जाति जनगणना कराने को तैयार हुई मोदी सरकार, ओवैसी बोले- 'भाजपा ने दलित और पिछड़े मुसलमानों के आरक्षण...'
Caste Census in India : भारत में कई राजनीतिक पार्टियों और समूहों की ओर से जातीय जनगणना कराने की मांग उठ रही थी. इसे लेकर विपक्षी दलों ने साल 2021 में केंद्र सरकार के सामने अपनी मांग रखी थी.

Asaduddin Owaisi on Caste Census : भारत में जाति जनगणना कराने के घोषणा पर लोकसभा सांसद और एआईएमआईएम की प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है. ओवैसी ने कहा, “केंद्र सरकार ने आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़ों के शामिल करने पर सहमति जताई है. इसकी तत्काल जरूरत थी और यह लंबे समय से कई समूहों की लंबित मांग भी रही है. मैंने भी साल 2021 में इसकी मांग की थी.”
ओवैसी ने तेलंगाना के CM को दी बधाई
इस दौरान एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को बधाई भी दी. उन्होंने कहा, “मैं तेलंगाना के मुख्यमंत्री को बधाई और धन्यवाद देता हूं और तेलंगाना में ऐतिहासिक जाति जनगणना को लागू करने में उनके नेतृत्व के लिए उनकी सराहना करता हूं.”
उन्होंने कहा, “यह स्वतंत्र भारत में अपनी तरह की ऐसी पहली पहल थी, जिससे पता चला कि राज्य की 56.32 प्रतिशत जनसंख्या पिछड़ी जातियों की है. इसके अलावा तेलंगाना ने पिछड़ी जातियों के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण के प्रस्ताव को लागू करने का असामान्य निर्णय लिया.”
The Centre has agreed to include caste data in the upcoming census exercise. This was needed urgently & it was a long-pending demand of many groups. I’d also made the same demand since 2021.
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) April 30, 2025
I congratulate and thank Telangana CM @revanth_anumula garu for his leadership in…
ओवैसी ने जातीय जनगणना को कहा ‘समय की मांग’
ओवैसी ने कहा, “यह समय की मांग है कि मुसलमानों के पिछड़ेपन के बारे में उचित डेटा उपलब्ध कराया जाए, जिसमें मुसलमानों के बीच विभिन्न जातियां और समूह शामिल हों. NSSO और अन्य डेटा स्पष्ट रूप से यह दर्शाते हैं कि मुसलमान आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हैं. भाजपा ने दलित मुसलमानों के लिए SC-स्थिति का विरोध किया है; इसने पिछड़े मुसलमानों के लिए आरक्षण का भी विरोध किया है.”
उन्होंने कहा कि भाजपा को बौद्धिक रूप से ईमानदार होना चाहिए. डेटा पर पारदर्शी तरीके के इकट्ठा किया जाना चाहिए और उसे सार्वजनिक पटल पर रखना चाहिए. सरकार की नीतियां जनगणना की आंकड़ों के अनुसार होना चाहिए. इसके बाद जनगणना के आंकड़ों के अनुसार सबसे पिछड़े समुदायों के लिए शिक्षा और रोजगार के उचित अवसर भी मिलने चाहिए.”
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Source: IOCL























