विधानसभा अध्यक्ष नहीं होने पर महाराष्ट्र सरकार और राज्यपाल में टकराव, बीजेपी हुई हमलावर
महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष पद महीने भर से खाली है. उस पर तुरंत चुनाव करने के आदेश राज्यपाल ने दिया लेकिन सरकार ने राज्यपाल के आदेश का पालन नहीं किया है. विधानसभा में बीजेपी ने मुद्दा उठाकर सरकार को घेरा है.

क्या महाराष्ट्र में लग सकता है राष्ट्रपती शासन? राज्यपाल के आदेश को ठाकरे सरकार के नाराज अन्दाज़ पर बीजेपी ने सरकार को चेताया है? महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष पद महीने भर से खाली है उस पर तुरंत चुनाव करने के आदेश राज्यपाल ने दिया लेकिन सरकार ने राज्यपाल के आदेश का पालन नहीं किया है. विधानसभा के बीजेपी ने मुद्दा उठाकर सरकार को घेरा है.
महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे सरकार विधानसभा अध्यक्ष पद चुनाव से करने से क्यू क्यों कतरा रही है? पूर्ण बहुमत होने के बाद भी क्यों राज्यपाल के आदेश को क्यू नजर अन्दाज़ किया जा रहा है? क्या सरकार को ये अधिकार किसने दिया है? क्या राज्यपाल के आदेश से ऊपर है महाराष्ट्र सरकार? ये कुछ ऐसे सवाल है जो बीजेपी सदन के अंदर और बाहार पूछ रही है.
बीजेपी नेता सुधीर मुनगंटीवार ने विधान सभा में कहां कि, "अगर राज्यपाल के आदेश का पालन नहीं हुआ तो राष्ट्रपति शासन महाराष्ट्र में लग सकता है." आपको बता दें कि राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए जो पैरामीटर संविधान में तय किए गए हैं उनमें से एक है कांस्टीट्यूशनल फेलियर और अगर राज्यपाल के आदेश के बाद भी सरकार विधानसभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद को बहुमत होने के बाद भी रिक्त रखने की फिराक में होगी तो हो सकता है कि इस मुद्दे पर राज्यपाल कोई कड़ा कदम उठा सकते हैं.
जानकारी के मुताबिक पिछले 30 दीनों से विधानसभा अध्यक्ष का पद खाली है. महाराष्ट्र विधान सभा के इतिहास में इतने दिन तक विधानसभा का अध्यक्ष पद खाली नहीं रखा गया. सुधीर मुनगंटीवार ने विधान सभा में पिछले सालो का उदाहरण देते हुए कहा कि, 17 फरवरी 1980 को शरद पवार की सरकार इंदिरा गांधी ने बर्खास्त कर दी थी इसकी वजह थी संवैधानिक प्रशासन के अस्तित्व में न होना. संविघान के मुताबिक शासन व्यवस्था को ठीक तरीके से न चलना बताया गया था.
महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी की सरकार बनाने के बाद कोंग्रेस के पास विधानसभा अध्यक्ष पद था. नाना पटोले को अध्यक्ष बनाया गया था लेकिन उन्होंने पार्टी के एक साल बाद विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को कहा और पार्टी की कमान सौंप दी तब से विधानसभा अध्यक्ष पद खाली है. ऐसे में देखना जरूरी होगा की राज्यपाल क्या फैसला लेते हैं.
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Source: IOCL





















