अधिकारी चुनाव के एलान के बाद अपने मंज़ूर किए गए धन या अनुदान के अलावा अपने विवेक से कोई नया आदेश नहीं दे सकते यानी सीधे शब्दों में कहें कोई नई योजना शुरू नहीं कर सकते.
  • प्रत्याशी और राजनीतिक पार्टी को रैली, जुलूस निकालने, मीटिंग करने के लिए इजाजत लेनी होगी और इसकी जानकारी पुलिस को देनी होगी.  अगर इलाके में कोई पाबंदी लागू है तो इससे छूट पाने के लिए पुलिस से अनुमति लें.
  • लाउडस्पीकर के  इस्तेमाल के नियमों का पालन करना होगा.
  • कोई राजनीतिक दल या प्रत्याशी ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे अलग अलग समुदायों के बीच मतभेद को बढ़ावा मिले. वोट पाने के लिए किसी भी स्थिति में जाति या धर्म आधारित अपील भी नहीं की जा सकती.
  • किसी भी धार्मिक स्थल मंदिर, मस्जिद, चर्च या दूसरे धार्मिक स्थल का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के मंच के तौर पर नहीं किया जा सकता है.
  • वोटरों को रिश्वत देकर, या डरा, धमकाकर वोट नहीं मांग सकते.
  • प्रत्याशी या राजनीतिक पार्टी किसी व्यक्ति की ज़मीन, बिल्डिंग, कंपाउंड वॉल का इस्तेमाल बिना इजाजत के नहीं कर सकते.
  • किसी राजनीतिक पार्टी या प्रत्याशी पर निजी हमले नहीं किए जा सकते हैं, लेकिन उनकी नीतियों की आलोचना हो सकती है.
  • राजनीतिक पार्टियों को यह सुनिश्चित करना है कि उनके कार्यकर्ता दूसरी राजनीतिक पार्टियों की रैली में कहीं कोई बाधा या रुकावट नहीं डाले. पार्टी कार्यकर्ता और समर्थकों के लिए यह ज़रूरी है कि दूसरी राजनीतिक पार्टी की मीटिंग के दौरान गड़बड़ी पैदा नहीं करें.
  • वोटिंग के दिन मतदान केंद्र के 100 मीटर के दायरे में प्रचार की मनाही होती है. मतदान के 48 घंटे पहले पब्लिक मीटिंग करने की मनाही होती है और मतदान केंद्र पर वोटरों को लाने के लिए गाड़ी मुहैया नहीं करा सकते.

चुनाव प्रचार के दौरान आम लोगों की निजता या व्यक्तित्व का सम्मान करना लाज़मी है. चुनाव के दौरान प्रत्याशीऔऱ पार्टी दोनों से ये अपेक्षा की जाती है वो अपनी गतिविधियों से आचार संहिता का उललंघन ना करें.

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