Mangalwar Puja: संकट मोचन हनुमान की कृपा से बदल सकती है आपकी किस्मत! जानें सुंदरकांड पाठ का महत्व
Mangalwar Puja: हिंदू धर्म में सुंदरकांड, रामचरितमानस का पवित्र और शक्तिशाली हिस्सा है. इसमें हनुमान जी की महिमा का वर्णन है. सप्ताह के दो विशेष दिनों में इसका पाठ करने से अद्भुत परिणाम मिलते हैं.

Mangalwar Hanuman Puja: हिंदू धर्म के लोग सुंदर काण्ड को अहम मानते हैं. मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित माना जाता है. इस दिन सुंदरकांड का पाठ करना अत्यंत शुभ और फलदायी होता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुंदरकांड पाठ से जीवन में आ रही बाधाएं और संकट धीरे-धीरे दूर होते हैं. घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है. माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति लगातार 11 मंगलवार तक श्रद्धा के साथ सुंदरकांड का पाठ करता है, तो उसकी मनोकामनाएं पूरी होने लगती हैं.
मंगलवार के साथ-साथ शनिवार को भी सुंदरकांड पाठ का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन हनुमान जी की आराधना करने से शनिदेव की पीड़ा से भी राहत मिलती है.
सुंदरकांड का धार्मिक महत्व
तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस का पांचवां अध्याय सुंदरकांड कहलाता है. इसमें हनुमान जी की शक्ति, भक्ति और पराक्रम का वर्णन मिलता है. मान्यता है कि नियम और श्रद्धा के साथ सुंदरकांड का पाठ करने से प्रभु श्रीराम और बजरंगबली दोनों की कृपा प्राप्त होती है. साधक के जीवन में भय, तनाव और नकारात्मक विचार कम होने लगते हैं. सुंदरकांड पाठ को भक्ति के साथ किया जाए, तो यह मन को स्थिर करता है.
सुंदरकांड पाठ करने की सरल विधि
घर में सुंदरकांड पाठ करने से पहले सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें. हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर घी या तेल का दीपक जलाएं. सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करें, फिर हनुमान जी का ध्यान करें.
इसके बाद श्रद्धा और एकाग्रता के साथ सुंदरकांड का पाठ शुरू करें. पाठ के दौरान लड्डू या गुड़-चना का भोग लगाएं. अंत में हनुमान चालीसा और आरती करें. सुंदरकांड का पाठ सुबह या शाम के समय करना उत्तम माना जाता है. चाहें तो राम दरबार के सामने भी पाठ किया जा सकता है.
पाठ के नियम और मिलने वाले लाभ
मंगलवार, शनिवार और रविवार को सुंदरकांड पाठ करना विशेष फलदायी माना जाता है. अमावस्या और रात के समय पाठ करने से बचना चाहिए. यह पाठ अकेले या समूह में किया जा सकता है और इसे 11, 21, 31 या 41 दिन तक लगातार किया जा सकता है.
ब्रह्म मुहूर्त में पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है. सुंदरकांड पाठ से बजरंगबली की कृपा बनी रहती है. पूजा करने वाले को बल, बुद्धि और विद्या का आशीर्वाद मिलता है. मान्यता है कि नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करने वाले साधक की मनचाही मुराद पूरी होती और उसके जरूरी काम बनने लगते हैं.
क्या है सुंदरकांड का मूल मंत्र?
ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥ प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यानघन। जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर ॥ और जिनके हृदय रूपी भवन में धनुष-बाण धारण किए श्री रामजी निवास करते हैं॥
सुंदरकांड पाठ से पहले करें हनुमानजी का ध्यान
शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं,
ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्,
रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं,
वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूड़ामणिम्।।1।।
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नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये
सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा।
भक्तिं प्रयच्छ रघुपुङ्गव निर्भरां मे
कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च।।2।।
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अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।3।।
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