Ajey Review: सिनेमाघरों पर प्रकट हुए 'बाबा', 20 रुपए में कॉलेज की दीवार पर वेल्डिंग कराने से लेकर 200 रुपए में बुलडोजर चलवा देने के किस्सों से भरी दमदार फिल्म
Ajey Movie Review: यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ पर बनी फिल्म 'अजेय' सिनेमाघरों में आ चुकी है. इस फिल्म में उनके जीवन के उन हिस्सों को दिखाया गया है जो शायद आपको न पता रहे हों.
रविंद्र गौतम
अनंत जोशी, दिनेश लाल यादव, परेश रावल
बाबा आते नहीं, प्रकट होते हैं, ये डायलॉग इस फिल्म में खुद योगी आदित्यनाथ बोलते हैं जब वो एक ऐसी रैली में पहुंच जाते हैं जहां जाने से रोकने के लिए पूरा प्रशासन उनके पीछे लगा था, और अब बाबा थिएटर में प्रकट हो चुके हैं, योगी आदित्यनाथ पर बनी फिल्म अजय रिलीज हो गई है, एक सीन में कॉलेज में अजय एक दीवार पर वेल्डिंग करवा देते हैं, जब टीचर पूछते हैं तो जवाब आता है कि दीवार पर लड़कियों के लिए गंदी बातें लिखी थी, मेरे पास 20 ही रुपए थे इसलिए वेल्डिंग करवाई, 200 होते तो बुल्डोजर चलवा देता और ये सीन आपको याद दिला देते है कि योगी बाबा को क्यों बुल्डोजर बाबा कहा जाता है, ये फिल्म बिना किसी एजेंडा के बनाई गई है, इसमें सिर्फ और सिर्फ योगी की जिंदगी को दिखाया गया है, राजनीतिक जीवन काफी कम है, राजनीति में आने से पहले की जिंदगी पर फोकस ज्यादा है.
कहानी- पहाड़ों में रहने वाला अजय नाम का एक लड़का क्यों अपना घर छोड़ जाता है, कैसे वो एक गुरु की शरण में गोरखपुर चला जाता है, फिर क्या होता है कि उसे राजनीति में आना पड़ता है, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जिंदगी पर बनी इस फिल्म में उनकी कहानी बड़े दिलचस्प अंदाज में दिखाई गई है
कैसी है फिल्म - ये एक बढ़िया फिल्म है, अक्सर ऐसी फिल्में सिर्फ एक एजेंडा लेकर चलती हैं लेकिन फिल्म के तौर पर कमजोर होती हैं, यहां उल्टा है, फिल्म में एक से बढ़कर एक डायलॉग आते हैं, एक जगह जब एक शख्स पर अत्याचार होता है, लोगों को लगता है कि वो मर गया और कोई कुछ बोलता नहीं तो अजय उसको कंधों पर उठाकर ले जाता है और कहता है- मरा ये नहीं है मरे तुम लोग हो,जब कर्ण छेदन की रस्म हो रही होती है तो वो अपने गुरु से कहते हैं कि ये आप कीजिए, गुरू कहते हैं मैं बूढ़ा हो गया तुमको दर्द ज्यादा होगा तो योग कहते हैं- ये दर्द नहीं आशीर्वाद होगा, जब अजय की मां उनके गुरु से कहती है कि तुमने मेरा बेटा छीन लिया, तुमको तो मेरे राम देखेंगे, तो गुरू कहते हैं, अगर कौशल्या ने भी राम को वनवास ना जाने दिया होता तो वो राजा तो बन जाते लेकिन भगवान नहीं बन पाते, योगी ये भी कहते हैं कि मुझे नेताओं की तरह ना बोलना आता है ना डरना आता है, जनता जनता है उसको वोट बैंक मत समझो, इस तरह के डायलॉग जब आते हैं तो आप सीटी बजाने पर मजबूर हो जाता है, ये फिल्म शुरू से एंड तक दिलचस्प है, कमाल के म्यूजिक के साथ ये फिल्म खूब एंटरटेन करती है, कहीं नहीं लगता कि ये किसी खास मकसद से बनाई गई है ,ये एक योग के नेता बनने की प्रेराणदायक कहानी है, ,फिल्म की प्रोडक्शन वैल्यू अच्छी है जो कि अक्सर ऐसी फिल्मों की नहीं होती
एक्टिंग- अनंत जोशी योगी ही बन गए हैं , उन्होंने इस किरदार को जिस कमाल तरीके से निभाया है, उसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है, चाहे बॉडी लैंग्वेज हो, बोलना का तरीका हो,चलने का तरीका हो,या फिर दबंग अंदाज, एक बार जब एक बाहुबली योगी जी को रिश्वत देने आता है और उन्हें कहता है कि आप यहीं बैठे रहिए तो वो कहते हैं - मेरा बैठना तुम्हें यहां तक ले आया, सोचो मैं खड़ा हो गया तो तुम्हारा क्या होगा, अनंत का ये अंदाज योगी की याद दिला देता है, परेश रावल ने उनके गुरु के किरदार में जान डाल दी है , निरहुआ को भोजपुरी के बाहर एक पत्रकार के रोल में देखना अच्छा लगता है.
राइटिंग और डायरेक्शन- दिलीप बच्चन झा और प्रियंका दुबे ने ये फिल्म लिखी है और रविंद्र गौतम ने डायरेक्ट की है और इन सबका काम अच्छा है, फिल्म की राइटिंग ही उसकी जान होती है और यहां ये काम पूरी ईमानदारी से किया गया है, डायरेक्शन दमदार है.
म्यूजिक- मीत ब्रदर्स का म्यूजिक फिल्म में एक नई जान डाल देता है, देखो बाबा बैठ गया जैसा गाना जब फिल्म में आते है तो मजा आ जाता है, बाकी के गाने भी बढ़िया है
कुल मिलाकर ये फिल्म अच्छआ सिनेमा है, जरूर देखिए
रेटिंग- 3.5 स्टार्स
























