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चुनाव के बीच प्रत्याशियों की कुंडली खोलने वाली खबर!
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में अपने अपने प्रत्याशियों के लिए बड़े बड़े नेता रोड शो का रेला लगाए हुए हैं. रैली चाहे मोदी की हो, मायावती की या फिर अखिलेश यादव की हो नेताजी आते हैं. प्रत्याशियों को आगे खड़ा करके वोट देने को कह देते हैं लेकिन क्या वाकई जनता अपने प्रत्याशियों को पहचानती है ?
ज्यादातर वोटर अपने स्थानीय प्रत्याशी को पहचानने की जगह मोदी, अखिलेश, मायावती, राहुल गांधी के नाम, काम पर वोट डालना पसंद करते हैं. जबकि उन्हें अपने ही प्रत्याशी के बारे में नहीं पता होता. प्रत्याशी अपना हलफनामा चुनाव आयोग को तो देते हैं. लेकिन जनता के पास उनकी पूरी जानकारी नहीं होती.
क्या ऐसा कोई सिस्टम बन सकता है ? ऐसा हो सकता है या कहें ऐसा होने की शुरुआत उत्तर प्रदेश में नहीं, बल्कि लखनऊ से 1364 किमी दूर मुंबई में हो गई है. मुंबई में बीएमसी चुनाव के लिए वोट डालने पहुंची जनता को गेट पर कुछ बैनर और पोस्टर लगे हुए दिखाई दिए. इन पोस्टर पर प्रत्याशी का नाम, उम्र, प्रत्याशी ने कितनी पढ़ाई की है, कितनी संपत्ति है और कौन-कौन से आपराधिक केस उस प्रत्याशी के ऊपर हैं समेत पूरी जानकारी लिखी मिली.
इसके पीछे क्या वजह है ? चुनाव आयोग अब धीरे धीरे इस बात को समझ रहा है कि जनता को अपने प्रत्याशी के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए जो अभी सिर्फ इलेक्शन कमीशन के पास तक ही रह जाती है.
ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं सिर्फ यूपी के चौथे चरण के चुनाव की बात करें जिसके लिए 23 फरवरी को वोट डाले जाने हैं . चौथे चरण की 53 सीटों के लिए 680 में से 116 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन पर क्रिमिनल केस चल रहे हैं. 95 उम्मीदवार तो ऐसे हैं जिन पर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण और रेप तक के आरोप हैं. 6 कैंडिडेट ऐसे हैं जो अनपढ़ हैं और 191 उम्मीदवार ऐसे हैं जो पांचवीं से बारहवीं तक ही पास हैं.
जनता का ही नहीं बल्कि लोकतंत्र का फायदा होगा अब अगर जनता को इस बात की पूरी जानकारी रहे कि जिसे वोट देने की सोच रहे थे, उस पर हत्या का केस चल रहा है. या फिर उसकी संपत्ति अचानक कई गुना बढ़ी है,या फिर वो तो पढ़ा लिखा ही नहीं है तो जनता इस बात का फैसला ले पाएगी कि क्या वो सही ये क्रांतिकारी प्रयोग मुंबई में पहली बार हुआ. अगर ऐसे ही दूसरे चुनावों में भी प्रत्याशी का एक-एक कच्चा चिट्ठा मतदान केंद्र के बाहर लगा हुआ हो तो लोकतंत्र का फायदा होगा.
क्या पूरे देश में ऐसा हो सकता है ? चुनाव आयोग के पूर्व पर्यवेक्षक के मुताबिक ऐसा करना अभी फिलहाल संभव नहीं है क्योंकि विधानसभा चुनाव में बहुत सारे प्रत्याशी खड़े होते हैं जिससे खर्च भी बढ़ जाएगा.
इस चुनाव कुछ इंतजाम किए गए थे चुनावों पर गहन रिसर्च करने वाली संस्था ADR और इलेक्शन व़ॉच ने दो मोबाइल एप इस बार लॉन्च किए. माइ नेता नाम का ये मोबाइल एप प्रत्याशियों की पूरी जानकारी दे सकता है. इसी तरह एक SMS के जरिए भी प्रत्याशी की पूरी कुंडली बताने की कोशिश हुई है. जिसमें MYNETA स्पेस अपने क्षेत्र का पिनकोड टाइप करके इसे 56070 पर SMS करके सभी प्रत्याशियों का ब्योरा मिल सकता है.
हांलाकि ऐसी कोशिश चुनावी प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के लिए ऊंट के मुंह में जीरे जैसी है. इसलिए जरूरी है को जो प्रत्याशी आपसे वोट मांगने आए, उसके बारे में पूरी जानकारी जनता को मिले, इसका इंतजाम चुनाव आयोग जल्द से जल्द करे. ताकि अपराधी, दागी, भ्रष्ट आचरण से कमाई करके अकूत संपत्ति बनाने वाले प्रत्याशियों को चुनने से पहले देश का वोटर अपना अंतिम फैसला ले पाए.
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