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किसान आंदोलन की वजह से आम लोगों को किन-किन परेशानियों से जूझना पड़ा रहा है, यहां जानें
सिंघु बॉर्डर पर पिछले करीब एक महीने से चल रहे विरोध प्रदर्शन की वजह से बॉर्डर के आसपास के पेट्रोल पंप को काफी नुकसान हो रहा है. पेट्रोल पंप खाली पड़े हैं. वहीं किसान आंदोलन की वजह से लुधियाना के होजरी उघोग को नुकसान हो रहा है.
![किसान आंदोलन की वजह से आम लोगों को किन-किन परेशानियों से जूझना पड़ा रहा है, यहां जानें common peoples facing lot of problems due to farmers protest किसान आंदोलन की वजह से आम लोगों को किन-किन परेशानियों से जूझना पड़ा रहा है, यहां जानें](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/12/24162500/Farmers-Protest.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान दिल्ली के तमाम बॉर्डर पर डटे हुए हैं. किसान नए कृषि कानून रद्द करने की मांग कर रहे हैं. किसान और सरकार के बीच छह दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका. किसानों के आंदोलन की वजह से आम लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. दो राज्यों को जोड़ने वाला रास्ता तो बंद है ही. इसके अलावा भी आसपास मौजूद बाजार, उघोग और पेट्रोल पंप पूरी तरह से थप पड़े हैं.
सिंघु बॉर्डर पर पिछले करीब एक महीने से चल रहे विरोध प्रदर्शन की वजह से बॉर्डर के आसपास के पेट्रोल पंप को काफी नुकसान हो रहा है. पेट्रोल पंप खाली पड़े हैं. एक पेट्रोल पंप के सुपरवाइजर ने कहा, "पंप अभी बिल्कुल बंद है, 27 नवंबर से कोई गाड़ी नहीं आ रही है. सैलरी की दिक्कत आएगी."
वहीं किसान आंदोलन की वजह से लुधियाना के होजरी उघोग को नुकसान हो रहा है. एक दुकानदार ने बताया, "किसान आंदोलन और शादियां खत्म हो जाने की वजह से हमारे पास ग्राहक कम आ रहे हैं. अगर आंदोलन नहीं होता तो हमारा काम अच्छा चलता. पिछली बार की तुलना में इस बार 30-35 फीसदी काम कम हो गया है."
किसान संघों ने सरकार से कहा 'खुले दिल' से वार्ता के लिए आगे आएं प्रदर्शनकारी किसान संघों ने गेंद सरकार के पाले में होने की जिक्र करते हुए बुधवार को कहा कि वह बातचीत फिर से शुरू करने के लिए नया ठोस प्रस्ताव लेकर आए. वहीं कृषि मंत्री ने कहा कि समाधान तक पहुंचने का संवाद ही एक मात्र रास्ता है और सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है.
कृषि कानूनों में संशोधन के प्रस्ताव को खारिज कर चुके किसान नेताओं ने कहा कि उन्हें केंद्र के 'खुले दिल' से वार्ता के लिए आगे आने का इंतजार है और 'अगर सरकार एक कदम आगे बढ़ाएगी तो किसान दो कदम बढ़ेंगे.' वहीं सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और उम्मीद व्यक्त की कि किसान संघ अपना प्रदर्शन वापस ले लेंगे.
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