मेघालय से पूरी तरह और अरुणाचल प्रदेश से आंशिक रूप से हटाया गया AFSPA
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य में सुरक्षा हालात में उल्लेखनीय सुधार की वजह से यह फैसला किया गया है. अधिकारियों ने बताया कि अरूणाचल प्रदेश में अब यह विवादित कानून असम सीमा से लगे 16 थाना क्षेत्रों से घटकर आठ थाना क्षेत्रों में लागू रहेगा.

नई दिल्ली: मेघालय से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफस्पा) को पूरी तरह हटा लिया गया है, जबकि अरुणाचल प्रदेश में अब यह असम सीमा से लगे आठ थाना क्षेत्रों और पड़ोसी म्यांमार से लगे तीन जिलों में लागू रहेगा. आफस्पा कानून 31 मार्च से मेघालय के सभी क्षेत्रों से हटा लिया गया है. यह कानून सुरक्षा बलों को बिना वारंट के ही तलाशी अभियान चलाने और किसी को भी कहीं से भी गिरफ्तार करने की शक्ति देता है.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य में सुरक्षा हालात में उल्लेखनीय सुधार की वजह से यह फैसला किया गया है. अधिकारियों ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश में अब यह विवादित कानून असम सीमा से लगे 16 थाना क्षेत्रों से घटकर आठ थाना क्षेत्रों में लागू रहेगा. इसके अलावा यह तिरप , चांगलांग और लांगडिंग जिलों में भी लागू रहेगा.
विभिन्न संगठन पूर्वोत्तर के साथ-साथ जम्मू कश्मीर से इस कानून को हटाने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह कानून सुरक्षा बलों को ‘असैनिकों’ के खिलाफ कार्रवाई करने की ‘अपार शक्ति’ देता है. आफस्पा नागालैंड में कई दशकों और असम में 1990 के दशक की शुरूआत से लागू है.
तीन अगस्त, 2015 को नगा विद्रोही समूह एनएससीएन-आईएम महासचिव टी मुइवा और सरकार की ओर इसे वार्ताकार आर एन रवि के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मसौदा समझौते पर हस्ताक्षर होने के बावजूद नागालैंड से इसे वापस नहीं लिया गया है. एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि पिछले चार सालों में पूर्वोत्तर राज्यों में सुरक्षा स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है.
साल 1997 से लेकर पिछले दो दशकों में 2017 ऐसा साल रहा जब उग्रवाद से संबंधित सबसे कम घटनाएं दर्ज की गईं और सबसे कम संख्या में असैनिक और सुरक्षाकर्मी हताहत हुए. अधिकारी ने बताया कि त्रिपुरा और मिजोरम से उग्रवाद का सफाया हो चुका है, वहीं असम, मेघालय, नागालैंड और मणिपुर में सुरक्षा हालात में सुधार हुआ है.
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