क्या जरूरी है लॉकडाउन-3, जानिए भारत को लेकर क्या कहती है दुनिया की सबसे पुरानी मेडिकल जर्नल?
भारत में कोरोना वायरस का ग्राफ बढ़ रहा है. हालांकि, दुनिया के दूसरे मुल्कों की तुलना में यहां की स्थिति बेहतर है. इसका एक बड़ा कारण लॉकडाउन है. विश्व की सबसे पुरानी मेडिकल जर्नल के प्रमुख रिचर्ड हॉर्टन ने भारत की स्थिति पर विस्तार से अपनी राय दी है.

नई दिल्ली: एक तरफ देश में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ इसके समाधान के लिए प्रधानमंत्री ने तमाम राज्यों के सीएम के साथ बैठक की. पिछली बार जब उन्होंने मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की थी तो उसमें लॉकडाउन-2 का फॉर्मूला निकला था. इस बार तीन घंट के मंथन में बाद वायरस की काट के लिए यही फॉर्मूला निकाला कि देश को लॉकडाउन-3 के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार रहना पड़ेगा, क्योंकि वक्त की मांग कुछ ऐसी ही है.
मौजूदा हालात को देखते हुए ये मानकर चलिए कि लॉकडाउन 3 मई के आगे भी बढ़ना लगभग तय है. लॉकडाउन बढ़ाना क्यों पड़ रहा है, इसका एक उदाहरण उत्तर प्रदेश के कानपुर से ही देखने को मिल गया. यहां जमात की वजह से मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को कोरोना बीमार कर गया. इल्म और इबादत में लगे बच्चों को संक्रमित कर गया. उत्तर प्रदेश के कानपुर में कोरोना कातिल रूप ले चुका है. आज-आज भर में 21 नए मामले सामने आ गए और 197 मरीजों के साथ कानपुर, आगरा के बाद राज्य में दूसरा सबसे संक्रमित जिला बन गया.
वहीं गुजरात में भी बुरा हाल है. महाराष्ट्र की हालत सबसे खराब है और राजधानी दिल्ली में तो हर दिन हॉटस्पॉट की संख्या बढ़ रही है. सोमवार को मैक्स हॉस्पिटल के 33 नर्सिंग स्टॉफ कोरोना संक्रमित हो गए और जो पहले से ही हॉटस्पॉट हैं, वहां भी मरीजों की संख्या भी बढ़ती ही जा रही है. यानि जिन इलाकों में संक्रमण फैला, वहां के लोगों की लापरवाही की वजह से ही फैला. लेकिन लॉकडाउन की वजह से इलाके भर में ही सीमित रह गया. इसलिए लॉकडाउन बढ़ना तो तय है, ये मानकर चलना होगा क्योंकि इस देश को अभी तक लॉकडाउन ने ही बचा रखा है.
एक बात ये भी साफ है कि भारत में कोरोना के हॉटस्टॉप सीमित हैं. व्यापक स्तर पर कोरोना नहीं फैला है. जहां पहले केस हैं, संक्रमण को उन्हीं इलाकों तक सीमित कर दिया गया है. इस बात की गवाही आंकड़े भी देते हैं. आंकड़ों के मुताबिक, देश के आठ राज्यों में ही कोरोना वायरस के 88 फीसदी मामले हैं. महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश ही सबसे ज्यादा संक्रमण के मामले हैं.
इन 8 राज्यों को छोड़कर देश के बाकी राज्यों में हालात काफी हद तक नियंत्रण में है. बाकी राज्यों में जिले की स्थिति को देखते हुए सशर्त छूट मिल सकती है. मजदूरों और छात्रों को निकालने का प्लान बनाया जा सकता है लेकिन जहां स्थिति गंभीर है वहां तो कोई रियायत नहीं मिलने वाली है.
विश्व की सबसे पुरानी मेडिकल जर्नल द लासेंट के प्रमुख रिचर्ड हॉर्टन ने भारत की स्थिति पर कहा है कि भारत दूसरे बड़े देशों की तुलना में बहुत बेहतर स्थिति में है. ऐसे में वहां लॉकडाउन हटाने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. रिचर्ड हॉर्टन ने कहा, ''मैं समझता हूं कि आपको आर्थिक गतिविधि फिर से शुरू करनी होगी लेकिन इसके लिए जल्दबाजी न करें. यदि आप लॉकडाउन को जल्दबाजी में हटाते हैं और तो आप कोरोना बीमारी के दूसरे चरण में होंगे जो पहले चरण की तुलना में और खराब हो सकता है. इसलिए भारत को लगातार 10 हफ्तों तक लॉकडाउन रखना चाहिए. अगर सफलतापूर्वक लॉकडाउन लगा रहा तो भारत में निश्चित तौर पर कोरोना वायरस महामारी खत्म हो जाएगी.'' यानि अगर लंदन के मशहूर जर्नल की माने तो भारत में सात हफ्ते के लॉकडाउन के बाद अभी तीन हफ्ते और लॉकडाउन करना पड़ेगा, तभी पूरी स्थिति नियंत्रण में आएगी.
वैसे भी सिंगापुर की यूनिवर्सिटी की गणितीय आधार पर की गई रिसर्च रिपोर्ट ने कल ही बड़ा दावा किया है कि अगर भारत में अभी जैसा चल रहा है, वैसे ही चलता रहा तो 21 मई को भारत में कोरोना 97 फीसदी खत्म हो जाएगा. 31 मई तक भारत में कोरोना 99 फीसदी खत्म हो जाएगा और 25 जुलाई तक हिंदुस्तान की धरती से कोरोना का 100 फीसदी खात्मा हो जाएगा.
इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी यही है कि लॉकडाउन को आगे भी लागू रखा जाए. कम से कम ट्रेन, बस, प्लेन जैसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बंद रखा जाए और निश्चित ही कोरोना को रोकने के लिए सरकार ऐसा करेगी ही करेगी. तमाम राज्यों की भी यही मंशा है.
सोमवार को राज्यों के सीएम के साथ हुई बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा यही कि पिछले डेढ़ महीने में लॉकडाउन की वजह से हमने देश में हजारों लोगों की जान बचाई है. हमारा उद्देश्य तुरंत कार्रवाई करना है और हमें 2 गज दूरी के मंत्र का पालन करना है. कोरोना प्रभावित रेड जोन समय के साथ ऑरेंज और फिर ग्रीन जोन में तब्दील होने चाहिए. हमें ऐसे सुधारों के लिए तैयार रहना चाहिए ताकि इससे आम लोगों का जीवन और बेहतर बन सके. हमें अर्थव्यवस्था को भी महत्व देना है लेकिन उसके साथ साथ कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई भी जारी रखनी है.
इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कह दिया है कि जब तक हालात ठीक नहीं हो जाते लॉकडाउन जारी रहेगा. जिन जिलों में हालात ठीक है वहां जिलेवार छूट दी जाएगी. हमें अर्थव्यवस्था पर ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है. हमारी अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है.
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